Car Cloning: सेकेंड हैंड गाड़ी खरीदना भी नहीं खतरे से खाली, ऑनलाइन बिक रहीं चोरी की गाड़ियां
Buying Second Hand Car: आजकल सेकेंड हैंड कार खरीदना काफी आम हो गया है. लेकिन, इस बढ़ते ट्रेंड के साथ ही कार क्लोनिंग जैसी धोखाधड़ी की घटनाएं भी बढ़ रही हैं. ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर इस चीज का खतरा काफी ज्यादा होता है. मार्केट में कई ऑनलाइन वेबसाइट्स और ऐप्स हैं, जहां पुरानी कारों की खरीद-बिक्री होती है. कार चोर गिरोह ऑनलाइन कंपनियों से गठजोड़ करके चोरी की कार का क्लोन बनाते हैं, और मासूम लोगों को बेचते हैं. इस तरह लोगों के साथ धोखाधड़ी की जाती है.
हाल ही में नोएडा पुलिस ने ऐसे ही गिरोह को पकड़ा है, जो कार क्लोन करके लग्जरी गाड़ियों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेचता था. कई लोग इनका शिकार बने, जिन्हें इस गिरोह ने चोरी की गाड़ियां बेच डाली. कार क्लोनिंग एक गैरकानूनी काम है, जिसके जरिए चोर चोरी की गाड़ी को असली दिखाकर लोगों को बेचते हैं. आइए कार क्लोनिंग के बारे में विस्तार से जानते हैं.
कार क्लोनिंग क्या है?
कार क्लोनिंग में अपराधी चोरी हुई कार के चेसिस नंबर, इंजन नंबर और अन्य जरूरी आइडेंटिफिकेशन सिंबल को बदलकर उसे एक वैलिड कार की तरह बना देते हैं. इसके बाद वे इस कार को बेच देते हैं. इस तरह खरीदार को लगता है कि वह एक असली और वैलिड कार खरीद रहा है, जबकि वास्तव में वह एक चोरी की कार खरीद लेता है.
कार क्लोनिंग के खतरे
क्लोन कार खरीदने पर ये खतरे सामने आ सकते हैं-
कानूनी अड़चन: अगर आप एक क्लोन कार खरीदते हैं, तो आपको कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि पुलिस और कानून की नजर में यह कार चोरी की कार मानी जाती है.
आर्थिक नुकसान: आप एक क्लोन कार खरीदकर अपना पैसा गंवा सकते हैं. क्योंकि यह कार कभी भी जब्त की जा सकती है.
सेफ्टी रिस्क: एक क्लोन कार के साथ आपकी सेफ्टी भी खतरे में हो सकती है. क्योंकि इस कार का इस्तेमाल किसी क्राइम में भी किया जा सकता है.
पुलिस ने बताया ठगी से बचने का तरीका
थाना सेक्टर 63 नोएडा पुलिस ने हाल ही में कार क्लोनिंग करने वाले गैंग को अरेस्ट किया है. गिरफ्तारी करने वाली पुलिस टीम में शामिल सब-इंस्पेक्टर विपिन कुमार ने बताया कि कार क्लोनिंग से बचने के लिए बहुत सतर्क रहने की जरूरत है. इसमें सही गाड़ी का डेटा हुबहू कॉपी कर क्लोन कार को तैयार किया जाता है.
विपिन कुमार ने आगे बताया कि जब भी कभी आप गाड़ी खरीदने के लिए जाएं, तो रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) के पेपर तैयार करने के दौरान उसमें अपना ही मोबाइल नंबर डलवाएं. किसी दलाल या ब्रोकर का फोन नंबर नहीं देना चाहिए.
सेकेंड हैंड गाड़ी खरीदने से पहले एक बार एजेंसी जाकर उस गाड़ी को स्कैन जरूर कर लें ताकि उसके इंजन कंट्रोल मॉड्यूल (ECM) यूनिट से उसका वास्तविक चेचिस नंबर आ जाए. फिर पुरानी आरसी और जिस गाड़ी को आप खरीद रहे हैं, उसके चेसिस नंबर का मिलान जरूर करें.