किसान आंदोलन 2.0 पिछले आंदोलन से कैसे अलग, क्या है मांगे, कितनी जायज?

किसान एक बार फिर से आंदोलन के लिए दिल्ली की तरफ कूच कर चुके हैं. बड़ी तादाद में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों के किसान इसमें शामिल हुए हैं. चंडीगढ़ में सोमवार शाम को केंद्रीय मंत्रियों के साथ किसानों की मीटिंग भी हुई, लेकिन बात नहीं बन सकी और किसानों ने दिल्ली में आकर आंदोलन करने का ऐलान किया. इससे पहले हुए किसान आंदोलन में मुख्य वजह केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए तीन कृषि कानून थे. हालांकि इस बार किसानों की मांगे दूसरी हैं.

किसान मजदूर संघर्ष कमेटी कहती है कि उनके साथ 100 से ज्यादा किसानों के संगठन जुड़े हुए हैं. इसके साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा (नॉन पॉलिटिकल) के साथ 150 संगठन जुड़े हुए हैं. 250 से ज्यादा किसान संगठन इस प्रोटेस्ट में भाग ले रहे हैं और यह पंजाब से कोऑर्डिनेट किया जा रहा है. यह दोनों संगठनों ने दिसंबर 2023 में केंद्र सरकार को कहा था कि 2 साल पहले आपकी सरकार ने हमसे वादे किए थे, लेकिन वह पूरे नहीं हुए और अब हम दिल्ली चलो प्रोटेस्ट करेंगे, ताकि आपको याद दिलाया जा सके. बड़ी तादाद में किसान दिल्ली की तरफ निकल चुके हैं, जिनको रोकने के लिए सभी बॉर्डरों पर प्रशासन द्वारा बैरिकेट्स, नेल्स और हेवी इक्विपमेंट को लगाया गया है. इसके साथ ही केंद्र सरकार का कहना है कि वह किसानों की मांगों को सुनने को तैयार हैं.

इस आंदोलन में कितने किसान संगठन

संयुक्त किसान मोर्चा (नॉन पॉलिटिकल) ओरिजिनल एसकेएम से जुलाई 2022 में अलग हो गया. इसके पीछे कारण यह था कि जगदीप सिंह दलेवाल का एसकेएम के साथ किसी बात को लेकर मनमुटाव हो गया था और उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा (नॉन पॉलिटिकल) नाम से अलग ग्रुप बना लिया था. इसके साथ ही किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर हैं और केएमएससी नाम के संगठन ने 2021 वाले आंदोलन में दिल्ली के कुंडली में सभी से अलग बैठे थे. किसान मजदूर संघर्ष कमेटी (केएमएससी) ने पिछले आंदोलन के बाद संगठन को बढ़ाना शुरू किया और उन्होंने जनवरी में दावा किया कि उनके साथ अब 100 से ज्यादा संगठन जुड़े हुए हैं.

 

एसकेएम के साथ 500 से ज्यादा किसान संगठन हैं, लेकिन उनका कहना है कि वह इस बार के आंदोलन का हिस्सा नहीं है. पंजाब के 37 फॉर्म यूनियन में सबसे बड़ा संगठन बीकेयू उग्रहन भी एसकेएम के साथ है. एसकेएम ने 16 फरवरी को ग्रामीण भारत बंद से अगल विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया हुआ है. हालांकि उसका कहना है कि हम दिल्ली चलो में शामिल नहीं है, लेकिन किसानों के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय नहीं होना चाहिए. इसके साथ ही बीकेयू उग्रहन ने भी एक बयान जारी करके हरियाणा सरकार द्वारा किसानों के आंदोलन को रोकने के लिए की जा रही तैयारियों की आलोचना की है. ऐसे में पिछले आंदोलन में शामिल किसान नेता इस बार नहीं है.

किसानों की 12 मांगे:

1: MSP पर किसानों की फसल खरीदी जाए और कर्ज को माफ किया जाए.

2: लैंड एक्विजिशन एक्ट ऑफ 2013- अगर जमीन बेची जाती है तो कलेक्टर का जो रेट रहता है, इससे चार गुना ज्यादा मुआवजा दिया जाए.

3: इसके साथ अक्टूबर 2021 में लखीमपुर खीरी में किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाने वाले आरोपियों को सजा दी जाए.

4: वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन से भारत निकल जाए और जितने भी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट किए हैं, उनको रोक दिया जाए.

5: किसानों और फॉर्म लेबर्स के लिए सरकार पेंशन तय करें.

6: दिल्ली के हुए पहले आंदोलन के दौरान मृत किसानों को मुआवजा दिया जाए और उनके परिवार में से किसी भी एक व्यक्ति को नौकरी दी जाए.

7: इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 को खत्म किया जाए.

8: नरेगा के तहत 1 साल के अंदर 100 दिनों की अपॉइंटमेंट गारंटी को 200 दिन किया जाए और एक दिन की मजदूरी को ₹700 किया जाए. इसके साथ ही इस स्कीम को किसानसे जोड़ा जाए.

9: नकली बीज, पेस्टिसाइड और फर्टिलाइजर उनके ऊपर जुर्माना लगाया जाए.

10: सरकार बीज क्वालिटी को बेहतर करें.

11: मिर्च और हल्दी के लिए नेशनल कमीशन बनाया जाए.

12: किसानों के लिए पानी, वन और जमीन को लेकर उनका हक, उनको मिलता रहे.

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