मुख्‍यमंत्री, जो एक हफ्ते भी कुर्सी पर नहीं रहे, कोई 1 तो कोई 3 दिन में हटा

हेमंत सोरेन को झारखंड के मुख्‍यमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा कर पाने से पहले ही इस्‍तीफा देना पड़ा. प्रवर्तन निदेशालय ने उन्‍हें जमीन घोटाला मामले में न्‍यायिक हिरासत में ले लिया.

बता दें कि पहले भी कई राज्‍यों में ऐसे मुख्‍यमंत्री हुए हैं, जो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. हम आज बात कर रहे हैं ऐसे मुख्‍यमंत्रियों की जो पूरे एक सप्‍ताह भी कुर्सी पर नहीं रह पाए. उन्‍हें अलग-अलग कारणों के चलते पद से इस्‍तीफा देना पड़ गया. इनमें कुछ सीएम 1 दिन ही पद पर रह पाए तो कुछ को 3 या 5 दिन में पद छोड़ना पड़ा.

एक दिन के मुख्‍यमंत्री की जब भी बात होती है तो सबसे पहले उत्‍तर प्रदेश के सीएम रहे जगदंबिका पाल का नाम ज़हन में आता है. हालांकि, वह एक दिन से कुछ ज्‍यादा यानी करीब 31 घंटे ही यूपी के सीएम रह पाए थे. दरअसल, 21 फरवरी 1998 को मायावती ने लखनऊ में कल्याण सिंह सरकार को गिराने की मंशा साफ कर दी थी. मुलायम सिंह यादव ने भी इसमें साथ देने का ऐलान कर दिया. उसी दिन दोपहर को मायावती बसपा, अजीत सिंह की भारतीय किसान कामगार पार्टी, जनता दल और लोकतांत्रिक कांग्रेस के विधायकों के साथ राजभवन पहुंच गईं. मायावती ने ऐलान किया कि कल्याण सिंह मंत्रिमंडल में यातायात मंत्री जगदंबिका पाल उनके विधायक दल के नेता होंगे.

मायावती के समर्थन से सीएम बने जगदंबिका पाल
मायावती ने यूपी के तत्‍कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी से कल्याण सिंह मंत्रिमंडल को तुरंत बर्खास्त करने का आग्रह किया. दलील दी गई कि उन्‍होंने बहुमत खो दिया है. उनकी जगह जगदंबिका पाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने की पैरवी की गई. कुछ देर बाद ही राजभवन पहुंचे कल्‍याण सिंह ने राज्‍यपाल रोमेश भंडारी से विधनसभा में बहुमत सिद्ध करने का मौका देने की मांग की. लेकिन, रोमेश भंडारी ने उनकी एक नहीं सुनी. रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त कर दिया. फिर 21 फरवरी की रात 10 बजे जगदंबिका पाल को यूपी के 17वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिला दी गई

जगदंबिका पाल बसपा प्रमुख मायावती के समर्थन से यूपी के तत्‍कालीन सीएम कल्‍याण सिंह को हटाकर मुख्‍यमंत्री बने थे.

बीजेपी ने राज्‍यपाल के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी
बीजेपी की ओर से अलग ही दिन यानी 22 फरवरी 1998 को नरेंद्र सिंह गौड़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में राज्यपाल के फैसले के खिलाफ याचिका दायर कर दी. हाईकोर्ट ने अगले दिन दोपहर 3 बजे राज्य में कल्याण सिंह सरकार को बहाल करने के आदेश दे दिए. जगदंबिका पाल ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. इस तरह जगदंबिका पाल को 31 घंटे के भीतर मुख्यमंत्री पद से इस्‍तीफा देना पड़ा. हाईकोर्ट ने कल्याण सिंह को 3 दिन में विधानसभा में विश्‍वास मत हासिल करने का निर्देश दिया. कल्‍याण सिंह को 26 फरवरी को शक्ति परीक्षण में 225 और जगदंबिका पाल को 196 विधायकों का समर्थन मिला. बता दें कि कल्याण सिंह को सिर्फ 213 विधायकों के समर्थन की जरूरत थी.

एक बार भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हरीश रावत
उत्तराखंड के पूर्व मुख्‍यमंत्री हरीश रावत तीन बार उत्तराखंड के सीएम बने. हालांकि, वह एक बार भी 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. वहीं, वह अपने दूसरे कार्यकाल में सिर्फ एक दिन के लिए ही मुख्‍यमंत्री बने थे. दरअसल, हरीश रावत को 1 फरवरी 2014 को उत्तराखंड का मुख्‍यमंत्री बनाया गया. करीब दो साल बाद 27 मार्च 2016 को उत्‍तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया. इसके बाद हरीश रावत ने 21 अप्रैल 2016 को दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इसके अगले ही दिन राज्य में फिर राष्ट्रपति शासन लागू हो गया. इस तरह उनका नाम भी महज 1 दिन सीएम रहने वाले नेताओं में शामिल है.

फडणवीस और येदियुरप्‍पा महज 3 दिन के सीएम बने
महाराष्‍ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने नवंबर 2019 में बतौर सीएम दूसरा कार्यकाल शुरू किया. फिर तीन दिन बाद ही उन्‍हें राजनीतिक उठापटक के चलते इस्तीफा देना पड़ा. वहीं, बीएस येदियरप्‍पा ने 17 मई 2018 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली, लेकिन महज 3 दिन बाद 19 मई को ही इस्तीफा देना पड़ा. हरियाणा के पूर्व मुख्‍यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला 1990 में 12 जुलाई से 17 जुलाई तक सिर्फ 6 दिन पद पर रह पाए थे.

देवेंद्र फडणवीस और बीएस येदियुरप्‍पा महज 3 दिन के लिए अपने-अपने राज्‍यों के सीएम बने थे.

नीतीश कुमार 8 दिन तो नबाम तुकी 4 दिन सीएम रहे
बिहार में नीतीश कुमार 2000 में 8 दिन के लिए मुख्यमंत्री बने. उन्होंने 3 मार्च 2000 को शपथ ली और 10 मार्च को इस्तीफा देना पड़ा. कांग्रेस के नबाम तुकी महज 4 दिन के मुख्‍यमंत्री रहे हैं. उन्‍हेंने अरुणाचल प्रदेश के मुख्‍यमंत्री के तौर पर 13 जुलाई 2016 को शपथ ली थी. लेकिन, 17 जुलाई 2016 को ही उन्‍हें पार्टी के अंदरूनी झगड़ों के कारण पद से इस्तीफा देना पड़ गया था. कांग्रेस नेता सतीश प्रसाद सिंह ने बिहार के मुख्‍यमंत्री के तौर पर 28 जनवरी 1968 को शपथ ली. उन्‍हें 1 फरवरी 1968 को ही इस्तीफा देना पड़ा. इस तरह वह महज 5 दिन के लिए मुख्यमंत्री बने थे.

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