वीर सावरकर को भारत रत्न देने की मांग, इंदौर की मराठी संस्थाओं द्वारा आज मनाई गई 58वीं पुण्यतिथि

मध्य प्रदेश सहित पूरे भारत में आज वीर सावरकर की 58 भी पुण्यतिथि मनाई गई। इस मौके पर समस्त मराठी भाषी संस्थाओं द्वारा वीर विनायक दामोदर सावरकर को भारत रत्न देने की भी मांग उठाई।

इंदौर में सोमवार की सुबह 8 बजे संस्थाओं द्वारा वीर सावरकर चौक जंजीर वाला चौराहा स्थित सावरकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।

वीर सावरकर के पुण्यतिथि पर प्रगति नगर पानी टंकी स्थित निगम सभागृह में धर्म सभा शंकराचार्य प्रीतम के राष्ट्रीय अध्यक्ष वेद मूर्ति धनंजय शास्त्री वेद का व्याख्यान भी हुआ। इसमें स्वतंत्रता संग्राम के दो अपेक्षित महानायक वीर सावरकर और सुभाष चंद्र बोस के विषय पर संबोधन हुआ।

वीर सावरकर की 58 सी पुण्यतिथि पर मराठी भाषी संस्थाओं के सदस्य बड़ी संख्या में रहवासियों के साथ कार्यक्रम में शामिल हुए। इस मौके पर क्षेत्र के रेवासियों के लिए वीर सावरकर जीवन क्रमांक 21 की सुविधा प्रारंभ करने के लिए वरिष्ठ नेताओं का अभिवादन भी किया गया।

मध्य प्रदेश भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने सावरकर की 58 सी पुण्यतिथि पर बताया कि मां भारती के वीर सपूत, प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक, महान स्वतंत्रता सेनानी व समाज सुधारक विनायक दामोदर वीर सावरकर जी की पुण्यतिथि पर भावपूर्ण नमन। अंग्रेजों द्वारा दी गई कालापानी की कड़ी सजा को भी महातीर्थ मानकर राष्ट्ररक्षा के प्रति उनका त्याग हम सभी के लिए प्रेरणादायी है।

कौन है वीर सावरकर

विनायक दामोदर सावरकर का जन्म 28 में 1883 को महाराष्ट्र के मुंबई प्रेसिडेंसी में नासिक के निकट भगोर गांव में हुआ था। वह भारत की क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, इतिहासकार और राजनेता व विचारक थे। उनके समर्थक और उन्हें मानने वाले लोग वीर सावरकर के नाम से उन्हें संबोधित करते थे। हिंदू राष्ट्रवाद की राजनीतिक विचारधारा हिंदुत्व को विकसित करने का बहुत बड़ा श्रेय वीर सावरकर को जाता है।

सावरकर वकील, राजनीतिक, कवि, लेखक और नाटककार भी थे। उन्होंने परिवर्तित हिंदुओं को वापस अपने धर्म में लौट के लिए लगातार प्रयास किया। इसके लिए उन्होंने आंदोलन भी चलाएं। उन्होंने भारत की एक सामूहिक हिंदुत्व पहचान बनाने के लिए हिंदुत्व का शब्द गड़ा।

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