Cheapest Dry Fruits Market: भारत की इस जगह पर मिलते हैं सबसे किफायती दामों में ड्राई फूट्स, दूसरे शहरों से भी आते है लोग
सेहत के लिए काजू बादाम बहुत गुणकारी होता है। विशेषज्ञ ड्राई फूट्स के सेवन की सलाह देते हैं। यह कमजोरी से छुटकारा दिलाने से लेकर आंखों की रोशनी, तेज दिमाग, याददाश्त अच्छी करने समेत कई समस्याओं में फायदेमंद हो सकते हैं।
हालांकि काजू बादाम की कीमतें बहुत महंगी होने के कारण इसे खरीद पाना इतना भी आसान नहीं होता। बाजारों में काजू-बादाम 800 से 1000 रुपये किलो के भाव में बिकता है।
ड्राई फ्रूट्स के फायदे (Benefits of dry fruits)
नट्स को हमेशा से ही हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद बताया गया है। नट्स उन सुपर फूड्स में से एक हैं, जिनके फायदे अनगिनत है। अखरोट, बादाम, काजू, पिस्ता जैसे नट्स को रोजाना अपनी डाईट का हिस्सा बनाना चाहिए।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, नट्स में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं, जिनकी जरूरत शरीर को होती है। ताकि शरीर बिना थके बिना रुके क्षमता से ज्यादा काम कर सके। नट्स में प्रोटीन, विटामिन्स, फाइबर, प्रोटीन समेत गुड फैट जैसे तत्व होते हैं, जिनकी वजह से शरीर कई तरह की बीमारियों से भी बचा रहता है।
सबसे सस्ती ड्राई फूट्स मार्केट
सबसे सस्ता ड्राई फूट्स भारत के झारखंड राज्य में बिकता है। झारखंड के जामताड़ा जिले को काजू नगरी के नाम से भी जाना जाता है। झारखंड में बड़ी मात्रा में काजू की खेती होती है। हर साल हजारों टन काजू की पैदावार होने के कारण यहां ड्राई फूट्स की कीमत कौड़ियों के भाव रहती है।
जामताड़ा में काजू बादाम की कीमत
भारत की बाजारों में बढ़िया काजू की कीमत लगभग 900 रुपये से एक हजार रुपये किलो है। लेकिन जामताड़ा में सड़क किनारे लोग काजू-बादाम बेचते हैं। आसानी से काजू 30 रुपये किलो और बादाम 40 रुपये प्रति किलो खरीदा जा सकता है।
जामताड़ा में क्यों सस्ता है काजू बादाम
जामताड़ा के नाला गांव में करीब 50 एकड़ जमीन पर काजू की खेती होती है। यहां काजू के बड़े-बड़े बागान हैं। इस कारण बागान में काम करने वाले लोग बहुत ही सस्ते दाम पर ड्रायफ्रूट्स को बेच देते हैं।
झारखंड की उपराजधानी दुमका में भी काजू की खेती की जाती है। इसके अलावा संथाल परगना प्रमंडल में काजू की भरपूर खेती होती है। यहां की जलवायु और मिट्टी काजू की खेती के लिए अनुकूल है।
हालांकि किसानों को उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। इसके अलावा इलाके में कोई प्रोसेसिंग प्लांट नहीं है, इस कारण ग्रामीण खेती से अधिक मुनाफा नहीं कमा पाते।