Car Insurance Claim: 250 रुपये के बल्ब से 5 लाख का घाटा, कार के इस नुकसान की हो पाएगी भरपाई?
गाड़ी का इंश्योरेंस करवाना बड़ी बात नहीं है, बड़ी बात तो यह है कि आप Car Insurance से जुड़ी छोटी सी छोटी बारीकियों को समझते हैं या फिर नहीं? कई बार ऐसा देखने और सुनने को मिलता है सड़क पर दौड़ रही गाड़ी में अचानक आग लग गई, इस केस में सबसे पहले यही ख्याल आता है कि कार में बैठे यात्री सेफ हैं या नहीं? इसके बाद अगला सवाल जो ज़ेहन में घूमने लगता है वो यह है कि क्या आग में जलकर खाक हुई गाड़ी का इंश्योरेंस कंपनी पैसा देगी?
ये सवाल बहुत से लोगों को परेशान करता है कि आग लगने के बाद क्या क्लेम का पैसा मिलेगा या फिर नहीं? इसी सवाल का सही और सटीक जवाब जानने के लिए हमने कटारिया इंश्योरेंस के मोटर हेड संतोष सहानी से बातचीत की है. संतोष सहानी ने हमें इस बात की जानकारी दी है कि कुछ केस में इंश्योरेंस का पैसा मिलता और कुछ केस में इंश्योरेंस कंपनी क्लेम सीधा रिजेक्ट कर देती है.
Car Insurance Claim: इस केस में होता है क्लेम अप्रूव
अगर आप चाहते हैं कि इंश्योरेंस का पैसा क्लेम करते वक्त आपको किसी भी तरह की कोई दिक्कत न हो और आपको पूरा पैसा मिल जाए तो इसके लिए आपको कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखना होगा. कोई भी इंश्योरेंस कंपनी आग लगने के केस में इंश्योरेंस क्लेम तभी अप्रूव करती है जब आपकी गलती की वजह से आग न लगी हो.
अगर सब चीजें सही रही तो कंपनी आपको आपकी IDV (इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू) वैल्यू दे देगी, लेकिन इस केस में जब गाड़ी गराज जाती है तो गराज वाला आपके IDV में से 5 से 10 फीसदी खुद रख लेता है, इसके अलावा 1000 रुपये का न्यूनतम फाइल चार्ज भी काट लिया जाता है.
Car Insurance: इस केस में होगा क्लेम रिजेक्ट
कार चालक कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जिस वजह से गाड़ी में आग लग जाती है. संतोष सहानी से बातचीत के दौरान पता चला कि एक ऐसा केस सामने आया जिसमें इंश्योरेंस कंपनी ने कार चालक को गाड़ी में आग लगने का पैसा देने से साफ मना कर दिया, अब सवाल उठता है ऐसा क्यों?
इंश्योरेंस कंपनी का कहना था कि आग ग्राहक की गलती की वजह से लगी थी, आइए समझते हैं कैसे? इस केस में ग्राहक से गलती हुई या नहीं, ये तो पता नहीं लेकिन इंश्योरेंस कंपनी के Surveyor का ऐसा कहना था कि गाड़ी में आग लगने का कारण बल्ब था जो लोकल कंपनी का था और ये बल्ब हाई-वोल्टेज खींच रहा था और ज्यादा वोल्टेज की वजह से ही गाड़ी में आग लगी.
लोग थोड़े से पैसे बचाने के चक्कर में कंपनी के बजाय लोकल मार्केट से पार्ट्स लगवा लेते हैं जिस वजह से गाड़ी को नुकसान पहुंच सकता है. अब मान लीजिए कि लोकल बल्ब की कीमत 250 रुपये रही होगी लेकिन थोड़े पैसे बचाने के चक्कर में कार चालक का 5 लाख की गाड़ी जलकर ‘स्वाहा’ हो गई और इंश्योरेंस का एक भी पैसा नहीं मिला. इंश्योरेंस कंपनी उस केस में क्लेम का पैसा रिजेक्ट कर देती है जब गाड़ी में लोकल पार्ट्स या फिर एक्स्ट्रा मॉडिफिकेशन करवाया गया हो जिससे आग लगने का चांस बढ़ सकता है.