गोल्ड मेडल लेकर आयी गांव : गूंगे-बहरे पिता मजदूरी करते हैं, मगर बेटी ने राष्ट्रीय स्तर पर रग्बी का गोल्ड जीता
प्रीति ने बताया कि आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद भी दिव्यांग पिता ने हमेशा उसके हौसले को बढ़ाया। काफी-दुख तकलीफ काटकर इस मुकाम तक पहुंचाया।
मुजफ्फरपुर की प्रीति ने परिवार का ही नहीं बल्कि पूरे राज्य का नाम ऊंचा कर दिया है। प्रीति ने भुवनेश्वर में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की रग्बी खेल में स्वर्ण पदक अपने नाम किया है। गोल्ड मेडल जीतने के बाद छोटे से गांव में पहुंची हुई छात्रा प्रीति अपने इस मुकाम का भी श्रेय अपने मजदूर पिता को देती है। प्रीति ने बताया कि आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद भी दिव्यांग पिता ने हमेशा हौसला को अफजाई की। मां गृहणी हैं और घर काम को संभालने के अलावा अन्य दो भाई बहन की देख रख करती हैं। पिता हर दिन की तरह मजदूरी करने जाते हैं और शाम को घर आते हैं। उसने रणजी नेशनल स्कूल फुटबॉल खेल प्रतियोगिता में भाग लिया था। इसमें प्रीति ने गोल्ड मेडल लिया।
पिता सुन और बोल नहीं सकते हैं
मोहल्ले वासियों ने बताया कि रग्बी खिलाड़ी प्रीति और उसके परिवार वालों की आर्थिक हालत बहुत ही खराब है। उसके पिता मजदूरी करते हैं। वह बोल और सुन भी नहीं पाते। इसके बावजूद अपनी बेटी को शिखर पर पहुंचने के लिए प्रेरित करते हैं। प्रीति तीन भाई-बहन है। तीनों की पढ़ाई की जिम्मेदारी उसके पिता पर है। वहीं प्रीति के इस मुकाम तक पहुंचने में उसके स्कूल के शिक्षक काफी सहयोग रहा। प्रीति ने अपने माता-पिता के साथ अपने गुरुजन को भी सफलता का श्रेय दिया।
पढ़ाई और खेल के लिए खर्च देने का वादा
प्रीति मुजफ्फरपुर जिले के कुढ़नी प्रखंड के उच्च माध्यमिक विद्यालय सकरी सरैया वर्ग 9वीं की छात्रा है। पढ़ाई से समय को निकालकर गांव में ही रग्बी खेल खेलती है और इसमें स्कूल के शिक्षक पूरा सहयोग करते हैं। राष्टीय रग्बी स्कूल में गोल्ड मेडल प्राप्त करने पर विद्यालय परिवार की ओर से सम्मानित किया गया। विद्यालय के प्रधानाध्यापक वीरप्रकाश ठाकुर ने भी सम्मानित किया एवं 12वीं तक खेल एवं पढ़ाई का पूरा खर्चा देने का भी बात कही।