हवन में हड्डी नहीं डालनी चाहिए… शाह ने राम मंदिर पर विपक्ष को गुजराती कहावत सुना दी
राम मंदिर के निर्माण और श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा विषय पर चर्चा के दौरान बोलते हुए शनिवार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि राम के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती है। राम इस देश की आत्मा, सबको समझना होगा। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति और रामायण को अलग नहीं कर सकते। 22 जनवरी को 500 साल के संघर्ष की जीत हुई। गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में राम मंदिर निर्माण पर चर्चा के दौरान कहा कि 22 जनवरी का दिन दस हजार साल तक इतिहास में गिना जाएगा। यह दिन महान भारत की यात्रा की शुरुआत है। अमित शाह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जब हम राम मंदिर, 370 का वादा करते थे तब यह कहते थे कि ऐसे ही वादे करते हैं जब पूरा करते हैं तब यह विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि यह मोदी सरकार है जो बोलते हैं वह करते हैं।
अमित शाह ने कहा कि मैं अपने मन की बात और देश की जनता की आवाज सदन में रखना चाहता हूं। यह आवाज सालों से कोर्ट के कागजों में दबी हुई थी, नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद उस आवाज और अभिव्यक्ति भी मिली। 22 जनवरी का दिन 1528 से चली न्याय की लड़ाई का अंतिम दिन है। 1528 से राम मंदिर की लड़ाई लड़ने वाले संतों-संगठनों को मैं आज के दिन याद करता हूं। वे आज जहां भी होंगे, आनंद की अनुभूति कर रहे होंगे। हजारों लोग चले गए, कई पीढ़ियां चल गईं, लेकिन वे राम मंदिर के निर्माण का दिन नहीं देख पाए। हम बड़े सौभाग्यशाली हैं।
22 जनवरी का दिन महान भारत की यात्रा की शुरुआत का दिन है। ये दिन मां भारती विश्व गुरु के मार्ग पर ले जाने को प्रशस्त करने वाला दिन है। इस देश की कल्पना राम और रामचरितमानस के बिना नहीं की जा सकती। राम का चरित्र और राम इस देश के जनमानस का प्राण है।
अमित शाह ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन से अनभिज्ञ होकर कोई भी इस देश के इतिहास को पढ़ ही नहीं सकता। 1528 से हर पीढ़ी ने इस आंदोलन को किसी न किसी रूप में देखा है। ये मामला लंबे समय तक अटका रहा, भटका रहा। मोदी जी के समय में ही इस स्वप्न को सिद्ध होना था और आज देश ये सिद्ध होता देख रहा है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जो राम के बिना भारत की कल्पना करते हैं, वो भारत को नहीं जानते। वो हमारे गुलामी के काल का प्रतिनिधित्व करते हैं। राम प्रतीक हैं कि करोड़ों लोगों के लिए आदर्श जीवन कैसे जीना चाहिए, इसीलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है।
लोकसभा में शनिवार को नियम 193 के तहत ऐतिहासिक श्रीराम मंदिर के निर्माण और श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा विषय पर चर्चा हुई। चर्चा की शुरुआत करते हुए बीजेपी के सांसद सत्यपाल सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राम मंदिर निर्माण का श्रेय जाता है और कांग्रेस ने राम के अस्तित्व को ही नकारा था। राम विभिन्न धर्मों और भौगोलिक सीमाओं से परे सबके हैं। उन्होंने कहा इस कालखंड में मंदिर बनते देखना और प्राण प्रतिष्ठा होना अपने में ऐतिहासिक है। भगवान राम सांप्रदायिक विषय नहीं हैं। श्रीराम केवल हिंदुओं के लिए नहीं, वो हम सबके पूर्वज और प्रेरणा हैं। सिंह ने कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए दावा किया कि 2007 में रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच रामसेतु परियोजना पर तत्कालीन यूपीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र दिया था कि राम नाम के कोई व्यक्ति नहीं हैं, वह काल्पनिक हैं।