Budget 2024: ग्रामीणों का होगा खुद का पक्का मकान, बनेंगे 2 करोड़ ज्यादा घर, सरकार खोलेगी खजाना!

खुद के घर का सपना हर कोई देखता है, लोगों के इसी सपने को साकार करने के लिए सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) ग्रामीण, चला रही है. इसके जरिए अभी तक करीब 26 मिलियन यानी 2.6 करोड़ घरों का निर्माण किया जा चुका है, आने वाले वर्षों में ये और रफ्तार पकड़ सकता है. 2024-25 के लिए जारी होने वाले आम बजट में इस सिलसिले में बड़ी घोषणा होने की उम्मीद है. सूत्रों के मुताबिक अगले पांच वर्षों में ग्रामीण इलाके में 23.5 मिलियन घर बनाने के लिए केंद्रीय बजट में 4.5 ट्रिलियन रुपए जारी कर सकती है.
मिंट की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि सरकार की ओर से जारी की जाने वाली यह धनराशि पीएमएवाई ग्रामीण के तहत अतिरिक्त 2 करोड़ घरों के निर्माण के लिए होगा. साथ ही इससे पिछले चरण के तहत बाकी बचे 3.5 मिलियन घरों का भी काम पूरा होगा. रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि अगले पांच वर्षों में गांवों में 2 करोड़ अतिरिक्त घरों के निर्माण की यह योजना, 10 जून को कैबिनेट में लिए गए फैसले से अलग होगा, जिसमें शहरी एवं ग्रामीणों के लिए 3 करोड़ घर बनाने की बात कही गई थी.
क्या है सरकार का प्लान?
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से बताया गया कि अगर ग्रामीण क्षेत्रों में अतिरिक्त 2 करोड़ घर बनाने की योजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलती है तो इसकी कुल लागत 4.3-4.5 ट्रिलियन रुपए हो सकती है. इसमें केंद्र सरकार का हिस्सा 2.8 से 2.9 ट्रिलियन रुपए और राज्य सरकारों का 1.5 से 1.6 ट्रिलियन रुपए होगा. इस लागत में पिछले चरण के निर्माण में बाकी 3.5 मिलियन घरों का निर्माण भी पूरा करना होगा. हालांकि पूरे बजट की गणना कंस्ट्रक्शन सामग्री की लागत और महंगाई पर निर्भर होगा. सरकार का मकसद वित्त वर्ष 2024 के आखिर तक 4 मिलियन घर, वित्त वर्ष 2026 तक 8 मिलियन और वित्त वर्ष 29 तक 8 मिलियन घरों का निर्माण करना है.
बढ़ सकता है बजट
ग्रामीण क्षेत्रों में सभी के लिए आवास हो इसी मकसद से PMAY-G को 1 अप्रैल 2016 को शुरू किया गया था. शुरुआती दौर में मैदानी इलाकों में घरों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच लागत साझा करने का रेशियो 60:40 था. वहीं पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों में घरों के लिए यह अनुपात 90:10 था. मैदानी इलाकों में प्रत्येक परिवार को वित्तीय सहायता के रूप में 120,000 रुपए दिए जाते हैं, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में यह राशि ₹130,000 निर्धारित की गई थी. हालांकि वक्त के साथ निर्माण सामग्री और श्रम लागत के बढ़ने से सरकार इसका बजट बढ़ा सकती है. सूत्रों के मुताबिक इसे क्रमशः 180,000 रुपए और 200,000 रुपए तक किया जा सकता है.

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