Explained: सेबी चीफ माधबी पुरी बुच को लेकर हंगामा है क्यों बरपा, आखिर क्या है मामला?
मार्केट रेगुलेटर सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) के कर्मचारियों ने 5 सितंबर को मुंबई स्थित मुख्यालय के बाहर अपने प्रमुख माधबी पुरी बुच के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और कर्मचारियों ने बुच के इस्तीफे की मांग की. इनता ही नहीं उन्होंने बुच के व्यवहार को लेकर गहरी नाराजगी भी जाहिर की. कर्मचारियों का कहना है कि सेबी कार्यालय में कामकाज का माहौल तनावपूर्ण और अनप्रोफेशनल हो गया है. कर्मचारियों द्वारा वित्त मंत्रालय को भेजे गए एक पत्र में आरोप लगाया गया है कि सेबी प्रमुख बैठकों में कर्मचारियों पर चिल्लाती हैं, उन्हें डांटती हैं और सार्वजनिक रूप से उनका अपमान करती हैं.
बुच पर है येआरोप
सेबी के लगभग आधे से अधिक कर्मचारियों ने 6 अगस्त को वित्त मंत्रालय को लिखे एक पत्र में बताया कि सेबी का कार्यालय का माहौल तनावपूर्ण हो गया है और कर्मचारियों के साथ अनुचित व्यवहार किया जा रहा है. इसमें कहा गया कि माधबी पुरी बुच के नेतृत्व में बैठकों के दौरान अपमानजनक और अनप्रोफेशनल भाषा का उपयोग किया जाता है. कर्मचारियों का कहना है कि यह व्यवहार उनके मेंटल हेल्थ पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है और उनके वर्क लाइफ बैलेंस को प्रभावित कर रहा है.
पत्र में यह भी आरोप लगाया गया कि सेबी के अधिकारियों को अनरियल टास्क दिए जाते हैं और उनकी “मिनट-दर-मिनट” गतिविधियों पर नजर रखी जाती है. कर्मचारियों ने कहा कि उन्हें दिनभर टर्नस्टाइल गेट्स के जरिए मॉनिटर किया जाता है, जो उनकी गतिविधियों को ट्रैक करते हैं. इससे उनके कामकाजी माहौल में और ज्यादा तनाव पैदा हो गया है.
सेबी ने आरोपों को किया खारिज
सेबी ने कर्मचारियों के इन आरोपों को खारिज कर दिया है और कहा है कि ऑफिस का माहौल खराब होने और सार्वजनिक अपमान की शिकायतें गलत हैं. सेबी ने अपने बयान में कहा कि उसने कर्मचारियों के साथ सभी मुद्दों पर बातचीत की है और उनके समाधान के लिए कदम उठाए हैं. साथ ही सेबी ने बाहरी ताकतों द्वारा कर्मचारियों को गुमराह करने की बात कही, जिससे कर्मचारियों की नाराजगी और बढ़ गई है.
सेबी प्रवक्ता ने यह भी बताया कि कार्यालय में हाल ही में लगाए गए टर्नस्टाइल गेट्स की समीक्षा छह महीने बाद की जाएगी, जब कर्मचारियों से फीडबैक लिया जाएगा. फिलहाल, टर्नस्टाइल गेट्स सेबी कार्यालय से हटाए नहीं जाएंगे.
इस मामले में पहले से घिरी हैं बुच
इस पत्र और विरोध-प्रदर्शन के समय का विशेष महत्व है क्योंकि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच हाल ही में अडानी समूह की जांच के दौरान हितों के टकराव के आरोपों का सामना कर रही हैं. विपक्ष ने बुच की पिछली कंपनी आईसीआईसीआई बैंक से जुड़े मुआवजे पर भी सवाल उठाए हैं. कुछ दिन पहले हिंडनबर्ग ने भी अडानी से जुड़े मामलों को लेकर सेबी चीफ बुच पर गंभीर आरोप लगाया था. हालांकि बुच ने उसे छवि खराब करने की कोशिश कही थी.
सेबी के इतिहास में पहली बार हो रहा विरोध
सेबी के इतिहास में यह पहली बार है जब इस तरह के विरोध प्रदर्शन सामने आए हैं. लगभग 1,000 अधिकारियों में से 500 से अधिक ने वित्त मंत्रालय को लिखे पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे स्पष्ट है कि सेबी के एक बड़े हिस्से में असंतोष है. कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने सरकार को पत्र तब लिखा जब सेबी मैनेजमेंट से उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.
क्या है कर्मचारियों की मांग?
सेबी के अधिकारियों ने सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है ताकि सेबी कार्यालय में प्रोफेशनल माहौल बहाल हो सके और कर्मचारियों के मेंटल हेल्थ की सुरक्षा की जा सके. कर्मचारियों ने अपने पत्र का शीर्षक ‘सेबी अधिकारियों की शिकायतें-सम्मान का आह्वान’ रखा है, जो यह दर्शाता है कि वे बेहतर नेतृत्व और प्रबंधन की उम्मीद कर रहे हैं.