Budget 2024: सरकार पीएफ लिमिट बढ़ाकर कर सकती है 25 हजार, यह रही डिटेल

केंद्रीय बजट 2024-25 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मौजूदा भविष्य निधि (प्रोविडेंट फंड) लिमिट को बढ़ाकर 25,000 रुपए करने की घोषणा कर सकती हैं. करीब एक दशक पहले यानी सितंबर 2014 को पीएफ लिमिट को रिवाइज कर 15 हजार रुपए कर दिया गया था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अब इसमें इजाफा करने के लिए श्रम और रोजगार मंत्रालय ने एक प्रस्ताव तैयार किया है. इस बार वित्त मंत्री 23 जुलाई को अपना 7वां बजट पेश करने जा रही हैं. निर्मला सीतारमण देश की पहली वित्त मंत्री होंगी जो लगातार 7 बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड बनाएंगी.
प्रोविडेंट फंड क्या है?
अभविष्य निधि एक सरकारी योजना है जिसका उद्देश्य कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है. कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) योजना, 1952 के अनुसार अगर किसी संस्थान में किसी व्यक्ति की सैलरी 15 हजार रुपए मासिक है तो उस कर्मचारी को प्रोविडेंट फंड दिया जाएगा. उन्हें अपने वेतन का 12 फीसदी कंट्रीब्यूट करना होगा जिसमें मूल वेतन, महंगाई भत्ता और प्रतिधारण भत्ता आदि शामिल है. इसी तरह, इंप्लॉयर को भी फंड में वेतन का 12 फीसदी योगदान देना होगा. इस फंड का प्रबंधन न्यासी बोर्ड द्वारा किया जाता है जिसमें केंद्र, राज्य सरकारों, नियोक्ताओं और कर्मचारियों के प्रतिनिधि होते हैं.
15,000 रुपए से अधिक वेतन वाले कर्मचारियों के लिए पीएफ का ऑप्शन चुनना वॉलेंटरी है. हालांकि, यदि आगामी बजट में वर्तमान सीमा को बढ़ाकर 25,000 रुपए कर दिया जाता है, तो योजना के तहत कर्मचारियों के नए ग्रुुव अपने वित्त प्रबंधन के लचीलेपन में कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं.
भविष्य निधि के क्या लाभ हैं?
इस योजना के तहत इंरोल्ड कर्मचारी आवास खरीदने या निर्माण करने, चिकित्सा या शैक्षिक खर्चों के साथ-साथ विवाह संबंधी खर्चों को वहन करने सहित कई उद्देश्यों के लिए संचित धन निकाल सकते हैं. महामारी के बाद से कई कर्मचारियों ने कोविड-19 संबंधित खर्चों को पूरा करने के लिए अपने पीएफ से पैसा निकाला है. साथ ही सरकार की ओर से इसमें काफी ढील भी गई है. समय के साथ पीएफ जमा करने वालों को उनकी सेविंग पर वार्षिक ब्याज भी मिलता है, जो कर्मचारियों की लॉन्गटर्म में काफी फायदा भी पहुंचाता है.
निष्क्रिय पीएफ अकाउंट्स का क्या होता है?
केंद्र के अनुसार कुछ अकाउंट्स जो निष्क्रिय हो जाते हैं, उनके निश्चित दावेदार होते हैं. ‘निश्चित दावेदार’ ऐसे व्यक्ति या संस्थाएं हैं जिनके पास लाभ और मुआवजे का दावा करने का स्थापित अधिकार है. केंद्र ने कहा था कि मार्च 2022 तक निष्क्रिय खातों में कुल राशि 4962.70 करोड़ रुपए है.

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