Dark Web पर लीक हुआ NEET का पेपर, क्या जालसाजों तक पहुंच सकती है पुलिस?

सड़क से संसद तक में NEET और और UGC-NET पेपर लीक को लेकर हल्ला मचा हुआ है. हर तरफ बस एक ही गूंज सुनाई दे रही है कि आखिर ऐसा हुआ तो हुआ कैसे…? पुलिस भी UGC-NET और NEET पेपर लीक मामले की जांच में जुटी हुई और जांच के दौरान पुलिस को Dark Web पर पेपर बेचे जाने की बात पता चली. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर डार्क वेब क्या बला है और यह किस तरह से काम करता है?
डार्क वेब एक ऐसी दुनिया है जो दिखती तो नहीं लेकिन इसका अस्तित्वहै. फ्रॉड करने वाले लोग गैरकानूनी काम के लिए Dark Web का ही सहारा लेते हैं, ये कहना गलत नहीं होगा कि डार्क वेब सभी तरह के अवैध कामों का ठिकाना बन चुका है. सवाल यह है कि क्या डार्क वेब पर गैर कानूनी काम करने वालों को पुलिस दबौच सकती है और क्या इसे ट्रैक किया जा सकता है?
Dark Web: ‘काली दुनिया’ का कड़वा सच
गूगल पर जितनी भी साइट्स हैं उनके यूआरएल में .com, .in और .org जैसे एक्सटेंशन मिलते हैं, लेकिन डार्क वेब के लिए .onion एक्सटेंशन का इस्तेमाल होता है. onion राउटिंग तकनीक डार्कवेब यूजर्स को सर्विलांस और ट्रैकिंग से बचाने में मदद करती है और साथ ही प्राइवेसी को बनाए रखने के लिए आईपी एड्रैस को बदलता रहता है.
आसान शब्दों में अगर आपको समझाएं तो डार्क वेब पर कई आईपी एड्रेस कनेक्ट और डिस्कनेक्ट होते रहते हैं और यही वजह है कि किसी को पकड़ पाना नामुमिकन हो जाता है. यही वजह है कि डार्क वेब से अगर कोई मैसेज आता है तो इस बात का पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि आखिर वो मैसेज किसने भेजा, कहां से भेजा और किस डिवाइस के जरिए भेजा.
ये बता पाना तो बहुत ही मुश्किल होगा कि आखिर डार्क वेब पर कितनी साइट्स हैं. शातिर अपराधी डार्क वेब पर जब भी कोई डील करते हैं तो क्रिप्टोकरंसी की डिमांड करते हैं जिससे कि ट्रांजैक्शन को ट्रेस न किया जा सके.
इसके अलावा डार्क वेब को Google या फिर Yahoo जैसे किसी भी साधारण ब्राउजर के जरिए एक्सेस नहीं किया जा सकता, इसके लिए एक टीओआर जैसे खास ब्राउजर की जरूरत पड़ती है.
आप भी पूछेंगे कि आखिर इस ब्राउजर में ऐसा क्या खास है? रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये ब्राउजर हिस्ट्री को सेव नहीं करता और इसके अलावा इस ब्राउजर पर आईपी एड्रेस को बदला जा सकता है, यही वजह है कि डार्क वेब पर गैर कानूनी कामों को अंजाम देने वाले शातिर अपराधियों को पकड़ना पुलिस के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमिकन हो जाता है.
क्या पकड़े जाएंगे जालसाज?
यही वजह है कि अपराधियों को दबोचना काफी मुश्किल हो जाता है, यही वजह है कि डार्क वेब पर रोक नहीं लग पाती है. डार्क वेब की इस काली दुनिया का इस्तेमाल स्कैम, फिशिंग, लोगों का डेटा लीक करने, अकाउंट हैक करने जैसे कई कामों के लिए किया जाता है.
डार्क वेब एक ऐसी अंधेरी दुनिया है जहां गैरकानूनी काम को अंजाम देने वाले लोगों को पकड़ना आसान बात नहीं है. ऐसे में ये कह पाना मुश्किल है पुलिस के लंबे हाथ डार्क वेब पर NEET और UGC-NET पेपर लीक करने वालों की गर्दन तक पहुंच भी पाएंगे या नहीं?

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