सर्वाइकल कैंसर से बचाव में वैक्सीन की एक डोज भी प्रभावी, साल 2010 से चल रही है निगरानी

सार्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए देश में मौजूद वैक्सीन की एक डोज भी प्रभावी है। एक डोज के बाद भी महिलाओं में प्रतिरक्षा के वही परिणाम दिख रहे हैं, जो तीन डोज के बाद मिलते थे। दरअसल साल 2009 से देश में सर्वाइकल कैंसर के बचाव के लिए टीकाकरण किया जा रहा है।

10 से 15 साल की उम्र में लड़कियों को उस समय वैक्सीन की तीन डोज दी जाती थी। एम्स दिल्ली सहित देश में दूसरे बड़े अस्पतालों में साल 2010 से ऐसी लड़कियों की निगरानी की गई।

निगरानी करने के बाद एक लंबे अंतराल के बाद डोज की संख्या तीन से घटाकर दो की गई। उसके बाद तीन डोज और दो डोज लेने वालों की दोनों तरह की निगरानी की गई। निगरानी में पाया गया कि जो परिणाम तीन डोज में मिल रहे हैं वही परिणाम दो डोज में भी मिल रहे हैं। इसके बाद विशेषज्ञों ने वैक्सीन की डोज की संख्या को घटाकर एक कर दिया। इसके बार फिर से निगरानी की गई। निगरानी के बाद भी यह पाया गया कि जो परिणाम तीन डोज के थे, वहीं परिणाम एक डोज के भी हैं। इस निगरानी प्रक्रिया के दौरान विशेषज्ञों का मानना है कि सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए एक डोज ही प्रभावी है।

एम्स में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रमुख प्रोफेसर डॉ. नीरजा भाटला ने कहा कि एम्स में साल 2010 से टीकाकरण के बाद लड़कियों की निगरानी कर रहे हैं। अभी तक के परिणाम बताते हैं कि सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ वैक्सीन की एक डोज भी प्रभावी है। सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए मौजूदा समय में तीन वैक्सीन मौजूद हैं

 

 

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