बड़ी खबर जानिए क्या है सच्चाई
मगर इस साल आर्थिक सर्वे पेश नहीं किया जाएगा.
वजह? क्योंकि वित्त मंत्री जो बजट पेश करने जा रही हैं, वो पूर्ण बजट नहीं है. बल्कि अंतरिम बजट है.
आर्थिक सर्वे क्यों ज़रूरी है?
एक दस्तावेज़, जो पिछले साल की तफ़्सील रिपोर्ट है. पिछले वित्तीय बरस में भारत की अर्थव्यवस्था कैसे रही? उतार-चढ़ाव क्या रहे? किन क्षेत्रों में काम करने की ज़रूरत है? पिछले बजट का आवंटन कितना सही-कितना ग़लत रहा? इन सवालों पर एक साफ़ तस्वीर देता है. बजट बनाने वालों को बेहतर जानकारी मुहैया करवाता है.
बजट पेश करने से एक शाम पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार आर्थिक सर्वे प्रस्तुत करते थे. चूंकि ये पूर्ण बजट सत्र नहीं, लिहाजा आर्थिक सर्वे भी पेश नहीं हो रहा. रिपोर्ट्स हैं कि 1 फरवरी को कोई बड़ी घोषणा या नीति में बदलाव भी नहीं किया जाएगा.
फिर कब आएगा आर्थिक सर्वे?
इस साल अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होने हैं. यही वजह है कि वित्त मंत्री पूर्ण बजट पेश नहीं कर रहीं. पूर्ण बजट और आर्थिक सर्वे जुलाई में पेश किया जाएगा, जब नतीजे घोषित हो जाएंगे और एक नया मंत्रिमंडल नियुक्त कर लिया गया होगा.
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हालांकि, वित्त मंत्रालय ने सोमवार, 29 जनवरी को एक रिपोर्ट जारी की है. शीर्षक है – ‘भारतीय अर्थव्यवस्था – एक समीक्षा’. इसमें पिछले 10 ,सालों में भारतीय अर्थव्यवस्था की हाइलाइट्स दी गई हैं.
– समीक्षा में कहा गया है कि भारत अगले 3 सालों में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा और 2030 तक 7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है. साथ ही वित्त वर्ष 2024 में भारत 7.2% की जीडीपी वृद्धि दर को पार कर लेगा. धीमी विश्व अर्थव्यवस्था में विकास की हर इकाई बेहतर है.
– समीक्षा में भारत की विकास गाथा को दो चरणों में बांटा गया है – 1950 से 2014 तक और 2014 से 2024 तक. नरेंद्र मोदी सरकार के 10 सालों को परिवर्तनकारी विकास का दशक बताया गया है. लिखा है, 2014 से पहले हालात इतने अच्छे नहीं थे. विकास धीमा था, खाने-पीने की क़ीमतें ज़्यादा थीं और निर्णय लेना मुश्किल था. 2014 के बाद से भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए कई बदलाव किए हैं. अब हम G20 देशों के समूह में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था हैं.
– नोटबंदी का भी ज़िक्र है. लिखा तो है कि इससे कैशलेस पेमेंट का इस्तेमाल बढ़ा है, लेकिन इससे ज़्यादा कुछ नहीं.
– भविष्य का फोकस है कि घरेलू खपत अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाए, क्योंकि निर्यात अब आसान नहीं होगा.