दोस्तों से बात करने से रोकेंगे तो बन जाएंगे विलेन, अपने बच्चे को बिना बताएं ऐसे करें कंट्रोल
सोशल मीडिया एक पॉवरफुल टूल है जिससे आप अपनी बातों को व्यक्त कर सकते हैं और दूसरों और अपनी रुचियों को शेयर कर सकते हैं। आजकल टीनएजर बच्चों के लिए भी सोशल मीडिया कनेक्ट रहने और कम्युनिकेट करने का एक अहम जरिया बन गया है। इससे बच्चे अपने दोस्तों और साथियों से जुड़े रह पाते हैं। टीनएज उम्र में बच्चे ऐसे कई ग्रुप चैट्स में भी इनवॉल्व होते हैं, जिन्हें लेकर अक्सर पैरेंट्स को चिंता सताती है।
जी हां, सोशल मीडिया के फायदे हैं, तो नुकसान भी हैं और हर पैरेंट को इससे होने वाले नुकसान को लेकर चिंता रहती है। अगर बच्चों और पैरेंट्स के बीच ओपन कम्युनिकेशन हो, तो इस तरह की स्थिति को आसानी से दूर किया जा सकता है।
अगर आप भी अपने टीनएज बच्चे की ग्रुप चैट को लेकर परेशान रहते हैं, तो इस आर्टिकल में जान सकते हैं कि आपको उसके साथ कैसे डील करना चाहिए।
आप दोनों के बीच आपसी समझ इतनी अच्छी होनी चाहिए कि वो आपसे खुलकर अपने मन की बात कह सके और अपनी परेशानियों को आपके साथ शेयर कर सके। इसके अलावा बच्चे को यह एहसास होना चाहिए कि आप उसकी बात सुनकर उसे जज नहीं करेंगे। आपका बच्चा आपसे अपने ऑनलाइन एक्सपीरियंस पर बात करने में कंफर्टेबल होना चाहिए। उससे पूछें कि वो ग्रुप चैट में किस टॉपिक पर बात करता है या वो ग्रुप बनाने का क्या उद्देश्य है। अपनी चिंता व्यक्त करने से पहले उसकी बात सुन लें।
आप अपने टीनएज बच्चे को ऑनलाइन जोखिमों के बारे में भी बताएं। इसमें साइबरबुलिंग, गलत कंटेंट या हानिकारक चुनौतियां शामिल हैं। बच्चे को सही उदाहरण देकर समझाएं और उसे एक जिम्मेदार डिजीटल बिहेवियर अपनाने की सीख दें। उसे बताएं कि उसे ऑनलाइन ऐसे ही किसी से भी अपनी निजी जानकारी शेयर नहीं करनी है और उसे मैसेजिंग ऐप्स पर प्राइवेसी सेटिंग के बारे में भी बताएं।