France Election 2024: फ्रांस के चुनाव नतीजों से क्या वहां के मुसलमानों में खुशी है?
फ्रांस कई सालों से अपनी इस्लामोफोबिक नीतियों के चलते मानव अधिकार और मुस्लिम संगठनों के निशाने पर रहा है. फ्रांस 2011 में बुर्का बैन करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था, जिसके बाद से अब तक फ्रांस में कई मुस्लिम विरोधी गतिविधियां देखने को मिली हैं. फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति सरकोजी के कार्यकाल में इस्लामिक मूल्यों पर हमला उनकी राजनीति का आधार बन गया था. उन्होंने इस्लाम विरोधी नीतियों को धर्मनिरपेक्षता के बचाव के रूप में पेश किया.
2020 में IS समर्थक द्वारा सैमुअल पैटी की हत्या के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी इसी तरह की नीति अपनाई. सैमुअल पैटी पर पैगंबर मोहम्मद का विवादित कार्टून छात्रों को दिखाने का आरोप था. मैक्रों ने मुस्लिम सिविल सोसाइटीज पर कार्रवाई शुरू की और फ्रांसीसी यूनिवर्सिटियों में इस्लामिक वामपंथ विचारधारा को रोकने के लिए सर्वे के आदेश दिए.
लेकिन फ्रांस की दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली का इस्लाम को लेकर रुख इससे भी ज्यादा सख्त है. उन्होंने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान कई बार इस्लाम और प्रवासी विरोधी बयान दिए हैं. हाल ही में दूसरे राउंड के नतीजों में लेफ्ट पार्टियों को मिली जीत ने देश के मुस्लिम समुदाय को एक अच्छी खबर दी है.
The victory rally for the new French government has more Palestinian flags than French flags. pic.twitter.com/zZwn2I6lNF
— Eyal Yakoby (@EYakoby) July 7, 2024
दक्षिणपंथी पार्टी पर कैसे लगी लगाम?
ली पेन के नेतृत्व वाली दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली को इस चुनाव में भारी समर्थन मिल रहा था. जिसको रोकने के लिए फ्रांस के मोंटपेलियर से लेकर मार्सिले तक मुस्लिम संगठनों, इतिहासकार और वकीलों ने लोगों को आरएन के खिलाफ वोट करने के लिए प्रेरित किया.
उनकी इस मुहिम में कई ईसाई समुदाय के लोग भी शामिल थे. नतीजों के बाद द गार्जियन से 40 साल के अली ने कहा, “हम खुश हैं क्योंकि हमें नस्लवाद पसंद नहीं है.” उन्होंने कहा कि आरएन ने सैलरी, रिटायरमेंट और पेंशन के बारे में बात नहीं की उन्होंने केवल विदेशियों और इस्लाम के बारे में ही बात की है.
अली ने बताया कि हफ्ते भर चले चुनावों में मुसलमानों और अश्वेत लोगों को निशाना बनाने वाले लोगों को बल मिला है. लेकिन वे जीत हासिल करने में नाकामयाब नहीं हो पाए हैं.
नेशनल रैली का मुस्लिम विरोधी चेहरा
यूरोपीय यूनियन के चुनाव के बाद से जीत का दावा करने वाली नेशनल रैली की प्रमुख ली पेन ने दोहरी नागरिकता रखने वालों को खास नौकरियों से वंचित करने, विदेशी माता-पिता के फ्रांस में जन्मे बच्चों की राष्ट्रीयता खत्म करने और सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी. ली पेन की पार्टी को पहले राउंड में बढ़त मिली, लेकिन मैक्रों की पार्टी और लेफ्ट पार्टियों के गठबंधन के साथ आने के बाद वे रन ऑफ राउंड में तीसरे स्थान पर रह गई हैं.
फ्रांस में मुसलमान
फ्रांस में करीब 5 मिलियन मुसलमान रहते हैं और देश की आबादी का करीब 7 फीसद हैं. फ्रांस के मुसलमान अधिकतर गरीब और निचले कामकाज से जुड़े हैं. यहां अन्य देशों की तरह विशाल मस्जिदें नहीं हैं, बल्कि ग्रेाज और इमारतों के बेसमेंट में कई मस्जिदें बनी हुई हैं.
किस पार्टी को कितने सीटें?
फ्रांस इंटीरियर मिनिस्टरी के मुताबिक, लेफ्ट पार्टियों के गठबंधन न्यू पॉपुलर फ्रंट (NFP) ने सबसे ज्यादा 182 सीटों पर जीती है. वहीं, राष्ट्रपति मैक्रों के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 168 सीटों पर जीत हासिल की है. इन दोनों गठबंधन की सीटें मिला दें तो आंकड़ा 350 के पार चला जाता है जो बहुमत के नंबर से ज्यादा है. यानी ये दोनों फ्रंट मिलकर नेशनल रैली पार्टी को रोकने के लिए तैयार हैं. वहीं दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली को 143 सीटें मिली है.