Dil-Luminati Tour: अमर सिंह चमकीला के ‘अखाड़े’ से दिलजीत दोसांझ के ‘कॉन्सर्ट’ तक, कैसे बदल गया म्यूजिक का बिजनेस?

पंजाबी सिंगर दिलजीत दोसांझ की इस साल एक फिल्म आई थी ‘अमर सिंह चमकीला’, जो पंजाब के इसी नाम के एक फोक सिंगर की जिंदगी पर बनी थी. ये फिल्म उस दौर की कहानी कहती है, जब आज की तरह सिंगर्स के ‘कॉन्सर्ट’ नहीं होते थे, बल्कि गांव-गांव में ‘अखाड़े’ लगा करते थे. दिलजीत दोसांझ के साथ अखाड़ा और कॉन्सर्ट दोनों का ही जबरदस्त कनेक्शन है, क्योंकि उनकी फिल्म में उस सिंगर की कहानी है जो अपने दौर का सबसे महंगा ‘अखाड़ा सिंगर’ था और दिलजीत दोसांझ आज ऐसे भारतीय आर्टिस्ट बन चुके हैं जिनके कॉन्सर्ट की विदेशों में धूम हैं. आखिर म्यूजिक इंडस्ट्री से जुड़े इन दोनों तरीकों में बिजनेस और कमाई के लेवल पर क्या अंतर है?
दिलजीत दोसांझ ने हाल में उत्तरी अमेरिका कॉन्टिनेंट में अपना ‘दिल-लुमिनाटी टूर’ कॉन्सर्ट किया था. अमेरिका में इस शो के 54 लाख टिकट बिके थे और इससे करीब 234 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जेनरेट हुआ था. कनाडा के वैंकूवर में हुआ उनका ये कॉन्सर्ट भारत के बाहर पंजाबी म्यूजिक पर बेस्ड आज तक का सबसे बड़ा कॉन्सर्ट था. 80 के दशक के ‘अखाड़ा’ का बिजनेस मॉडल इससे कितना अलग था?
‘अखाड़ा’ से कैसे होती थी सिंगर्स की कमाई?
सबसे पहली बात तो ये समझ लीजिए कि जिस दौर में ‘अखाड़े’ का चलन था, उस दौर में टिकट की कोई व्यवस्था नहीं थी. अखाड़ा में दर्शकों के लिए कोई टिकट नहीं था, ना ही उसके लिए मारामारी थी जैसी अभी दिलजीत दोसांझ या कोल्डप्ले के कॉन्सर्ट के लिए मची है. टिकट नहीं मिल पाने की वजह से सोशल मीडिया पर वायरल होते मीम्स तो बिलकुल नहीं थे. हां, एक चीज कॉमन थी बिलकुल आज की तरह और वो था अपने पसंदीदा सिंगर्स को सुनने के लिए लोगों का पागलपन.
तो अखाड़ा काफी लोकल इवेंट होता था, जो गांव में किसी के घर या खेतों में स्टेज लगाकर एक कॉमन गैदरिंग की तरह होता था. पूरा गांव इसे सुनने आ सकता था, क्योंकि इसमें टिकट नहीं होता था. जैसे ही किसी गांव में अखाड़ा लगने का ऐलान होता, तो लोग सिंगर को सुनने पहुंच जाते. उस दौर में जो भी अखाड़ा आयोजक होते, वो सिंगर को फिक्स पैसा देते और खुद वहां आने वाली जनता से मिले पैसे, रिकॉर्डिंग इत्यादि से पैसे कमाते. सिंगर का मेहनताना उसकी पॉपुलैरिटी पर डिपेंड करता.
दिलजीत दोसांझ ने जिस अमर सिंह चमकीला के किरदार पर फिल्म बनाई, अपने समय में वह पंजाब में अखाड़ों में गाने वाले सबसे हाई-पे सिंगर थे. उनकी पॉपुलैरिटी इतनी थी कि 365 दिन के साल में उनके 366 अखाड़ा शो थे. हालांकि समय के साथ म्यूजिक इंडस्ट्री का बिजनेस बदल गया और अब सिंगर्स कॉन्सर्ट से जमकर कमाई करते हैं.
‘कॉन्सर्ट’ से कैसे होती है सिंगर्स की कमाई?
आज का टाइम बिग कॉन्सर्ट्स का है. दिलजीत दोसांझ के दिल्ली में होने वाले कॉन्सर्ट के इतने टिकट बिके कि उन्हें अपने फैन्स के लिए दिल्ली में एक और एक्स्ट्रा शो अनाउंस करना पड़ा है. वहीं उन्होंने अपने ‘Dil-Luminati India Tour’ का विस्तार करते हुए जयपुर और मुंबई में भी एक शो अनाउंस किया है. इसके बाद कोल्डप्ले के कॉन्सर्ट की टिकट का भी यही हाल है.
‘कॉन्सर्ट’ में कमाई का तरीका ‘अखाड़े’ से बिलकुल अलग होता है, क्योंकि इसमें दर्शकों को टिकट लेकर ही वेन्यू पर एंट्री मिलती है. इसके अलावा कई और साइड बिजनेस से भी इन इवेंट्स में कमाई जेनरेट की जाती है. जैसे वेन्यू पर खाने-पीने की चीजों के स्टॉल, शराब की बिक्री (हर जगह नहीं होती), शो के लिए मिलने वाली स्पॉन्सरशिप, टीवी और वेबकास्टिंग के राइट्स और उन पर आने वाले विज्ञापन इत्यादि से पैसा जेनरेट होता है.

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