CPM नेता सीताराम येचुरी की तबीयत बिगड़ी, AIIMS में वेंटिलेटर पर किए गए शिफ्ट
दिल्ली एम्स में एडमिट सीपीएम नेता सीताराम येचुरी की गुरुवार को अचानक तबीयत बिगड़ गई है. उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया है. उनको फेफड़े में संक्रमण के उपचार के लिए 19 अगस्त को भर्ती कराया गया था. डॉक्टरों की टीम उनके इलाज में लगी हुई है. उन्होंने हाल ही में मोतियाबिंद की सर्जरी कराई थी. फिलहाल, एम्स के आईसीयू में एडमिट येचुरी की हालत नाजुक बनी हुई है.
सीताराम येचुरी भारतीय राजनीति का एक जाना पहचाना चेहरा हैं. वो भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव भी हैं. सीताराम येचुरी एक तमिल ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते हैं. राज्यसभा सांसद रहते हुए येचुरी को साल 2016 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार दिया गया था. येचुरी 1974 में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) में शामिल हो गए थे. इसके बाद एक साल के भीतर वो भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य बन गए.
JNU को बनाया वामपंथ का गढ़
सीताराम येचुरी और उनके उस समय के साथी प्रकाश करात ने मिलकर जेएनयू को वामपंथ का गढ़ बनाने में अहम भूमिका निभाई. लेफ्ट के नेता सीताराम येचुरी ने जेएनयू से इकोनॉमिक्स में मास्टर्स किया. इसके बाद उन्होंने इसमें पीएचडी में भी दाखिला लिया. लेकिन आपातकाल के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. इससे वो पीएचडी की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए.
2005 में पहली बार राज्यसभा सदस्य चुने गए
येचुरी साल 2005 में पहली बार पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के सदस्य बने थे. 18 अगस्त 2017 तक वो राज्यसभा सदस्य रहे. उन्होंने इस दौरान संसद में जनहित के कई मुद्दे उठाए. येचुरी राजनेता के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता, अर्थशास्त्री और पत्रकार और लेखक भी हैं. राजनीतिक दस्तावेज तैयार करने में इनकी राय को अहम माना जाता है. लंबे समय से कई अखबारों में कॉलम लिखते आए हैं. सीताराम येचुरी ने कई किताबें भी लिखी हैं. इसमें यह हिन्दू राष्ट्र क्या है, घृणा की राजनीति, 21वीं सदी का समाजवाद जैसी किताबें अहम हैं. कोरोनाकाल में इनके बड़े बेटे आशीष का निधन हो गया था. वो 35 साल के थे.