ED के दस्तावेजों में बड़ा खुलासा- “सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले बड़े सिंडिकेट का हिस्सा हैं हेमंत सोरेन”
ईडी के दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले बड़े सिंडिकेट का हिस्सा हैं. इन दस्तावेजों के मुताबिक- सोरेन ने 12 संपत्तियों पर अवैध कब्जा किया गया, यानी करीब 8.5 एकड़ की करोड़ों की सरकारी जमीन पर कब्जा किया गया. ये सब फर्जी सेल डीड और दस्तावेजों के आधार पर किया गया. उन पर रेवेन्यू रिकॉर्ड में हेराफेरी का आरोप है. पिछले साल 13 अप्रैल को छापेमारी में रेवेन्यू सब इंस्पेक्टर भानु प्रताप के यहां जमीन से जुड़े रिकॉर्ड और रजिस्टर मिले थे, जिसके बाद जून में भानु प्रताप के खिलाफ रांची पुलिस ने केस दर्ज किया था. रांची पुलिस की एफआईआर पर इस मामले में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था. इसकी जांच हुई तो पता चला कि भानु प्रताप उस बड़े सिंडिकेट का हिस्सा था, जो सरकारी जमीनों की फर्जी सेल डीड बनाकर और रेवन्यू रिकॉर्ड में हेराफेरी करके जमीनों पर कब्जा करवाता था. ऐसी ही कई जमीनों पर हेमंत सोरेन का भी कब्जा था. यही नहीं सोरेन की कई संपत्तियों की जानकारी भानु प्रताप के मोबाइल से भी मिली.
सोरेन पर अवैध तरीके से जमीन पर कब्जा करने के आरोप
तथ्यों के मुताबिक- ऐसे 12 जमीन के टुकड़ों की लिस्ट मिली है, जो लगभग 8.5 एकड़ में है. बताया गया कि इन जमीनों पर सोरेन ने अवैध तरके से कब्जा किया. इन जमीनों की फोटोज में भानु प्रताप ने हाथ से कुछ लिखा भी था, उसे भी वेरिफाई किया गया. इस मामले में कई और लोगों के पीएमएलए के तहत बयान दर्ज किए, उन्होंने भी बताया की ये जमीन के टुकड़े सोरेन ने अवैध तरीके से कब्जा किए और इन पर सोरेन का स्वामित्व है. ईडी ने पीएमएलए के तहत एक सर्वे किया और पाया कि इन जमीनों पर सोरेन का अवैध कब्जा है. ये 8.5 एकड़ जमीन अपराध से कमाई की आय का हिस्सा है. दस्तावेजों के मुताबिक- सोरेन इन जमीनों के अधिग्रहण और कब्जा करने में सीधे तौर पर जुड़े हैं और अपराध से आय अर्जित करने में वो सीधे तौर पर शामिल हैं. भानुप्रताप के साथ सीधे इस सिंडिकेट में जुड़ना और जमीनों पर अवैध तरीके से कब्जा करना पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी का पुख्ता आधार है.
अपनी कहकर ऐसे बेची गई सेना की जमीन….
ईडी की जांच में ये बात भी सामने आई कि सेना की जमीन का असली मालिक प्रदीप बागची को दिखाने के लिए लैंड माफियाओं और नौकरशाहों ने मिलकर काम किया. इसके लिए फर्जी दस्तावेज बनाकर इसे 1932 का दिखाया गया. इसी में प्रदीप बागची को मालिक दिखाकर लिखा गया था कि ये जमीन प्रफुल्ल बागची ने सरकार से खरीदी. फिर 90 साल बाद 2021 में प्रफुल्ल बागची के बेटे प्रदीप ने कोलकाता की जगतबंधु टी स्टेट लिमिटेड को बेची. टी एस्टेट के डायरेक्टर दिलीप घोष हैं, लेकिन जब ईडी ने जांच की तो पता चला कि जमीन अमित अग्रवाल नाम के व्यक्ति को मिली. ईडी दिलीप घोष और अमित अग्रवाल को अरेस्ट कर चुकी है. वहीं अमित अग्रवाल वही व्यक्ति हैं, जिन्हें कथित तौर पर सीएम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का करीबी बताया जाता है.
ये है 600 करोड़ का घोटाला, 14 हो चुके हैं पहले गिरफ्तार
करीब 600 करोड़ के इस घोटाले में सरकारी जमीन का मालिकाना हक बदलकर उसे बिल्डरों को बेच दिया गया. ईडी इस मामले में रांची के पूर्व डीसी आईएएस अफसर छवि रंजन समेत 14 लोगों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है, जिनके नाम हैं प्रदीप बागची, अफसर अली, तल्हा खान, सद्दाम हुसैन, इम्तियाज अहमद, फैयाज खान, छवि रंजन, भानू प्रताप प्रसाद, दिलीप घोष, अमित अग्रवाल, राजेश राय, विष्णु अग्रवाल, प्रेम प्रकाश और भरत प्रसाद.
अवैध खनन घोटाले में भी ईडी की रडार पर ऐसे आए सोरेन
बता दें कि हेमंत सोरेन कथित अवैध खनन घोटाले में भी ईडी की नजर में हैं. इस मामले में ईडी ने 2022 में पंकज मिश्रा को अरेस्ट किया था, जो सोरेन के करीबी बताए जाते हैं. छापेमारी के दौरान पंकज मिश्रा के घर से सोरेन की बैंक पासबुक और साइन की हुई चेकबुक मिली थी. ईडी ने दावा किया था कि मिश्रा के घर से एक सीलबंद लिफाफा भी मिला, जिसमें पासबुक, दो चेक बुक और दो साइन किए चेक मिले. सब हेमंत सोरेन के थे.
सोशल मीडिया पर हेमंत सोरेन ने दिया ये संदेश
गिरफ़्तारी के बाद हेमंत सोरेन की तरफ़ से सोशल मीडिया एक्स पर संदेश जारी किया गया कि. यह एक विराम है… जीवन महासंग्राम है.. हर पल लड़ा हूं… हर पल लड़ूंगा… पर समझौते की भीख मैं लूंगा नहीं…. इस बीच सोरेन की गिरफ़्तारी के विरोध में आदिवासी संगठनों ने आज झारखंड बंद का ऐलान किया है.