Explainer : कैसे हेमंत सोरेन ने झारखंड में राष्ट्रपति शासन के बन रहे हालात को टाला
झारखंड विधानसभा में विश्वास मत से पहले अपने भाषण में, मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने अपने पूर्व मुख्यमंत्री को ‘हेमंत बाबू’ कहा और कहा कि वो सरकार को ‘हेमंत सोरेन पार्ट-2’ के रूप में चलाएंगे. हेमंत सोरेन फिलहाल जेल में बंद हैं, उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के बीच झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. सोमवार को फ्लोर टेस्ट के दौरान हेमंत सोरेन ने मौजूदा मुख्यमंत्री की तुलना में अधिक समय तक सदन को संबोधित किया. कुल मिलाकर, चंपाई सोरेन विश्वास मत का सामना कर रहे थे, लेकिन नेतृत्व हेमंत सोरेन ने किया.
अपने पिता और पार्टी संस्थापक शिबू सोरेन की छत्रछाया में अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा के 48 वर्षीय कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने पिछले सप्ताह चतुराईपूर्ण राजनीतिक कदमों से कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया था, जिसकी वजह से झारखंड में सरकार बचाने में मदद मिली. हेमंत सोरेन इस दौरान राज्य में राष्ट्रपति शासन को रोकने और अपने सबसे करीबी सहयोगी को सत्ता के सुचारु हस्तांतरण में कामयाब रहे.
बीजेपी ने झारखंड के मुख्यमंत्री को ‘लापता’ बताया
पिछले सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों की एक टीम हेमंत सोरेन के दिल्ली आवास पर पहुंची थी और उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तलाशी ली. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि हेमंत सोरेन का पता नहीं चल रहा है और यहां तक कि उनके स्टाफ के सदस्यों को भी उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है. भाजपा ने तुरंत मौके का फायदा उठाया और मुख्यमंत्री को ‘लापता’ घोषित कर दिया. बीजेपी ने दावा किया कि झारखंड संवैधानिक संकट के बीच खड़ा है. हालांकि, झामुमो आश्वासन देता रहा कि वे हेमंत सोरेन के संपर्क में हैं और वो 31 जनवरी को एजेंसी के सामने पेश होंगे. जिस विमान से हेमंत सोरेन दिल्ली पहुंचे थे, वो हवाई अड्डे पर खड़ा रहा और ईडी के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, कि वो कहां था.
30 जनवरी को, हेमंत सोरेन रांची में सामने आए और झामुमो, कांग्रेस और राजद के सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों से मुलाकात की. ऐसा प्रतीत होता है कि सोरेन एक मुख्यमंत्री के तौर पर वो चुनौतीपूर्ण उपलब्धि हासिल करने में कामयाब रहे. उन्होंने मीडिया, प्रवर्तन एजेंसियों और टोल बूथ कैमरों को चकमा देते हुए 1,300 किलोमीटर की सड़क यात्रा की.
दरअसल, झारखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए दावा किया था कि हेमंत सोरेन रविवार रात अपने दिल्ली आवास से पैदल ही निकले थे. ये भी स्पष्ट नहीं है कि मुख्यमंत्री को कैसे पता चला कि ईडी के अधिकारी अगले दिन उनके घर पर छापा मारेंगे और ठीक समय पर निकल गए.