BLOG: राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कैसे भारत के पुनर्जागरण की शुरुआत?

यह केवल दो शब्द नहीं है. इसमें भारतवर्ष की संपूर्ण संस्कृति सन्निहित है. राम का नाम हमारे प्रतिदिन के अभिवादन, जैसे- ‘जय राम जी की’, ‘जय सियाराम’, ‘ जय श्री राम’ से लेकर अधिकांश भारतीय व्यक्तियों के नामों में मिलता है.

इसीलिए राम एक ऐसा भाव है जिससे कोई भी व्यक्ति भारतीय मानस का अनुभव कर सकता है. आज जब लगभग 500 वर्षों बाद श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है तो यह जानना आवश्यक है कि राम का महत्व क्या है. सोचने का विषय है कि इसी महत्व के कारण आतताईयों ने इस मंदिर को संपूर्ण विध्वंस किया और उसके ऊपर मस्जिद बनाई. क्योंकि उन्हें पता था कि इस मंदिर का विखंडन भारत की आत्मा का विखंडन है.

त्याग की प्रतिमूर्ति राम

राम को समझना है तो हमें राम के जीवन चरित्र को समझना होगा और उसी से हम भारत के राष्ट्र चरित्र को समझ सकते हैं. सर्वप्रथम, राम त्याग की प्रतिमूर्ति हैं, पुत्र धर्म के पालन के लिए उन्होंने राज्य सिंहासन त्याग कर वनवास जाना स्वीकारा. ठीक ऐसे ही हमारे राष्ट्र में त्याग को हमेशा पूजा जाता है, चाहे वह सन्यस्थ वेश भूषा धारण किए हुए को पूजना या सम्मान देना हो या परिवार त्याग करने वाले को राजनैतिक, सामाजिक नेतृत्व देना हो. भारत में त्याग पूज्य है और राम त्याग की जीवंत मूर्ति हैं.

शक्ति के परिचायक राम

त्याग के साथ साथ राम शक्ति के परिचायक हैं। राम जो बाल्य काल में ही अनेकानेक असुरों का वध करते हैं, शिव धनुष तोड़ते हैं, समुद्र जिनका क्रोध देख त्रहिमाम करता है

 

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