Farmers Income: किसानों को मोटे अनाज में मिला ज्यादा फायदा, जानिए एक साल में कितनी हुई कमाई
भारतीय प्रबंध संस्थान (IIM), काशीपुर ने उत्तराखंड के 2,100 से अधिक किसानों पर यह अध्ययन किया है. इसमें पाया गया कि कई किसान अभी भी मोटे अनाज पर बेस्ड प्रोडक्ट और उस प्रोडक्ट की बढ़ती मांग से अभी तक अवगत नहीं है. इसके अलावा बहुत ही कम किसान इसकी खेती कर रहे हैं.
किसानों को जागरुकता की है जरूरत
अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, मोटे अनाज प्रोडक्ट के बीच उनकी फसल की बढ़ती बाजार डिमांड के बारे में जागरूकता बढ़ने से ज्यादा से ज्यादा किसान इसका फायदा ले सकेंगे. इस जागरुकता से ज्यादा किसानों की इनकम बढ़ेगी.
इंटरनेशनल मिलेट ईयर से मिला फायदा
रिपोर्ट कहती है कि 2023 को ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ (international millet year) के रूप में मनाए जाने की घोषणा ने दुनिया भर में एक टिकाऊ फसल के रूप में मोटे अनाजों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इससे राष्ट्रीय और ग्लोबल लेवल पर मोटे अनाज से जुड़े प्रोडक्ट की मांग भी बढ़ी है.
75 प्रतिशत किसानों की इनकम बढ़ी
अध्ययन के मुताबिक, उत्तराखंड में मोटे अनाज उगाने वाले 75 प्रतिशत किसानों की आय में 10-20 प्रतिशत की ग्रोथ देखी गई है क्योंकि केंद्र और राज्य सरकार फसल की खेती को बढ़ावा दे रही है. हालांकि, इस सर्वे में मोटा अनाज उगाने वाले किसानों की संख्या नहीं बताई गई है.
क्या बोले IIM के प्रोफेसर
आईआईएम काशीपुर में सहायक प्रोफेसर शिवम राय ने कहा है कि अपने इस्तेमाल के लिए मोटा अनाज उगाने वाले अधिकांश किसान इसे चावल और गेहूं की तरह नकदी फसल की तरह नहीं अपना रहे हैं.
उन्होंने कहा कि यह अध्ययन मोटा अनाज प्रोडक्ट की मार्केटिंग चुनौतियों का समाधान करने और इसकी आर्थिक उपस्थिति बढ़ाने के लिए प्रभावी रणनीतियों की पहचान करने के लिए आयोजित किया गया था. सर्वे के लिए नमूना राज्य के प्रमुख पहाड़ी क्षेत्रों पिथौरागढ़, जोशीमठ, रुद्रप्रयाग और चमोली से लिया गया था.