Budget 2024: रोजगार, इंफ्रा, मुद्रा लोन से बदलेगी इकोनॉमी की तस्वीर, विवेक बिंद्रा ने बताया कैसे
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2024-25 का बजट पेश किया, जो उनका लगातार सातवाँ बजट रहा है. इस बजट में उन्होंने देश की तात्कालिक जरूरतों के साथ-साथ भविष्य की आवश्यकताओं का भी समाधान प्रस्तुत किया. इस बजट में रोजगार से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर तक की कई ऐसी घोषणाएं हुई जिसका असर आने वाले समय में देखा जा सकता है.
सरकार ने देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को बल देने के लिए इस बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर खर्च में 11.1% की वृद्धि की है. इस बजट को 10 लाख करोड़ से बढ़ाकर 11.11 लाख करोड़ कर दिया गया है. दो नए एक्सप्रेसवे का अनावरण भी किया गया है। पटना से पूर्णिया और बक्सर से भागलपुर तक, सड़क कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए बजट में 3% की बढ़त की गई है.
मुद्रा लोन की सीमा बढ़ाकर 20 लाख
देश के एमएसएमई सेक्टर को इस बजट से काफी उम्मीदें थी. जिसे बजट में कुछ हद तक पूरा भी किया गया. बिजनेस कोच डॉ. विवेक बिंद्रा ने इस बजट पर अपने विश्लेषण में बजट से जुड़ी लोगों की उम्मीदों और सरकार की घोषणाओं के बारे में विस्तार से चर्चा की. उन्होंने MSMEs, एजुकेशन और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर अपने सुझाव भी प्रस्तुत किए. सरकार ने मुद्रा लोन लिमिट की सीमा को 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख तक किया गया है, हालांकि फिर भी यह उम्मीदों के मुताबिक नहीं है. वहीं क्रेडिट गारंटी योजना के तहत 100 करोड़ रुपए कोलेट्रल फ्री लोन के लिए जारी किए गए हैं. देश को एक्सपोर्ट हब बनाने के लिए अलीबाबा जैसे चाइनीज एप का इस्तेमाल करने की बजाय एक्सपोर्ट हब की ओर से MSME एक्सपोर्ट्स की घोषणा की गई है. हालांकि कई प्रमुख उम्मीदों को पूरा करने में यह बजट चूक गया. विवेक बिंद्रा का कहना है कि NPA की समय सीमा को बढ़ाना और GST में ज़रूरी छूट देना भी इस बजट में शामिल करना चाहिए था. वहीं अल्टरनेटिव फाइनेंसिंग सोर्सेज को बेहतर करने के लिए नीदरलैंड की तरह SME बॉन्ड्स और क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म्स को शुरू किया जाना चाहिए.
पर्यटन को बढ़ावा दिया गया
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बजट में बिहार में विष्णुपद और महाबोधि मंदिरों का विकास किए जाने का ऐलान किया गया.रॉ मैटीरियल ड्यूटी को कम करने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम सकारात्मक हैं, लेकिन शिपिंग लाइन के विस्तार और कूरियर एक्सपोर्ट लिमिट बढ़ाने को लेकर कोई कदम ना उठाना एक बड़ी चूक है.वहीं कल्चरल टूरिज्म के तहत दुनिया भर से धार्मिक पर्यटकों को आकर्षित करते हुए भारत को हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म का वैश्विक केंद्र बनाया जा सकता है.
एजुकेशन सेक्टर को क्या मिला
इस बजट से उम्मीद लगाई जा रही थी कि एजुकेशन सेक्टर 45,000 डिग्री कॉलेज और 1,000 यूनिवर्सिटी के साथ स्टूडेंट और टीचर्स के बेहतर अनुपात पर काम किया जाएगा. स्कूल और कॉलेजों के बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम किया जाएगा. बजट में सरकार ने घरेलू संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए 3% ब्याज छूट के साथ 10 लाख रुपये का ऋण पेश किया है. इस पहल का उद्देश्य भारत के उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों पर वित्तीय बोझ को कम करना है. हकीकत देखी जाए तो डिजिटल शिक्षा की ओर लगातार आगे बढ़ने के बावजूद हमारे यहां केवल 30% कक्षाएं डिजिटल हैं, जबकि अमेरिका में यह अनुपात 70% है. भारत में केवल 7% युवा इंजीनियरिंग के बाद जॉब करने के लिए योग्य हैं, 95% भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स में कोडिंग कौशल की कमी है. इससे पाठ्यक्रम में बदलाव और बेहतर प्रशिक्षण कार्यक्रमों की सख्त आवश्यकता है.
लांग टर्म ग्रोथ की नींव
कुल मिलाकर, केंद्रीय बजट 2024-25 एक संतुलित बजट है, जो लॉन्ग टर्म ग्रोथ की नींव रखते हुए कुछ तात्कालिक चिंताओं को संबोधित करता है. हालाँकि, इसमें सुधार की गुंजाइश है। स्वचालन पर रणनीतिक फोकस, एमएसएमई के लिए व्यापक समर्थन, भारतीय शिपिंग लाइनों का विकास और उन्नत शैक्षिक बुनियादी ढांचा भारत को अधिक मजबूत और समावेशी आर्थिक भविष्य की ओर ले जा सकता है.