CAG का रेल मंत्रालय से सवाल, बताओ कैसे हुआ 2600 करोड़ से ज्यादा का नुकसान?
देश की सरकार के खातों का ऑडिट करने वाले भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने रेल मंत्रालय की खिंचाई की है. कैग ने मंत्रालय से 2,604.40 करोड़ रुपए के वित्तीय घाटे को लेकर कड़े सवाल पूछे हैं. कैग ने मंत्रालय के अकाउंट्स की ऑडिटिंग के इस वित्तीय घाटे का पता लगाया.
कैग ने अपनी जांच में पाया कि रेलवे को यह घाटा जीएसटी की वसूली नहीं होने से जुड़े मामलों में हुआ है. कैग ने इसके लिए कुल 33 मामलों की स्टडी की है. जीएसटी की वसूली सही से नहीं होने के अलावा कई और मामले भी ऐसे आए हैं जिससे बेमतलब का खर्च हुआ.
रेलवे ने लिए गलत तरीके से फैसले
कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रेल मंत्रालय ने किराये और अन्य सोर्सेस से इनकम जेनरेट करने के मामलों में अनुचित तरीके से फैसले किए. रेलवे से जुड़े कामों में गलत तरीके से छूट और अनुदान दिए गए. इससे बेमतलब का खर्च हुआ. इसलिए रेलवे को ये घाटा हुआ है. कैग की ये रिपोर्ट वित्त वर्ष 2021-22 की अवधि के ऑडिट और उससे पहले के वर्षों में सामने में आये थे. लेकिन पिछली ऑडिट रिपोर्ट में ये चीजें नहीं आ पाई थीं.
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है इन 33 मामलों में से एक में रेल मंत्रालय को ब्याज में 834.72 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. रेलवे अपने नियंत्रण वाला एक लैंड डेवलपमेंट के लिए इरकॉन को दिया. इसके लिए 3,200 करोड़ रुपए का लोन लिया गया. इस लोन पर ब्याज के तौर पर रेलवे को ये राशि थर्ड पार्टी को देने पर मजबूर होना पड़ा. इरकॉन ने ब्याज सहित कर्ज को चुकाया, लेकिन उस लैंड पर कोई डेवलपमेंट नहीं किया गया.
किराये से इनकम को लेकर की अनदेखी
कैग की रिपोर्ट में इस भारी नुकसान की जिम्मेदारी तय करने और फिजिबिलिटी की स्टडी किए बिना फाइनेंशियल ईयर के आखिर में नॉन-रेंटल इनकम जेनरेट करने के फैसले से बचने का भी जिक्र किया गया है. कैग ने एक अन्य मामले में पाया कि रेलवे ने इंजन की शंटिंग प्रोसेस के लिए कोई शुल्क नहीं लगाया. इससे पूर्वी तटीय रेलवे को 2018 से 2022 तक 149.12 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ.
साइडिंग मालिकों को रेलवे द्वारा दी जा रही सेवाओं पर जीएसटी लगाने के संबंध में नियमों और प्रावधानों का सही पालन नहीं करने का भी एक मामला इस रिपोर्ट में सामने आया है. इससे साइडिंग मालिकों से 13.43 करोड़ रुपए का जीएसटी कलेक्शन नहीं हो पाया है.
कैग ने रेलवे से सरकारी खजाने को होने वाले नुकसान से बचने के लिए साइडिंग मालिकों से बकाया जीएसटी की जल्द से जल्द वसूली करने और जीएसटी नोटिफिकेशन के प्रावधानों को लागू न करने के लिए उचित स्तर पर जिम्मेदारी तय करने को कहा है.
रेलवे के अस्पतालों का भी बुरा हाल
कैग ने भारतीय रेलवे में स्वास्थ्य सेवाओं के मैनेजमेंट का भी ऑडिट किया है. इसमें जोनल रेलवे के अस्पतालों में मेडिकल और पैरा मेडिकल कर्मचारियों की कमी की बात कही गयी है. कैग के मुताबिक आईपीएचएस (भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक) मानदंडों के संदर्भ में मशीनों/चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता में भी कमी पायी गयी.