रायबरेली-अमेठी में गांधी परिवार को रियायत नहीं देगी बसपा, कांग्रेस के लिए क्या होगी चुनौती

त्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट को गांधी का सबसे मजबूत दुर्ग माना जाता है. अमेठी और रायबरेली सीट पर गांधी परिवार को बसपा प्रमुख मायावती इस बार किसी तरह की कोई रियायत देने के मूड में नहीं हैं.

रायबरेली-अमेठी सीट से गांधी परिवार के सदस्य राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी चुनाव लड़ते हैं तो भी बसपा उनके खिलाफ मजबूत प्रत्याशी उतारेगी. ऐसे में बसपा के चुनावी मैदान में ताल ठाकने से कांग्रेस और बीजेपी किसका खेल बनेगा और किसका गेम बिगड़ेगा?

बसपा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने टीवी-9 डिजिटल से बातचीत करते हुए कहा कि अमेठी और रायबरेली दोनों सीट पर बसपा चुनाव लड़ेगी. दोनों ही सीट पर बसपा ने अपने उम्मीदवार तय कर लिए हैं, जिनके नामों का ऐलान जल्द कर दिया जाएगा. 20 अप्रैल तक बसपा दोनों ही सीट पर प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर देगी. 2019 में अमेठी और रायबरेली सीट हम चुनाव इसीलिए नहीं लड़े थे, क्योंकि सपा ने तय किया था कि हम गांधी परिवार के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारेंगे.

अमेठी-रायबरेली में कांग्रेस ने नहीं खोले पत्ते

बता दें कि रायबरेली सीट से कांग्रेस अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतर रही हैं. ऐसे में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के रायबरेली सीट से चुनाव लड़ने की चर्चाएं हैं. इसी तरह अमेठी सीट पर इंडिया गठबंधन की ओर से कांग्रेस ने अभी किसी नाम का ऐलान नहीं किया है, लेकिन माना जा रहा है कि राहुल गांधी ही चुनाव लड़ेंगे. रायबरेली और अमेठी सीट पर पांचवें चरण में चुनाव है, जिसके चलते कांग्रेस अभी अपने पत्ते नहीं खोल रही है.

BSP अमेठी-रायबरेली में उतारेगी उम्मीदवार

बसपा प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने कहा कि रायबरेली और अमेठी सीट पर कांग्रेस किसे चुनाव लड़ाती है, यह उसका मामला है. मायावती ने तय किया है कि गांधी परिवार से कोई चुनाव लड़े या फिर कांग्रेस का कोई दूसरा नेता, लेकिन बसपा अपना प्रत्याशी उतारेगी. बसपा दोनों सीट पर गांधी परिवार को वॉकओवर नहीं देगी बल्कि पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ेगी. अमेठी और रायबरेली हाई प्रोफाइल सीटें हैं, जिन पर चुनाव लड़ने के लिए कई दावेदार हैं. हम जल्द ही दोनों सीट पर उम्मीदवार के नाम की घोषणा करेंगे.

सूत्रों की मानें तो अमेठी लोकसभा सीट पर बसपा रवि मौर्य को टिकट दे सकती है. हालांकि, विश्वनाथ पाल ने कहा कि अमेठी से चुनाव लड़ने वाले दावेदारों में रवि मौर्य का नाम जरूर है, लेकिन अभी फाइनल नहीं है. उनका कहना है कि ओबीसी और ठाकुर दोनों ही समाज से प्रत्याशी हैं, लेकिन हम स्थानीय समीकरण को देखकर अपने उम्मीदवार घोषित करेंगे ताकि बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए बड़ी चुनौती बन सकें. यहां से सियासी समीकरण हमारे पक्ष में है.

‘BJP-कांग्रेस की विचारधार BSP से अलग’

उन्होंने कहा कि बीजेपी की अगुवाई वाला एनडीए और कांग्रेस नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन दोनों बसपा की विचारधारा बिल्कुल अलग है. इसलिए बसपा सभी 80 सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ रही है. बसपा प्रत्याशी तय कर चुकी है, जिन्हें लड़ाया जा रहा है. विश्वनाथ पाल ने कहा कि हम किसी का खेल बनाने और बिगाड़ने के लिए चुनाव नहीं लड़ते हैं बल्कि अपने सियासी मकसद के लिए चुनाव लड़ते हैं. बसपा कैडर वाली पार्टी है और उसका सियासी मिशन है. हमारे लिए गांधी परिवार, मुलायम परिवार और संघ परिवार से कोई मतलब नहीं है. हमारा सिर्फ मकसद बसपा और बहुजन समाज है.

अमेठी-रायबरेली सीट पर BSP को मिली शिकस्त

अमेठी और रायबरेली सीट पर बसपा 2019 के लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो हर चुनाव में किस्मत आजमाती रही है. बसपा भले ही अब तक अमेठी और रायबरेली सीट जीत न सकी हो, लेकिन राहुल गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक के खिलाफ प्रत्याशी उतार चुकी है. बसपा अमेठी में अपनी जमानत तक नहीं बचा सकी और आजतक एक लाख वोट क्रॉस नहीं किया है. रायबरेली में बसपा उम्मीदवार सवा लाख वोट तक पाने में सफल रहे हैं, लेकिन जीत नहीं सके.

2014 में अमेठी सीट पर धर्मेंद्र सिंह 57719 वोट मिले थे. इससे पहले 2009 में बसपा आशीष शुक्ला चुनाव लड़े थे, उनको 93,997 वोट मिले थे और वो नंबर दो थे जबकि बीजेपी प्रत्याशी तीन नंबर रहे थे. 2004 में बसपा से चंद्र प्रकाश मिश्रा चुनाव लड़े थे. उन्हें 99326 वोट मिले थे और नंबर दो पर रहे थे. इसी तरह रायबरेली लोकसभा सीट पर बसपा चुनाव लड़ती रही है, लेकिन जीत नसीब नहीं हुई.

रायबरेली सीट पर 2014 में बसपा ने प्रवेश सिंह को उतारा था और उनको 63633 वोट मिले. इसके बाद 2009 में बसपा से आरएस कुशवाहा चुनाव लड़े और 1,09,325 वोट मिला. 2004 में बसपा से राजेश यादव ने चुनाव लड़ा और 57,543 वोट मिले. 1999 में बसपा ने आनंद लोधी को चुनाव लड़ाया और उन्हें 1,37,775 वोट मिले. रायबरेली में बसपा को सबसे ज्यादा वोट 1999 में मिला था.

BSP से कांग्रेस को मिला सियासी फायदा

बसपा के चुनावी मैदान में उतरने से कांग्रेस को ही सियासी फायदा मिलता रहा है. बसपा ने जब-जब दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, तब-तब कांग्रेस को जीत मिली है. 2019 में बसपा प्रत्याशी नहीं उतरे तो बीजेपी की स्मृति ईरानी जीतने में सफल रही और रायबरेली सीट पर कांग्रेस के जीत का मार्जिन कम हो गया. इसके पीछे वजह यह मानी जाती है कि बसपा का प्रत्याशी होता है तो पार्टी का कोर वोटबैंक उसके पक्ष में चला जाता है, लेकिन जब नहीं होता है तो फिर वोटिंग के लिए आजाद होता है.

2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने फिर अमेठी और रायबरेली सीट पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है. ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर लगी है कि बसपा किसे अपना उम्मीदवार बनाती है. बसपा दोनों ही सीट अगर किसी मुस्लिम प्रत्याशी के बजाय ओबीसी या ठाकुर-ब्राह्मण को टिकट देती है तो मुकाबला काफी दिलचस्प हो सकता है. देखना है कि बसपा गांधी परिवार के दुर्ग में किस पर दांव लगाती है?

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