क्या कान पर बनने वाली लाइन हार्ट अटैक का लक्षण हो सकती है?

हार्ट अटैक के केसेस एकदम से बढ़ गए हैं. युवाओं को भी हार्ट अटैक पड़ रहे हैं. किसी को नाचते-नाचते तो किसी को जिम में एक्सरसाइज करते हुए. ज़ाहिर सी बात है लोगों में इसको लेकर चिंता और डर है.

और सोशल मीडिया को लोगों के इस डर को भुनाना खूब आता है.

इसलिए आजकल सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट खूब वायरल हो रहे हैं, जो दावा करते हैं कि ईयर लोब यानी कानों के निचले हिस्से को देखकर ये पता लगाया जा सकता है कि हार्ट अटैक पड़ने वाला है. इसे ईयर लोब क्रीज़ थ्योरी के नाम से जाना जाता है. कई एक्सपर्ट भी इसपर वीडियो बना रहे हैं. पर क्या वाकई ये थ्योरी सच है? क्या कानों को देखकर हार्ट अटैक का पता लगाया जा सकता है और कैसे? ये सब जानेंगे आज के एपिसोड में. पर सबसे पहले ये समझ लेते हैं कि ईयर लोब क्रीज़ थ्योरी है क्या.

क्या है ईयर लोब क्रीज़ थ्योरी?

ये हमें बताया डॉ. अमित भूषण शर्मा ने.

(डॉ. अमित भूषण शर्मा, डायरेक्टर, कार्डियोलॉजी, पारस हेल्थ, गुरुग्राम)

हार्ट अटैक और ईयर लोब (कान के निचले हिस्से) पर बनने वाली क्रीज़ का आपस में कोई सीधा रिश्ता नहीं है. हालांकि कुछ स्टडीज में ये देखा गया है कि कान के निचले हिस्से पर जो लाइन बनती है उसे फ्रेंक्स साइन (frank’s sign) कहते हैं. इसका मतलब है कि खून की धमनियों में इलास्टिक टिशू और कॉर्टिन (Cortin) हॉर्मोन कम हैं. ये धमनियां दिल की आर्टरी जैसे होती हैं और इनकी कोई ब्रांच नहीं होती.

अगर कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ हो, इलास्टिक टिशू और कॉर्टिन हॉर्मोन खत्म हो जाएं या कम हो जाएं, तब कान के निचले हिस्से में एक लाइन बनती है. इसका संबंध दिल की आर्टरी से भी हो सकता है. लेकिन इस बारे में भी अब तक कोई रिसर्च या स्टडी नहीं की गई है. ऐसा कुछ केसेस में देखा गया है, जिसके आधार पर ऐसा कहा जा रहा है.

क्या किसी लक्षण को देखकर पहले से ही हार्ट अटैक का पता लगाया जा सकता है?

एक बीमारी है जिसका नाम है एकैंथोसिस निगरिकन्स (Acanthosis Nigricans). इसमें गर्दन, बगल, स्तनों के नीचे की स्किन काली हो जाती है. कई बार ये निशान चेहरे पर भी दिखाई देते हैं. ये इंसुलिन रेजिस्टेंस का लक्षण होता है. इस लक्षण का सीधा संबंध दिल की बीमारी, डायबिटीज और स्ट्रोक से होता है.

इसके अलावा स्किन पर ही एक और लक्षण दिखता है जिसका नाम है ज़ेंथी मेलास्मा (Xanti Melasma). इसमें आंखों के पास स्किन टैग्स (मस्से) हो जाते हैं. इस लक्षण का मतलब है कोलेस्ट्रॉल का ज़्यादा जमाव.

इन सबके अलावा अपने दिल की सेहत जानने के लिए नियमित रूप से कुछ टेस्ट कराते रहें. इसमें भी सबसे पहले ये जानिए कि पल्स रेट, ब्लड प्रेशर कितना है और कितनी दूर तक चल लेते हैं. अगर पहले से 1-2 किलोमीटर रोजाना टहलते हैं, तो घबराने की बात नहीं है. लेकिन अगर चलने, भागने या सीढ़ियां चढ़ने के दौरान सीने में दर्द हो रहा है, तो ये मान कर चलिए कि दिल की धमनियां 70 प्रतिशत तक ब्लॉक हैं. अगर सामान्य रूप से चलने में भी सीने में दर्द या भारीपन महसूस हो रहा है, तो दिल की धमनियां 80 प्रतिशत तक ब्लॉक हो सकती हैं. अगर बैठे-बैठे छाती में भारीपन हो रहा है, पसीना आ रहा है, दोनों बाजुओं में दर्द हो रहा है, तो इसका मतलब है कि दिल की धमनियां 100 प्रतिशत ब्लॉक हो चुकी हैं.

इन सबका पता लगाने के लिए इको टेस्ट (Echo), स्ट्रेस इको और ट्रेडमिल टेस्ट (टीएमटी) किए जाते हैं. अगर इन जांचों में भी कोई डाउट रहता है तब सीटी एंजियोग्राफी, मिनी एंजियोग्राफी या मेजर एंजियोग्राफी टेस्ट किए जाते हैं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें.)

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