DGCI का बड़ा एक्शन, प्रेसबायोपिया पर दावों के चलते आई ड्रॉप की मंजूरी निलंबित; कंपनी बोली- फैसले के खिलाफ कोर्ट जाएंगे

भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने अहम फैसला लेते हुए नई आई ड्रॉप को लेकर दी गई अपनी मंजूरी निलंबित कर दी है. आई ड्रॉप को लेकर मुंबई स्थित एनटोड फार्मास्यूटिकल्स (Entod Pharmaceuticals) के दावों पर गंभीरता दिखाते हुए डीसीजीआई ने कंपनी को अपनी नई आई ड्रॉप को बनाने और बिक्री के लिए दी गई मंजूरी को निलंबित कर दिया है. हालांकि कंपनी ने कहा है कि वो फैसले के खिलाफ कोर्ट में अपील करेगी.
एनटोड फार्मास्यूटिकल्स की ओर से नई आई ड्रॉप के बारे में यह दावा किया गया था कि यह प्रेसबायोपिया से प्रभावित लोगों के लिए चश्मे पर निर्भरता कम करने में मदद कर सकती है. हालांकि नेशनल आई इंस्टीट्यूट के अनुसार, प्रेसबायोपिया होने की स्थिति में अधेड़ और अन्य वयस्क लोगों के लिए करीब की चीजों को देखना मुश्किल हो जाता है. हालांकि, एनटोड फार्मास्यूटिकल्स के सीईओ निखिल के. मसुरकर ने कहा कि कंपनी इस निलंबन को कोर्ट में चुनौती देगी.
पिछले महीने DGCI ने दी थी अनुमति
देश की औषधि नियामक संस्था ने बताया कि कंपनी ने जिस ड्रग प्रोडक्ट के लिए दावे किए, उसके लिए उसने सेंट्रल लाइसेंसिंग अथॉरिटी से जरूरी मंजूरी नहीं ली, इस तरह से न्यू ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल रूल्स, 2019 के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया. डीसीजीआई ने मंगलवार (10 सितंबर) को जारी आदेश में कहा कि निदेशालय ने वयस्कों में प्रेसबायोपिया के इलाज के लिए पिलोकार्पाइन हाइड्रोक्लोराइड ऑफ्थैल्मिक सॉल्यूशन (Pilocarpine Hydrochloride Ophthalmic Solution) को तैयार करने और मार्केटिंग के लिए पिछले महीने 20 अगस्त को इजाजत दी थी.
हालांकि इसके बाद 4 सितंबर को टॉप ड्रग रेगुलटर ने मीडिया में किए गए दावों को लेकर दवा बनाने वाली कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा था, जिसके बाद दवा निर्माता ने अपना जवाब दिया था. कंपनी की ओर से किए गए दावे में इसे पढ़ने के लिए चश्मे की जरुरत को कम करने के वास्ते देश में निर्मित पहली आई ड्रॉप बताया गया था. कंपनी ने यह भी कहा कि फिलहाल में भारत में प्रेसबायोपिया के उपचार के लिए कोई अन्य आई ड्रॉप की स्वीकृति नहीं मिली है.
DGCI ने अपने फैसले में क्या कहा
डीसीजीआई की ओर से आदेश में कहा गया, इस संबंध में, आपको सूचित किया जाता है कि पिलोकार्पाइन हाइड्रोक्लोराइड ऑफ्थैल्मिक सॉल्यूशन यूएसपी 1.25% w/v को ऐसे किसी दावे के लिए अनुमोदित नहीं किया गया है कि पढ़ने के लिए चश्मे की जरुरत को कम करने के वास्ते इसे तैयार किया गया है. जबकि कंपनी ने यह दावा किया था कि यह आई ड्रॉप एक ऐसी दवा है जो चश्मे की जरुरत के बिना करीब की चीजों को देखने के लिए रोशनी को बढ़ा सकती है.
आदेश में यह भी कहा गया, आपको बताया जाता है कि पिलोकार्पाइन हाइड्रोक्लोराइड ऑफ्थैल्मिक सॉल्यूशन यूएसपी 1.25% w/v वयस्कों में प्रेसबायोपिया के इलाज के लिए स्वीकृत है. जबकि इस दावे के लिए स्वीकृत नहीं है कि ये आई ड्रॉप चश्मे की जरुरत के बिना निकट आंख की रोशनी को बढ़ा सकती है. औषधि नियामक ने यह भी कहा कि कंपनी इस मामले में अन्य सवालों का जवाब देने में नाकाम रही है. उसने उस प्रोडक्ट के लिए दावों को सही ठहराने की कोशिश की जिसके लिए कोई अनुमोदन नहीं दिया गया था.
आदेश में आगे कहा गया कि मीडिया में आई कई खबरों पर विचार करते हुए, ऐसी संभावना है कि कंपनी की ओर से जो दावे किए जा रहे हैं उससे आम जनता गुमराह हो सकती है, जिसके लिए कोई मंजूरी ही नहीं दी गई थी. इस तरह से सार्वजनिक हित पर विचार करते हुए, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की न्यू ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल रूल्स, 2019 के नियम 84 के प्रावधानों के तहत पिलोकार्पाइन हाइड्रोक्लोराइड ऑफ्थैल्मिक सॉल्यूशन यूएसपी 1.25% w/v को तैयार करने और बेचने को लेकर जारी की गई अनुमति को अगले आदेश तक निलंबित की जाती है.

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