Budget 2024 में ये 5 राहत चाहता है सैलरीड टैक्सपेयर, देख लीजिये पूरी लिस्ट

भले ही बजट 2024 की डेट का ऐलान ना हुआ हो, लेकिन सैलरीड लोगों ने इस बजट से काफी उम्मीदें बांध हुई हैं. सैलरीड लोगों को उम्मीद है कि इस बार बजट में उन्हें काफी राहत दी जा सकती है. ताकि ओवरऑल इकोनॉमिक ग्रोथ को और ज्यादा बढ़ाया जा सके. वहीं दूसरी ओर सरकार ने भी बार-बार ओवरऑल डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में सैलरीड लोगों के कंट्रीब्यूशन की सराहना ही है. वहीं दूसरी ओर सैलरीड लोगों के टैक्सेशन में ऐसे कई एरिया हैं जिनमें बदलाव करने से टैक्सपेयर्स पर काफी पॉजिटिव असर डाल सकते हैं. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर बजट 2024 से सैलरीड टैक्सपेयर्स को किस तरह के बदलाव की उम्मीदें हैं…
पर्सनल टैक्स रिजीम में बदलाव
नई रियायती पर्सनल टैक्स रिजीम का उद्देश्य पुरानी कर व्यवस्था की तुलना में पर्सनल टैक्सपेयर्स के लिए कम टैक्स रेट्स देना है. हालांकि, अधिकतर डिडक्शंस और एग्जंप्शंस जो पुरानी टैक्स व्यवस्था में मिलती हैं, उन्हें नई कर व्यवस्था के तहत हटा दिया गया है.
इसलिए, नई कर व्यवस्था को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए, सैलरीड टैक्सपेयर्स एचआरए में छूट, होम लोन पर भुगतान किए गए ब्याज पर छूट, पीएफ में कर्मचारी के योगदान पर छूट, हेल्थ इंश्योरेंस पर छूट आदि की डिमांड कर रहे हैं. खास बात तो ये है कि ये टैक्स बेनिफिट ऐतिहासिक रूप से सैलरीड लोगों के लिए टैक्स प्लानिंग का अहम हिस्सा रहे हैं.
स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट में इजाफा
सैलरीड लोगों को राहत देने के लिए, साल 2018 में स्टैंडर्ड डिडक्शन को लाया गया था. जिसकी लिमिट को 1 अप्रैल 2020 में बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया गया. तब से इस सीमा में कोई बदलाव नहीं हुआ है. सरकार इस बार स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट में इजाफे पर विचार कर सकती है. ताकि बढ़ती हुई महंगाई से सैलरीड लोगों को राहत दी जा सके.
एचआरए एग्जंप्शन कैलकुलेशन में बदलाव
मौजूदा समय में केवल चेन्नई, मुंबई, दिल्ली और कोलकाता में रहने वाले टैक्सपेयर्स ही एचआरए कैलकुलेशन में वेतन से 50 फीसदी की छूट के पात्र हैं. नॉन-मेट्रो शहरों में रहने वाले लोगों को सिर्फ 40 फीसदी एचआरए छूट का फायदा मिलता है. ध्यान देने वाली बात ये है कि बेंगलुरु, हैदराबाद, गुड़गांव, पुणे आदि शहरों का काफी विकास हो चुका है. अब ये शहर मैट्रो शहरों को टक्कर देते हुए दिखाई दे रहे हैं. जिसकी वजह से इन शहरों में मकान का किराया काफी बढ़ गया है. कुछ शहर तो ऐसे हैं, ​जहां का किराया मैट्रो शहरों के मुकाबले काफी ज्यादा है. इसलिए, बजट 2024 में इन स्थापित शहरों को मेट्रो शहरों की कैटेगिरी में शामिल करने की मांग उठ रही है और इन शहरों के लिए 50 फीसदी भत्ते की मांग भी हो रही है.
वर्क फ्रॉम होम बेनिफिट्स पर क्लैरिटी
वर्क फ्रॉम होम अब शहरी ट्रैफिक और इंप्लॉयर द्वारा विशेष रूप से कोविड के बाद प्रदान किए गए लचीलेपन को देखते हुए काफी जरूरी बन गया है. बहुत सी कंपनियों ने कर्मचारियों को दूर से या हाइब्रिड मॉडल पर काम करने की परमीशन दी है. जिसकी वजह से कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम के बेनिफिट्स इंडस्ट्री में काफी चर्चा का विषय बन गया है.
उदाहरण के लिए, इंप्लॉयर द्वारा कर्मचारियों को प्रदान की जाने वाली एक बार की होम ऑफिस सेटअप कॉस्ट वर्क फ्रॉम होम या हाइब्रिड वर्किंग स्टाइल चुनने वाले कर्मचारियों को प्रदान किया जाने वाला सबसे आम लाभ है. हालांकि, इंप्लॉयर द्वारा दिए गए ऐसे लाभों और रीइंबर्समेंट पर टैक्सेशन/एग्जंप्शंस पर कोई स्पष्ट गाइडलाइन जारी नहीं की गई है.
चाइल्ड एजुकेशन अलाउंस की लिमिट
मौजूदा समय में एजुकेशन और हॉस्टल खर्च (दो बच्चों तक) के लिए प्रति बच्चा प्रति माह 100 रुपए और 300 रुपए की छूट उपलब्ध है. एजुकेशन की कॉस्ट में इजाफे को को ध्यान में रखते हुए, इस पर दोबारा विचार करना और लिमिट्स को बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है.

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