भगवान राम ने अहिल्या को किस अभिशाप से दिलाई थी मुक्ति, जानें- किसने दिया था श्राप

भगवान राम ने अहिल्या को किस अभिशाप से दिलाई थी मुक्ति, जानें- किसने दिया था श्राप

आपने ये तो सुना ही होगा कि भगवान राम ने अहिल्या को एक श्राप से मुक्त किया था. अहिल्या को अभिशाप किसी और ने नहीं बल्कि उनके ही पति गौतम ऋषि ने दिया था, क्योंकि जब एक बार गौतम ऋषि अपनी कुटिया से बाहर गए हुए थे. तभी उस समय देवराज इंद्र गौतम ऋषि का भेष बदल कर अहिल्या के समीप गए. उसी समय गौतम ऋषि वहां पर आए और उन्होंने बिना कुछ जाने क्रोधित होकर अहिल्या को पत्थर की शिला बन जाने का श्राप दे दिया. अहिल्या का विवाह गौतम ऋषि से होने पर इंद्र देव क्रोधित हो गए थे. इसलिए उन्होंने भेष बदलने का कदम उठाया था.

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, अहिल्या एक बहुत ही सुंदर स्त्री थी. अहिल्या को ये वरदान मिला हुआ था कि उनका योवन सदा बना रहेगा. अहिल्या की सुंदरता के आगे तो स्वर्ग की अप्सराएं भी फीकी लगती थीं. इसलिए देवता भी अहिल्या के कायल हुआ करते थे, लेकिन एक श्राप के कारण अहिल्या पत्थर की शिला में तब्दील हो गई थी.

पौराणिक ग्रंथों में अहिल्या के बारे में बहुत सारी कथाएं प्रचलित हैं. तो चलिए जानते हैं आखिर किस श्राप की वजह से अहिल्या पत्थर की शिला बन गई थीं और फिर उसके बाद किस प्रकार से नया जीवनदान मिला.

ब्रह्म देव की पुत्री थी अहिल्या
पौराणिक ग्रंथों में अहिल्या की उत्पत्ति ब्रह्मा जी से बताई जाती है. इसलिए अहिल्या को ब्रह्माजी की मानस पुत्री भी कहा जाता है. अहिल्या सभी गुणों से परिपूर्ण थी और बहुत ही सुंदर और रूपवती थी. इंद्रदेव भी अहिल्या की खूबसूरती के कायल थें. स्वर्ग के राजा इंद्र अहिल्या के साथ विवाह करना चाहते थें. ब्रह्मा जी ने अहिल्या के विवाह के लिए एक शर्त रखी थी कि जो भी तीनों लोकों की परिक्रमा सबसे पहले पूर्ण करेगा. अहिल्या का विवाह उसी के साथ किया जाएगा.

गौतम ऋषि और इंद्र देव के साथ अन्य देवताओं ने भी अहिल्या से विवाह करने के लिए तीनों लोकों की परिक्रमा शुरू की, लेकिन गौतम ऋषि ने परिक्रमा के दौरान एक गर्भवती कामधेनु गाय की परिक्रमा की. जिसके कारण ब्रह्मा जी ने कहा कि कामधेनु गाय तीनों लोकों से भी श्रेष्ठ है. इसलिए ब्रह्मा जी ने अपनी मानस पुत्री अहिल्या का विवाह गौतम ऋषि से करवा दिया था. जिससे कई देवता नाराज हो गए थे.

अहिल्या ऐसे हुई श्राप मुक्त
जब एक बार गौतम ऋषि अपनी कुटिया से बाहर गए हुए थें. तभी उस समय देवराज इंद्र गौतम ऋषि का भेष बदल कर अहिल्या के समीप गए. उसी समय गौतम ऋषि वहां पर आए और उन्होंने बिना कुछ जाने क्रोधित होकर अहिल्या को पत्थर की शिला बन जाने का श्राप दे दिया. गौतम ऋषि के श्राप के कारण अहिल्या पत्थर की शिला बन गई और रामायण काल में जब राम और लक्ष्मण वन विहार करते समय गौतम ऋषि के आश्रम के समीप पहुंचे, तब श्री राम जी के चरण लगते ही पत्थर की शिला बनी अहिल्या फिर से अपने स्वरूप में आ गई. इस प्रकार अहिल्या को नया जीवनदान मिला.

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