फर्जी खबरों से निपटने के लिए नए IT कानूनों के खिलाफ याचिका पर खंडित फैसला; जानें जजों का मत

सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ फर्जी खबरों से निपटने के लिए संशोधित सूचना प्रौद्योगिकी नियमों को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने खंडित फैसला सुनाया। बता दें सुनवाई के दौरान न्यायाधीश गौतम पटेल याचिकाकर्ताओं की दलीलों से सहमत हुए वहीं न्यायाधीश नीला गोखले ने सरकार के पक्ष को बरकरार रखा।

सुनवाई के दौरान न्यायाधीश गौतम पटेल ने कहा कि खंडपीठ के जजों में इसको लेकर मतभेद हैं। मैंने याचिका का समर्थन किया, तो अन्य न्यायाधीश गोखले ने इस पर असहमति जताई, इसलिए अब इस मामले की सुनवाई तीसरे न्यायाधीश द्वारा नए सिरे से की जाएगी।

मामले को लेकर जजों में असहमति

मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि दोनों जजों में असहमति के चलते मामला हाईकोर्ट के मुख्यम न्यायाधीश के सामने रखा जाएगा।, जो इसे तीसरे न्यायाधीश को सौंपेंगे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को दिए गए पहले के आश्वासन को दस दिनों के लिए बढ़ाने पर सहमति जताई कि जब तक फैसला नहीं आ जाता, सरकार संशोधित आईटी नियमों के तहत स्थापित की जाने वाली फैक्ट चेकिंग यूनिट (एफसीयू) को पहचानने और हरी झंडी दिखाने के लिए अधिसूचित नहीं करेगी। पीठ ने इस कथन को स्वीकार कर लिया।

क्या है फैक्ट चेकिंग यूनिट (एफसीयू)

नियमों के मुताबिक, अगर फैक्ट चेकिंग यूनिट (एफसीयू) को ऐसे किसी पोस्ट के बारे में पता चलता है या उसके बारे में सूचित किया जाता है जो फर्जी, गलत है या जिसमें सरकार के व्यवसाय से संबंधित भ्रामक तथ्य हैं, तो वह इसे सोशल मीडिया मध्यस्थों को भेज देगा। मध्यस्थ के पास पोस्ट को हटाने का विकल्प होता है। गौरतलब है कि स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन्स ने नियमों के खिलाफ याचिकाएं दायर कीं। जिसमें इस नियम को उन्होंने मनमाना और असंवैधानिक बताया।

हालांकि केंद्र सरकार ने कहा कि यह किसी के खिलाफ नहीं बल्कि इन नियमों का उद्देश्य सोशल मीडिया में झूठे और भ्रामक तथ्यों को प्रतिबंधित करना है। गौरतलब है कि छह अप्रैल, 2023 को, केंद्र सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में कुछ संशोधनों की घोषणा की थी।

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