पहले बारिश फिर बाढ़… तमिलनाडु में तबाही के निशान छोड़ गया दिसंबर, ऐसा क्यों हुआ?

साल 2023 जाने में अब महज चंद रोज ही बचे हैं, लेकिन ये साल तमिलनाडु के लिए कभी ना भूल पाने वाला साल बन गया, पिछले कुछ महीनों में तमिलनाडु ने एक के बाद एक बड़ी चुनौतियों का सामना किया है, जिसका अंत बेहद दुखदायी रहा. प्राकृतिक आपदाओं ने इस साल तमिलनाडु को काफी गहरे जख्म दिए हैं.

दिसंबर का महीना तमिलनाडु के उत्तरी और दक्षिणी जिलों में बारिश और जलभराव जैसी चुनौतियां लेकर आया.राजधानी चेन्नी समेत कई इलाकों में आसमानी आफत ने जमकर कहर बरपाया, लगातार हुइ मूसलाधार बारिश की वजह से दक्षिणी तमिलनाडु के चार जिलों में 31 लोगों की जान चली गई. वहीं महीने के पहले हफ्ते में चेन्नई में बारिश की वजह से 17 लोगों की मौत
हुई.

तमिलनाडु राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक चेन्नई जिले में 3 से लेकर 5 दिसंबर के बीच दो दिनों के अंदर औसतन 400 मिमी बारिश हुई है. वहीं थूथुकुडी जिले के कल्याणपट्टिनम में 24 घंटों में रिकॉर्ड 950 मिमी बारिश हुई, जो क्षेत्र के सालाना औसत से भी ज्यादा है बंगाल की खाड़ी में कम दबाव प्रणाली को बारिश की वजह बताया जा रहा है जो चक्रवाती तूफान मिचौंग में बदल गया था. जिससे तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में भारी बारिश हुई थी.

दिसंबर में आई बाढ़ ने तमिलनाडु के सामने चुनौतियां और भी बढ़ा दिया है. 2015 में चेन्नई में भारी बारिश हुई, जिससे शहर का बड़ा हिस्सा जलमग्न हो गया था, उस समय करीब बारिश के चलते 290 लोगों की जान चली गई थी. वहीं 2021 में नीलगिरी जिले में बारिश से 18 लोगों की जान चली गई थी.2020 के नवंबर महीने में चक्रवात निवार ने राज्य में तबाही मचाई थी. जिसकी वजह से राज्य के कई निचले इलाके पूरी तरह से जलमग्न हो गए थे. इस दौरान भी कई मौतें हुईं थी.

तमिलनाडु के सामने मौसम की घटनाओं के प्रभाव को कम करने की एक बड़ी चुनौती है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चेन्नई में बारिश से तबाह हुए इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया था. जिसके बाद राजनाथ सिंह ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकार शहर में बाढ़ के संकट से निपटने और उसे कम करने के लिए उपाय लागू कर रही हैं.

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