AI से नौकरी जाने की चिंता करने वालों, बहुब्बड़ी खुशखबरी आई है
आपको एक बढ़िया खबर बताते हैं. खबर ये है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की वजह से आपकी और मेरी नौकरी नहीं जाने वाली. अगर गई भी तो 18-20 साल से कम नहीं लगेंगे. इतना पढ़कर आप कहोगे कि तुमको बड़ा पता है!
तुम बड़े खलीफा ठहरे! अरे जनाब AI के मामले में हम कोई खलीफा नहीं. हां खलिहर भी नहीं क्योंकि हम भी थोड़ा-थोड़ा सीख रहे. इसी सीखने के दौरान सुनने और पढ़ने में आया कि ये मुआ AI तो सबकी जॉब लील जाएगा. कई यार मित्रों और आप जैसे सुधी पाठकों ने ऐसी चिंता जताई. मगर…
अब आई है एक रिपोर्ट. एक रिसर्च वो भी बहुत बड़े संस्थान से. नाम है Time. टाइम पत्रिका में एक रिसर्च प्रकाशित हुई है, जिसके मुताबिक AI नाम की ‘बला’ अभी नौकरियां नहीं लेने वाली. ‘बला’ शब्द को गलत नहीं समझें. तकनीक के हम भी मुरीद हैं, मगर जब इससे नौकरी जाने की बात आई तो ये ‘बला’ जैसी लगी.
स्टोरी का मीटर बैठ गया. अब बताते हैं टाइम ने क्या लिखा है. पत्रिका ने MIT (Massachusetts Institute of Technology) के रिसर्चर के एक पेपर के हवाले से लिखा है,
कामकाज की जगह में ऑटोमेशन आपकी सोच से स्लो होगा.
MIT की कंप्यूटर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाली लैब ने AI के किसी टास्क को करने की ताकत को परखा और साथ में इसके अर्थव्यवस्था पर प्रभाव को लेकर भी रिसर्च की.
उनके मुताबिक अगर आज की तारीख में AI को पूरी ताकत से इस्तेमाल किया जाए, तो 1.6 फीसदी वर्कर्स की नौकरी पर ही असर पड़ेगा. अभी इसमें खेती को जोड़ा नहीं गया है. मतलब अगर कुल अर्थव्यवस्था में AI को झोंक दिया जाय, तो भी इसका असर सिर्फ 0.4 फीसदी लोगों पर पड़ेगा. कहने का मतलब नहीं के बराबर. गौर करने वाली बात ये है कि इस रिसर्च का बेस अमेरिका है. माने कि वो देश जो दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और नई तकनीक को अपनाने में भी उनका कोई सानी नहीं.
MIT का मानना है कि AI से लोगों की नौकरियों पर असर तो पड़ेगा, मगर ये बहुत हौले-हौले होगा. सरकार से लेकर दूसरी जिम्मेदार एजेंसियों को इतना समय मिलेगा कि वो जरूरी बदलाव कर सकें. बोले तो अगर कुछ नौकरियां चली गईं, तो नई नौकरियां पैदा कर सकें. इतना ही नहीं. पहले-पहल जो भी प्रभाव पड़ेगा वो ऑडियो-विजुअल वाली दुनिया में होगा. उदाहरण के लिए अस्पताल में सर्जरी और उससे जुड़े उपकरणों में AI को इनेबल कर सकते हैं. AI मरीज की हिस्ट्री से लेकर वर्तमान को स्टडी करके बता सकता है कि सर्जरी कब करना ठीक रहेगा. उपकरण कौन से इस्तेमाल करने होंगे. वगैरा-वगैरा
हालांकि ये सब भी ‘हो सकता है, हो जाएगा, कर सकता है, कर भी सकता है’ के फॉर्म में है. मतलब ताल ठोक कर कोई नहीं कह रहा है कि AI ‘आई’ है तो नौकरी जाइबे करी.
इसलिए चिंता नक्को करो. रही बात तकनीक की तो जितना हमें अभी समझ पड़ा, कमाल चीज है लेकिन अभी अपने शैशव काल में है. युवा होने में उतना ही टाइम लेगी जितना ‘टाइम’ ने कहा.