अमेरिका नीत हमलों में पांच लोगों की मौत, छह अन्य घायल: यमन हुती विद्रोही
लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों पर यमन के हुती विद्रोहियों के हमलों के जवाब में इन विद्रोहियों पर अमेरिका के नेतृत्व में हवाई हमले किये गए। इसने शुक्रवार कोदुनिया का ध्यान यमन में वर्षों से जारी युद्ध पर एक बार फिर से आकृष्ट किया, जबकि गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ इजराइल के युद्ध से पश्चिम एशिया में तनाव पहले से ही बढ़ा हुआ है।
हुती विद्रोहियों की ओर से कहा गया कि इन हमलों में कम से कम पांच लोग मारे गए और छह अन्य घायल हो गए।
ईरान समर्थित विद्रोहियों के कब्जे वाले कई ठिकानों पर बमबारी के बीच, सऊदी अरब ने स्वयं को इन हमलों से दूर करने की कोशिश की क्योंकि वह ईरान के साथ सौहार्द बनाए रखना चाहता है और यमन युद्ध में संघर्ष विराम चाहता है। साथ ही सऊदी अरब इस युद्ध से अंततः हटना चाहता है।
इस हमले से हमास पर इजराइल के युद्ध को लेकर क्षेत्रीय संघर्ष भड़कने का भी खतरा है, जिसे अमेरिका के बाइडन प्रशासन और उसके सहयोगी कई हफ्तों से शांत करने की कोशिश कर रहे हैं।
इस बीच, अमेरिकी नौसेना ने कुछ दिन पहले हिंद महासागर के सुदूर इलाके में एक जहाज पर हमले की बात स्वीकार की थी। यह एक ऐसा हमला था जो ईरान की इजराइल-हमास संघर्ष को लेकर व्यापक समुद्री अभियान के तहत जहाजों पर हमला करने की इच्छा का संकेत दे सकता है।
तेहरान ने बृहस्पतिवार को एक और टैंकर को जब्त कर लिया जो इस्लामिक गणराज्य के परमाणु कार्यक्रम पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण अमेरिका द्वारा तेल को जब्त करने से संबंधित एक संकट में पहले से शामिल था।
यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिकी हमलों से कितना नुकसान हुआ है, हालांकि हुती विद्रोहियों की ओर से कहा गया है कि एयरफील्ड सहित कम से कम पांच स्थलों पर हमला किया गया है।
ब्रिटेन के अनुसार उसने इन हमलों के जरिये बानी में एक स्थल को निशाना बनाया जिसका इस्तेमाल कथित तौर पर हुती ड्रोन उड़ाने के लिए कर रहे थे। साथ ही ब्रिटेन ने कहा कि उसने एब्स में उस एयरफील्ड को भी निशाना बनाया जिसका इस्तेमाल क्रूज़ मिसाइल दागने और ड्रोन उड़ाने के लिए किया गया था।
हुती के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी हुसैन अल-एजी ने ‘‘अमेरिका और ब्रिटेन के जहाज, पनडुब्बियों और युद्धक विमानों द्वारा बड़े पैमाने पर आक्रामण की पुष्टि की।
अल-एजी ने ऑनलाइन लिखा, ‘‘अमेरिका और ब्रिटेन को निस्संदेह भारी कीमत चुकाने और इस ज़बरदस्त आक्रामकता के गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा।
हुती के मुख्य वार्ताकार और प्रवक्ता मोहम्मद अब्दुल-सलाम ने अमेरिका और ब्रिटेन के हमले को मूर्खतापूर्ण बताया। सलाम ने लिखा, यदि उन्होंने सोचा कि वे यमन को फलस्तीन और गाजा का समर्थन करने से रोक देंगे तो वे गलत हैं।’’
उन्होंने लिखा, हुती द्वारा इजराइली जहाजों या कब्जे वाले फलस्तीन के बंदरगाहों की ओर जाने वाले जहाजों को निशाना बनाया जाना जारी रहेगा।
हालांकि, नवंबर में हमले शुरू होने के बाद से, हुती विद्रोहियों ने उन जहाजों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है जिनका इजराइल से कोई स्पष्ट संबंध नहीं है, जिससे वैश्विक व्यापार के लिए एक प्रमुख नौवहन मार्ग खतरे में पड़ गया है।
हुती के सैन्य प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल याह्या सारी ने पहले से रिकॉर्ड किया गए एक संबोधन में कहा कि उनके नियंत्रण वाले यमन के पांच क्षेत्रों में 73 हमले हुए, जिनमें पांच व्यक्तियों की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए। उन्होंने यह नहीं बताया कि कौन मारा गया।
सारी ने कहा, ‘‘अमेरिकी और ब्रिटिश दुश्मन हमारे यमनी लोगों के खिलाफ अपनी आपराधिक आक्रामकता के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार हैं और इसका जवाब और दंड दिये बिना नहीं छोड़ा जाएगा।
उत्तर पश्चिमी यमन में हुती विद्रोहियों के गढ़ सादा में शुक्रवार को सैकड़ों लोग एक रैली के लिए एकत्र हुए। भीड़ में शामिल लोगों ने हुती विद्रोहियों के नारे लगाये,‘‘ अल्लाहू अकबर! अमेरिका मुर्दाबाद! इजराइल मुर्दाबाद! यहूदी मुर्दाबाद!’’
अमेरिका के पिछले चार राष्ट्रपतियों के कार्यकाल के दौरान यमन को अमेरिकी सैन्य कार्रवाई से निशाना बनाया गया है।
इस बीच, यमन में जारी युद्ध के बीच अमेरिका ने छापेमारी और अन्य सैन्य अभियान शुरू कर दिए हैं।
यूएई 2022 में कई बार हुती विद्रोहियों की ओर से दागे गए मिसाइल की चपेट में आया था। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के युद्ध से हटने के बाद, सऊदी अरब अंततः युद्ध से हटने की उम्मीद में तनाव कम करने के लिए ईरान के साथ एक चीनी-मध्यस्थता समझौते पर पहुंचा।
हालांकि, एक समग्र समझौता अभी तक नहीं हो सका है। हो सकता है कि इसी कारण से सऊदी अरब ने शुक्रवार को हवाई हमलों को लेकर चिंता जतायी हो।
इसके विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, हालांकि देश लाल सागर क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने के महत्व पर जोर देता है, … यह संयम बरतने और तनाव से बचने का आह्वान करता है।’’
हुती विद्रोहियों को हथियार और सहायता प्रदान करने वाले ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी के एक बयान में हमले की निंदा की। उन्होंने कहा, मनमाने हमलों का क्षेत्र में असुरक्षा और अस्थिरता को बढ़ावा देने के अलावा कोई परिणाम नहीं होगा।
लेबनानी आतंकवादी समूह हिजबुल्ला ने भी हमलों की आलोचना की।
बीजिंग में, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने देशों से लाल सागर में तनाव नहीं बढ़ाने का आह्वान किया और सभी देशों और पक्षों से संयम बरतने को कहा। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि सभी संबंधित पक्ष लाल सागर क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता में रचनात्मक और जिम्मेदार भूमिका निभाएंगे, जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामान्य हित में है।
लाल सागर मार्ग ऊर्जा परिवहन के लिए भी महत्वपूर्ण है।
इस बीच शुक्रवार को अमेरिकी नौसेना ने कुछ दिन पहले भारत और श्रीलंका के तटों के पास हुए एक हमले की पुष्टि की। रासायनिक टैंकर पैसिफिक गोल्ड पर 4 जनवरी को हमला हुआ था, जिसे अमेरिकी नौसेना ने ईरानी एकतरफा हमला ड्रोन कहा था, जिससे जहाज को कुछ नुकसान हुआ लेकिन कोई घायल नहीं हुआ।
नौसेना के मध्यपूर्व स्थित 5वें बेड़े के प्रमुख, वाइस एडमिरल ब्रैड कूपर ने कहा, ईरान की हरकतें अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत हैं और समुद्री सुरक्षा और स्थिरता के लिए खतरा हैं।
पैसिफिक गोल्ड का प्रबंधन सिंगापुर स्थित ईस्टर्न पैसिफिक शिपिंग द्वारा किया जाता है, जो अंततः इजराइली अरबपति इदान ओफ़र द्वारा नियंत्रित है। ‘एसोसिएटेड प्रेस’ ने ईस्टर्न पैसिफिक, के साथ ही भारत और श्रीलंका के नौसैनिक अधिकारियों से हमले पर टिप्पणी का कई बार अनुरोध किया लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।
ईस्टर्न पैसिफिक को पहले भी संदिग्ध ईरानी हमलों में निशाना बनाया गया है।
एक निजी सुरक्षा अधिकारी ने पहले ‘एपी’ से बातचीत में यह स्वीकार किया था कि हमला हुआ था। हमले की खबर सबसे पहले लेबनानी प्रसारक अल-मायादीन ने दी थी, जो राजनीतिक रूप से हिजबुल्ला से संबद्ध एक चैनल है जिसने पहले इस क्षेत्र में ईरान से जुड़े अन्य हमलों की घोषणा की है। ईरान ने खुद इस हमले को अंजाम देने की बात स्वीकार नहीं की है।