आदिवासी वोट बैंक के लिए बीजेपी का खास प्लान? पीएम मोदी 11 फरवरी को जाएंगे झाबुआ
लोकसभा चुनाव को अब काफ़ी कम वक़्त रह गया है. लिहाज़ा बीजेपी अब जोर शोर से लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है. इस बार फोकस पूरी तरह से आदिवासी मतदाताओं पर है. इसलिए मध्य प्रदेश से ही आदिवासियों को रिझाने की शुरूआत करने जा रही है.
राज्य की 21 प्रतिशत आबादी आदिवासी हैं. यही कारण है कि पीएम मोदी आदिवासी क्षेत्र झाबुआ से ही चुनावी बिगुल फूंकने आ रहे हैं. 11 फ़रवरी को वह झाबुआ में सभा करेंगे.
क्या है बीजेपी का प्लान?
एमपी में वैसे तो 29 में से 28 लोकसभा सीटें बीजेपी के पास है. मगर बीजेपी कभी भी किसी चुनाव को हल्के में नहीं लेती. वहीं बात अगर लोकसभा चुनाव की हो ,तो फिर बीजेपी अपनी पूरी ताक़त झोंकेगी. दूसरी वजह ये एमपी में इस बार हुए विधानसभा चुनाव भी है. दरअसल विधानसभा चुनाव में बीजेपी को आदिवासी इलाकों से जो उम्मीद थी वैसी सीटें नहीं मिल सकी. एमपी विधानसभा चुनाव में 47 सीट में से बीजेपी को 26 सीटें ही मिली. वहीं 22 सीटें कांग्रेस ने जीती थी यानी आदिवासी इलाकों में टक्कर का मुकाबला रहा.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हाल ही में मंत्रियों और विधायकों को आदिवासी इलाक़ों में फ़ोकस करने के लिए कहा है. बीजेपी के ‘गांव चलो अभियान’ में भी फोकस आदिवासी इलाकों वाले गांव हैं. कमजोर मतदान केंद्री पर बूथ सशक्तिकरण के लिए बीजेपी कार्यकर्ता घर घर जा रहे है. एमपी में कुल 29 में से 6 लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. बीजेपी का कहना है हमारी सरकार केंद्र में हो या राज्य में लगातार आदिवासियों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए काम कर रही है. कांग्रेस को तो इस बात से भी दिक्कत हो गई थी कि द्रौपदी मूर्मू को राष्ट्रपति क्यों बनाया गया.
कांग्रेस की क्या तैयारी है?
अब कांग्रेस भी आदिवासियों से जुड़े मुद्दे उठा रही है. इसी कड़ी में एमपी विधानसभा चुनाव हार के बाद कांग्रेस ने कई बड़े परिवर्तन किए हैं. कांग्रेस ने भी जातिगत समीकरण के आधार पर आदिवासी वर्ग से नेता प्रतिपक्ष के तौर पर उमंग सिंघार को नियुक्त किया है. तो वहीं ओबीसी वर्ग से पीसीसी चीफ जितु पटवारी को नियुक्त किया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी की यात्रा आदिवासी इलाक़ों से भी होकर गुजरेगी. यही नहीं झारखंड में हेमंत सोरेन के मामले को लेकर भी कांग्रेस इसे आदिवासियों के अपमान से जोड़ रही है.