भारत के इस नए विध्वंसक युद्धपोत से खौफ खाएगा चीन, समुद्र में आमने-सामने से देगा टक्कर

समुद्र में चीन की बढ़ती दखलंदाजी को रोकने के लिए भारतीय नौसेना अपनी ताकत को बढ़ा रही है. आर्मी और वायु सेना की ही तरह नौसेना को भी लेटेस्ट तकनीक के हथियारों और विध्वंसक युद्धपोतों से लैस किया जा रहा है. 26 दिसंबर को नौसेना की ताकत और बढ़ जाएगी क्योंकि इस दिन नए स्टील्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर इंफाल को कमीशन किया जाएगा. 15 बी स्वदेशी विध्वंसक इंफाल के कमीशन के वक्त केंद्रीय रक्षा राजनाथ सिंह भी मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड पर मौजूद रहेंगे.

यह स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक पूरी तरह से स्वदेश निर्मित है. इसकी खासियत यह है कि यह दुश्मनों के रडार को भी मात देते हुए आगे बढ़ जाएगा. मतलब दुश्मन के रडार को इसकी भनक तक नहीं लगेगी और यह अपने ऑपरेशन को अंजाम दे देगा. इसके साथ-साथ यह सतह से सतह और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से भी लैस रहेगी. इसके साथ-साथ इस पर एंटी सर्फेस वारफेयर के लिए ब्रह्मोस एंटी शिप मिसाइल सिस्टम भी लगा हुआ है.

डब्ल्यूडीबी ने किया है डिजाइन

भारत के इस खतरनाक विध्वंसक युद्धपोत को इन हाउस संगठन युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो (डब्ल्यूडीबी) की ओर से विकसित किया गया है. इसका निर्माण मझगांव डॉक लिमिटेड की ओर से किया गया है. इसकी कुल क्षमता 7,400 टन है और इसकी कुल लंबाई 164 मीटर है. यह खतरनाक मिसाइलों के साथ-साथ यह एंटी शिप मिसाइल, टॉरपीडो समेत अन्य अत्याधुनिक हथियार और सेंसर से लैस है.

उत्तर-पूर्वी शहर इंफाल के नाम पर पड़ा नाम

इम्फाल पहला ऐसा युद्धपोत है जिसका नाम देश के उत्तर-पूर्वी शहर इंफाल के नाम पर रखा गया है. नौसेना में कमिशन होने से पहले इसका परीक्षण भी किया गया था. इसके बाद इसे इस साल 20 अक्टूबर को भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया था. नौसेना ने भी अपने स्तर पर इसका परीक्षण किया. अब 26 दिसंबर को नौसेना इसे अपने बेड़े में शामिल कर लेगी. पिछले महीने इस पर सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण भी किया गया था. विध्वंसक युद्धपोत इंफाल को चलाने के लिए उसमें चार गैस टर्बाइन लगी हुई है. इसकी रफ्तार 30 समुद्री मीस से अधिक है.

समुद्री क्षेत्र में चीन की बढ़ेगी टेंशन

भारतीय नौसेना में इंफाल विध्वंसक के शामिल होने के बाद चीन की टेंशन बढ़ जाएगी. हाल फिलहाल में हिंद महासागर में जिस तरह से चीन की दादागिरी देखने को मिली है, अब उसकी सारी हेकड़ी निकल जाएगी. चीन अपने कई जासूसी जहाजों के जरिए हिंद महासागर में जासूसी का काम करता रहा है. अब भारत और मजबूती के साथ उसके सामने खड़ा होगा और उसकी हरकतों पर भी काफी करीब से नजर भी रख सकता है.

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