Dussehra 2024: दुनिया का इकलौता सीता मंदिर! जहां अशोक वाटिका के मिलते हैं निशान
Sita Amman Temple: दशहरे का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. दशहरे पर ही भगवान राम ने रावण का वध किया था. हिंदू धर्म में ये त्योहार काफी मायने रखता है. दशहरे वाले दिन भारत में दुनिया के कई देशों में रावण दहन किया जाता है. लेकिन श्रीलंका में लोग इस दिन रावण दहन न करके धार्मिक कार्य यानी मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना करते हैं. दशहरे के खास मौके पर हम आपको श्रीलंका में मौजूद दुनिया के एक मात्र मां सीता के मंदिर के बारे में बताएंगे.
श्रीलंका में सीता अम्मन मंदिर है. ये पूरी दुनिया में सीता अम्मन कोविले के नाम से विख्यात है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, सीता एलिया वही जगह है, जहां रावण ने माता सीता को बंदी बनाकर रखा था. इस जगह की खास बात ये है कि यहां लाखों की संख्या में अशोक वाटिका के पेड़ मौजूद हैं. आइए आपको इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं.
5000 हजार साल पुरानी मूर्तियां
सीता टेंपल को सीता एलिया के नाम से भी जानते हैं. माना जाता है कि इस मंदिर में राम, लक्ष्मण और सीता की मूर्तियां लगभग 5000 वर्ष पुरानी हैं. ये उन 5 जगहों में से एक है, जहां मां सीता को बंदी बनाकर रखा गया था. यह भी माना जाता है कि इस मंदिर के सामने एक पहाड़ है, जहां रावण का महल है. यहां मुख्य आकर्षण का पैर विशाल पैर के निशान हैं, जिसके बारे में मान्यता है कि ये भगवान हनुमान के हैं.
अशोक वाटिका
सीता एलिया वही जगह है, जिसे हिंदू पुराणों में अशोक वाटिका कहा गया है. माना जाता है कि माता सीता की खोज करते हुए इसी जगह पर भगवान हनुमान ने पहली बार श्रीलंका की धरती पर अपने कदम रखे थे. इसके बाद, हनुमान जी ने माता सीता को अंगूठी दिखाई. माता सीता की आज्ञा पाकर ही हनुमान जी ने अपनी भूख मिटाने के लिए पूरी अशोक वाटिका तहस-नहस कर दी थी.
नहीं जली थी अशोक वाटिका
मंदिर में मौजूद अशोक वाटिका को लेकर कहा जाता है कि लंका दहन के समय ये जगह नहीं जली थी. सीता एलिया से होकर एक नदी बहती है, जिसे सीता के नाम से ही जाना जाता है. इसलिए नदी के एक तरफ की मिट्टी पीली है लेकिन दूसरी तरफ की मिट्टी जल जाने की वजह से काली पड़ गई.