China Economy: छह ट्रिलियन डॉलर स्वाहा… चीन के बाजार में क्यों हो रहा है निवेशकों का ‘कत्लेआम’

करीब दो दशक तक चीन की इकॉनमी रॉकेट की स्पीड से बढ़ी। साल 2007 से 2015 के बीच चीन ने हर साल अपनी इकॉनमी में एक ट्रिलियन डॉलर की बढ़ोतरी की थी। इस दौरान दुनियाभर के निवेशकों ने चीन पर जमकर पैसा लगाया था। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। पिछले साल भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजारों में तेजी आई जबकि चीन के स्टॉक मार्केट में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। नए साल में भी हालात नहीं बदले पिछला हफ्ता चीन के शेयर मार्केट के लिए बहुत खराब रहा। चीन सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी इकॉनमी का दम फूल रहा है और विदेशी निवेशकों में भागने की होड़ मची है। पिछले तीन साल में चीन के शेयर बाजार में निवेशकों के छह लाख करोड़ डॉलर स्वाहा हो चुके हैं।

पिछले हफ्ते शंघाई कंपोजिट इंडेक्स में 6.2 फीसदी गिरावट आई जो अक्टूबर 2018 के बाद सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट थी जबकि शेनजेन कंपोनेंट इंडेक्स में 8.1 फीसदी गिरावट रही। यह तीन साल में इसकी सबसे बड़ी गिरावट है। इस साल इन दोनों इंडेक्स में क्रमश: आठ और 15 परसेंट से ज्यादा गिरावट आई है। चीन के ब्लू-चिप सीएसआई इंडेक्स में 4.6 फीसदी गिरावट आई जो अक्टूबर 2022 के बाद सबसे ज्यादा है। इस इंडेक्स में इस साल सात फीसदी गिरावट आई है। इसमें शंघाई और शेनजेन में लिस्टेड 300 बड़े स्टॉक शामिल हैं। चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी है लेकिन पिछले कुछ समय से यह कई तरह की चुनौतियों से जूझ रहा है।

भारत बनाम चीन

देश में रियल एस्टेट मार्केट गहरे संकट में है, युवाओं की बेरोजगारी चरम पर है, डिफ्लेशन की स्थिति चल रही है और देश में आबादी में तेजी से गिरावट आ रही है। आईएमएफ के मुताबिक इस साल चीन की जीडीपी ग्रोथ 4.6 परसेंट रहने का अनुमान है जो कई दशक में सबसे कम है। साथ ही 2028 में चीन की जीडीपी ग्रोथ के घटकर 3.5 परसेंट रहने का अनुमान है। हॉन्ग कॉन्ग की एक अदालत ने चीन की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रैंड को बेचने का ऑर्डर दिया है। किसी जमाने में इस कंपनी को चीन के रियल एस्टेट सेक्टर का पोस्टर बॉय कहा जाता था और आज यह दुनिया की सबसे ज्यादा कर्ज में डूबी रियल एस्टेट कंपनी है।

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