Explained : वित्त मंत्रलाय के बाद अग्निपरीक्षा से गुजरेगा RBI, क्या कम होगी आम लोगों की EMI?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूर्ण बजट पेश कर दिया है. सरकार को इस बात का भरोसा है कि उसने इस बजट के आसरे गठबंधन सरकार की अग्निपरीक्षा पास कर ली है. हम इस बात की समीक्षा नहीं करेंगे कि बजट आने के 24 घंटे बाद संसद में विपक्ष ने किस तरह का हंगामा किया और सरकार पर किस तरह के गंभीर आरोप लगाए. हम तो 12 दिन के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग की चर्चा करेंगे. जिसकी अग्नीपरिक्षा 6 से लेकर 8 अगस्त के बीच होनी है. जिसके बाद आम लोगों को पता चलेगा कि क्या देश का बैंकिंग रेगुलेटर आम लोगों को लोन ईएमआई में राहत देता है या नहीं?
ये सवाल इसलिए भी अहम हो जाता है कि क्यों कि खुद रिजर्व बैंक ने सरकार को 2 लाख करोड़ रुपए का इतिहास का सबसे ज्यादा डिविडेंड दिया है. वहीं देश के सभी पब्लिक सेक्टर यानी सरकारी बैंकों ने सरकार को हजारों करोड़ रुपए का डिविडेंड किया है. ऐसे में आरबीआई आम लोगों को लोन ईएमआई में अब राहत क्यों नहीं दे सकती है. खास बात तो ये है कि भले ही इकोनॉमिक सर्वे में देश की महंगाई पर चिंता व्यक्त की हो, लेकिन बजट पेश करते समय इस बात को जोर देकर कहा गया कि तमाम ग्लोबल सप्लाई चेन की चिंताओं के बाद भी देश में महंगाई को टारगेट से ऊपर ले जाया गया.
दिलचस्प बात तो ये है किे जून के महीने को छोड़ दिया जाए तो महंगाई का आंकड़ा लगातार तीन महीने तक 5 फीसदी से नीचे रहा. जबकि फूड इंफ्लेशन की वजह से देश की महंगाई जून के महीने में 5 फीसदी के लेवल पर आ गई. ऐसे में आम लोगों को क्या ये उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि आरबीआई अब डेढ़ साल तक ब्याज दरों को फ्रीज रखने के बाद अब हाई ब्याज दरों से राहत मिले.
इससे पहले कि आगे बढ़ें ये समझ लेना जरूरी है कि पिछली बार जून के महीने के आरबीआई गर्वनर ने खुद कहा कि हर देश की भौगोलिक और आर्थिक परिस्थिति अलग होती है. उन्होंने इस बार बात पर जोर देते हुए कहा था कि आरबीआई पॉलिसी को लेकर जो फैसले लेगा वो डॉमेस्टिक ग्रोथ, महंगाई के आंकड़ों को देखते हुए लेगा.ये बात उन्होंने उस संदर्भ में कही थी भारत हमेशा से पॉलिसी रेट को लेकर अमेरिकी फेड का ही अनुसरण करता है.
मतलब साफ है कि 31 अगस्त को दो दिनों की फेड पॉलिसी की मीटिंग होनी है. ऐसे में अगर फेड पॉलिसी रेट को इस बार भी फ्रीज रखता है तो आरबीआई गर्वनर पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए. वहीं दूसरी ओर अमेरिका फेड पॉलिसी में कोई बदलाव करे या ना करे लेकिन भारत के लोगों का दबाव अब आरबीआई के साथ—साथ देश की सत्ता पर भी दिखना शुरू हो गया है. जिसकी हल्की सी झलक देश के बजट में भी साफ देखी जा सकती है.
खास बात तो ये है जिस ग्रोथ के रास्ते पर आरबीआई चलने की सोच रही है, सरकार की वो सोच इकोनॉमिक सर्वे में बिल्कुल भी देखने को नहीं मिली जून की मीटिंग में ग्रोथ को लेकर आरबीआई का अनुमान मौजूदा वित्त वर्ष में 7.2 फीसदी था. वहीं दूसरी ओर 22 जुलाई को आए इकोनॉमिक सर्वे के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष में देश की इकोनॉमिक ग्रोथ 6.5 फीसदी से लेकर 7 फीसदी तक रह सकती है. अगर इसका औसत निकाले तो देश की ग्रोथ 6.8 फीसदी रह सकती है जोकि आरबीआई के अनुमान से 0.4 फीसदी कम है. ऐसे में आरबीआई के सामने असमंजस की स्थिति होगी कि क्या वे इकोनॉमिक सर्वे के अनुमान के अनुसार अपने अनुमान में बदलाव करेगा या नहीं.
अगर बात महंगाई के मोर्चे पर करें तो जून के महीने में जो दूसरी तिमाही के लिए अनुमानित रखा था. आरबीआई के अनुसार दूसरी तिमाही में देश की महंगाई 3.8 फीसदी रह सकती है. वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही का एक महीना लगभग पूरा बीत चुका है. तीसरी तिमाही में 4.6 और चौथी तिमाही में 4.6 फीसदी रह सकती है. ऐसे में मतलब साफ है कि देश की महंगाई दर अनुमानित 4.5 फीसदी पर रह सकती है. मतलब साफ है कि आरबीआई को अपने ही आंकड़ों के हियाब से महंगाई से कोई लड़ाई नहीं लड़नी है. ऐसे में देश के लोग लोन ईएमआई कम होने की आसआरबीआई एमपीसी से लगा सकते है.
वहीं हमें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि जून के महीने में दो और संकेत मिले हैं. अप्रैल के महीने में आरबीआई मीट में सिर्फ एक ही मेंबर ने पॉलिसी कट को लेकर को लेकर अपना समर्थन दिया था. जिसकी संख्या में जून के महीने में इजाफा देखने को मिला और आरबीआई एमपीसी में दो लोगों ने आरबीआई कट को सपार्ट किया. ऐसे में अगस्त के महीने में ये संख्या दो बढ़कर 4 भी हो सकती है. अगर ऐसा हुआ तो आरबीआई एमपीसी की 6 सदस्यों में से मैज्योरिटी पॉलिसी कट पर है तो आरबीआई गवर्नर पॉलिसी कट का ऐलान हो सकता है. वहीं सबसे बड़ी बात ये देखने को मिली थी कि आरबीआई एमपीसी की मीटिंग में आने वाले महीनों में पॉलिसी रेट को लेकर उदार रुख अपनाने के संकेत मिले थे.
ऐसे में हमें इस बात तो नहीं भूलना चाहिए कि मई 2022 से लेकर फरवरी 2023 तक आरबीआई के पॉलिसी रेट में 2.50 फीसदी का इजाफा किया था. उसके बाद से 7 आरबीआई एमपीसी की मीटिंग हो चुकी है. उसके बाद भी आरबीआई आरबीआई एमपीसी ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. मौजूदा समय में आरबीआई रेपो रेट 6.5 फीसदी है. जिसके कम होने की शुरुआत 0.25 फीसदी से हो सकती है. देखना दिचस्प होगा कि आरबीआई का बजट के बाद अगस्त में 3 दिनों तक चलने वाली मीटिंग क्या रुख रहता है.