Explained : चांदी की अभी और बढ़ेगी साख, कीमतें पहुंच जाएंगी 1.25 लाख!
कुछ महीनों पहले कमोडिटी से जुड़े जानकार इस को पुख्ता तौर पर कह रहे थे कि चांदी के दाम साल के अंत में एक लाख तक पहुंच जाएंगे. लेकिन मौजूदा कैलेंडर ईयर का पांचवा महीना भी खत्म नहीं हुआ है और एमसीएक्स पर चांदी की कीमत 96 हजार रुपए और दिल्ली सर्राफा बाजार में 97 हजार रुपए क्रॉस कर चुकी हैं.
अब अनुमान ये लगाया जा रहा है कि चांदी की कीमतें कुछ हफ्तों में एक लाख रुपए पार कर सकती हैं. अब सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा हो गया है कि साल के अंत तक चांदी की कीमतें किस लेवल पर जा सकती है. तो इसका जवाब है 1.25 लाख रुपए. जी हां, ग्लोबल और स्थानीय लेवल पर चांदी को लेकर जिस तरह का माहौल बना हुआ दिखाई दे रहा है, उसकी वजह से चांदी के दाम सवा लाख रुपए पर जा सकते हैं.
जानकारों की मानें तो मौजूदा समय में चांदी की सप्लाई लगातार शॉर्ट देखने को मिल रही है. जबकि डिमांड मुकाबले में काफी ज्यादा है. दूसरी ओर दुनियाभर के सेंट्रल बैंक आएने वाले कुछ महीनों में पॉलिसी रेट में कटौती करेंगे. जिसकी वजह से डॉलर इंडेक्स में कमजोरी आएगी और चांदी के दाम में उछाल देखने को मिलेगा. चांदी का इंडस्ट्रीयल कंजंप्शन लगातार बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है.
गोल्ड सिल्वर रेश्यो में लगातार कमी देखने को मिल रही है. इसका असर भी चांदी के दाम में देखने को मिल रहा है. चीन और भारत की ओर से चांदी की बाइंग में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. इंडस्ट्रीयल मेटल्स में तेजी का असर चांदी की कीमतों में साफ देखा जा रहा है.
इसके अलावा चांदी ने एक बार फिर से 50 डॉलर प्रति ओंस की ओर देखना शुरू कर दिया है. जिसकी वजह से चांदी की कीमत में इंटरनेशनल मार्केट में साथ भारत में भी तेजी देखने को मिल रही है. आइए आपको भी समझाने का प्रयास करते हैं कि अगले सात महीनों में चांदी के दाम सवा लाख रुपए पहुंच सकते हैं.
1.25 लाख रुपए पर कैसे पहुंच सकती है चांदी?
सप्लाई की कमी : सिल्वर इंस्टीट्यूट इंडस्ट्री एसोसिएशन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल सिल्वर डेफिसिट 17 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है जोकि जो 2024 में 215.3 मिलियन औंस तक पहुंच जाएगा। यह इजाफा मुख्य रूप से स्ट्रांग इंडस्ट्रीयल कंजंप्शन के कारण मांग में 2 फीसदी की वृद्धि के साथ-साथ कुल सप्लाई में 1 फीसदी की गिरावट के कारण है. यही वजह है कि ग्लोबल मार्केट के साथ भारत में भी चांदी के दाम में इजाफा देखने को मिल रहा है.
सेंट्रल बैंकों की ओर से रेट कट : दुनियाभर से महंगाई को लेकर जो खबरें सामने आ रही हैं, उससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि अमेरिकी फेड रिजर्व के साथ-साथ दुनियाभर के सेंट्रल बैंक रेट कट की तैयारी करने के बारे में सोच रहे हैं. जिसकी वजह से डॉलर इंडेक्स में गिरावट देखने को मिलेगी और गोल्ड के साथ चांदी की कीमत में भी तेजी देखने को मिलेगी. मौजूदा समय में डॉलर इंडेक्स 105 से ऊपर चला गया है.
इंडस्ट्रीयल कंजंपशन में इजाफा : चांदी एक इंडस्ट्रीयल मेटल्स है. दुनिया का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब चीन अब ओपन हो गया है. चीन की पॉलिसीज की वजह से वहां पर दोबारा से इंडस्ट्रीज शुरू हो गई हैं. जिसकी वजह से चांदी का इस्तेमाल लगातार हो रहा है. सिर्फ चीन में ही नहीं बल्कि भारत, अमेरिका, ताइवान, जापान, भारत और बाकी देशों में भी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में चांदी का कंजंपशन ज्यादा होता है. जिसका असर चांदी की कीमतों में देखने को मिल रहा है.
गोल्ड सिल्वर रेश्यो : वहीं दूसरी ओर गोल्ड-सिल्वर रेश्यो में लगातार कमी देखने को मिल रही है. जिसका असर चांदी के दाम में देखने को मिल रहा है. कुछ साल पहले ये लेवी 112 पर पहुंच गया है. जो घटकर 72 पर आ गया है. जानकारों की मानें तो आने वाले महीने में गोल्ड सिल्वर के रेश्यो 64-65 पर आने की संभावना दिखाई दे रही है. जिसकी वजह से चांदी की कीमतें रॉकेट बन सकती है.
इंवेस्टमेंट कंजंप्शन में भी इजाफा : एएमएफआई के अनुसार, सिल्वर ईटीएफ और डिजिटल सिल्वर इंवेस्टमेंट निवेशकों के बीच काफी पॉपुलर हो गया है. अप्रैल 2024 में सिल्वर फंड फोलियो में 190.46 फीसदी की वृद्धि हुई है. 2024 में सिल्वर ईटीएफ ने सोने से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 26.08 फीसदी का रिटर्न दिया. खास बात तो ये है कि सिल्वर ईटीएफ को भारत में शुरू हुए सिर्फ दो साल ही हुए हैं.
इंडिया से लगातार बढ़ती खरीदारी : भारत की ओर से चांदी की खरीदारी में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. आंकड़ों पर बात करें तो फरवरी के महीने में भारत की ओर से चांदी की खरीदारी में 260 फीसदी का इजाफा देखने को मिला. फरवरी में भारत ने रिकॉर्ड 2,295 टन चांदी खरीदी, जबकि जनवरी में ये आंकड़ा सिर्फ 637 था. वास्तव में भारत सोलर पैनल और ईवी पर काफी तेजी से काम कर रहा है. जिसमें चांदी की डिमांड काफी ज्यादा होती है.
इंडस्ट्रीयल मेटल की तेजी का असर : दूसरी ओर चांदी की कीमत में इजाफा दूसरी इंडस्ट्रीयल मेटल्स में तेजी की वजह से भी देखने को मिल रहा है. अगर बात कॉपर की करें तो करीब दो महीने में 20 फीसदी से ज्यादा की तेजी देखने को मिल चुकी है. हाल ही में भारत के एमसीएक्स बाजार मेंं कॉपर के दाम 950 रुपए पार कर गए थे. जिसका असर चांदी की कीमत में भी देखने को मिला है.
टेक्नीकल कारण भी हैं : चांदी की कीमत में आने वाले महीनों में इजाफे के कुछ टेक्लीकल कारण भी हैं. मौजूदा समय में चांदी के दाम करीब 13 साल के हाई पर पहुंच गए हैं. वहीं साल 2008 में चांदी के दाम 50 डॉलर प्रति ओंस पर पहुंच थे. चांदी की नजरें अब इसी टारगेट पर टिकी हुई हैं. एक्सपर्ट के अनुमान के अनुसार चांदी के दाम साल के अंत 50 तो नहीं लेकिन 40 डॉलर प्रति बैरल पर जरूर पहुंच सकता है.
कितने हो चांदी के दाम?
देश के अलग-अलग बाजारों में चांदी के दाम बुधवार को रिकॉर्ड कायम किया है. पहले बात दिल्ली की करें तो चांदी के दाम पहली बार 97 हजार रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है. आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में चांदी के दाम में 1150 रुपए की तेजी देखी गई और कीमतें 97,100 रुपए हो गई हैं. खास बात तो ये है कि दिल्ली में तीन दिन में चांदी की कीमतें 5100 रुपए प्रति किलोग्राम बढ़ गई हैं.
वहीं दूसरी ओर देश के मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में चांदी के दाम बुधवार को कारोबारी सत्र के दौरान 96,493 रुपए प्रति किलोग्राम के रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गईं. वैसे चांदी ने मई के महीने में 19 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दिया है. अगर बात मौजूदा साल की करें तो चांदी के दाम में 20,244 रुपए प्रति किलाग्राम यानी 26 फीसदी से ज्यादा का इजाफा देखने को मिल चुका है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने टीवी9 भारवर्ष डिजिटल से बातचीत हुए कहा कि चांदी की कीमतें साल के अंत तक 1.25 लाख रुपए प्रति किलोग्राम के लेवल पर पहुंच सकती हैं. मौजूदा समय में चांदी को लेकर जो सेंटीमेंट बना हुआ है. वो काफी बुलिश है. चांदी की इंडस्ट्रीयल डिमांड अपने पीक पर है. आने वाले दिनों में रेट कट होने वाले हैं. गोल्ड सिल्वर रेश्यो लगातार कम हो रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि चांदी की कीमतों में तेजी का प्रमुख कारण सप्लाई में कमी भी है, जोकि लगातार रहने वाली है. साथ ही इंवेस्टमेंट कंजंपशन यानी सिल्वर ईटीएफ में आम निवेशकों का बढ़ता रुझान भी चांदी की कीमत में और ज्यादा कर सकता है.