एयरपोर्ट सुरक्षा में मौजूद हैं ये 5 बड़ी खामियां, बन सकती हैं किसी बड़ी वारदात की वजह, जानें क्या है पूरा मामला

किसी अन्‍य यात्री के टिकट के सहारे पहले टर्मिनल में प्रवेश करना, फिर उसी टिकट से विमान के दरवाजे तक पहुंच जाना, इस घटना ने एयरपोर्ट की सुरक्षा व्‍यवस्‍था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. विमानन और गृह मंत्रालय ने इस चूक के लिए एयरपोर्ट ऑपरेटर और सीआईएसएफ से जवाब तलब भी किया है. दिल्‍ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्‍ट्रीय एयरपोर्ट पर हुई इस घटना के लिए फिलहाल डिजी यात्रा में मौजूद तकनीकी खामियों को ही जिम्‍मेदार माना जा रहा है.

हालांकि यह बात दीगर है कि डिजिटल और पारंपरिक व्‍यवस्‍था के कॉकटेल के बाद आईजीआई एयरपोर्ट के कई सिक्‍योरिटी प्‍वाइंट्स पर ऐसे हालात बन गए हैं, जो एयरपोर्ट सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं. ऐसा नहीं है कि एयरपोर्ट पर तैनात तमाम एजेंसियों को सुरक्षा व्‍यवस्‍था में मौजूद इन खामियों और गड़बड़झाले के बारे में मालूम नहीं है, पर यह समझ से परे है कि सबकुछ जानते-बू्झते हुए उन्‍होंने अपनी आंखें बंद क्‍यों कर रखी हैं? तमाम खामियों के बावजूद व्‍यवस्‍था जस के तस चले जा रही है.

टर्मिनल गेट से एयरोब्रिज तक मौजूद हैं तमाम सुरक्षा खामियांसुरक्षा व्‍यवस्‍था में खामी का आलम सिर्फ टर्मिनल गेट तक सीमित नहीं है, बल्कि प्री-इंबार्केशन सिक्‍योरिटी चेकिंग एरिया, सिक्‍योरिटी होल्‍ड एरिया और बोर्डिंग गेट पर भी कई खामियां ऐसी मौजूद हैं, जिनका फायदा गलत इरादे रखने वाले लोग उठा सकते हैं. चलिए आपको सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं कि आईजीआई एयरपोर्ट के टर्मिनल थ्री में इंट्री गेट से लेकर एयरोब्रिज तक कौन कौन सी सुरक्षा खामियां मौजूद हैं.

फेस रिकॉग्निशन कैमरा और स्‍कैनर :

बीते मामले में यह साफ हो गया है कि फेस रिकॉग्निशन कैमरा मुसाफिर के चेहरे को पढ़ पाने में असफल रहा है और इस असफलता की वजह से गलत नियत के साथ एक मुसाफिर टर्मिनल में दाखिल हो गया. वहीं, जहां बार कोड रीडर की जिम्‍मेदारी है कि एक बोर्डिंग दो बार स्‍कैन न हो पाए, लेकिन इस मामले में एक ही बोर्डिंग पास दो बार स्‍कैन हो गया. सुरक्षा के लिहाज से यह एक बड़ी चूक हो सकती है.

फ्लैप गेट की टाइम‍िंग:

आईजीआई एयरपोर्ट के टर्मिनल गेट पर जिस तरफ डिजी यात्रा सिस्‍टम लगाया गया है, उस तरफ सीआईएसएफ की तैनाती नहीं है. लिहाजा, यह जगह पूरी तरह से अनमैंड है और भीड़भाड़ की स्थिति में कोई भी शख्‍स नजर बचाकर टर्मिनल में दाखिल हो सकता है. इस काम में फ्लैप गेट की टाइमिंग अनधिकृत रूप से टर्मिनल में घुसने वाले शख्‍स की मदद कर सकते हैं. मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इस बारे में सीआईएसएफ की तरफ से संबंधित एजेंसियों को एक पत्र भी लिखा गया है.

डिजी गेट पर सीआईएसएफ कर्मी की गैर मौजूदगी:

डिजी गेट से सीआईएसएफ के जवानों को दूर रखा गया है. यहां पर डिजी बडी के नाम से स्‍टाफ होता है. जो यात्रियों की मदद करने का काम करता है. दरअसल, एयरपोर्ट इंट्री गेट पर सीआईएसएफ की तैनाती सिर्फ एयर टिकट और आईकार्ड की जांच के लिए नहीं की गई थी, बल्कि ऐसे यात्रियों की प्रोफाइलिंग के लिए भी की गई थी, जो एयरपोर्ट पर बदनियत के साथ दाखिल हो सकते हैं. पूर्व में बहुत से उदाहरण ऐसे हुए हैं, जिसमें बुरी नियत के साथ टर्मिनल में दाखिल हो रहे यात्रियों को इंट्री गेट पर पकड़ा गया है. डिजी गेट से सीआईएसएफ को हटाकर प्रोफाइलिंग की एक लेयर को खत्‍म किया जा रहा है.

बोर्डिंग कार्ड स्‍कैनर:

निर्धारित मॉड्यूल के तहत यदि कोई यात्री डिजी यात्रा के लिए निर्धारित गेट से बोर्डिंग गेट से टर्मिनल में दाखिल होता है तो प्री-इंबार्केशन सिक्‍योरिटी चेक के लिए डिजी यात्रा चैनल से ही जाएगा. नार्मल चैनल पर लगे बोर्डिंग कार्ड स्‍कैनर उस बोर्डिंग कार्ड को स्‍वीकार नहीं करेंगे. लेकिन बीते मामले में ऐसा नहीं हुआ. डिजी यात्रा गेट से टर्मिनल में दाखिल होने वाला गौरव सामान्‍य चैनल से बोर्डिंग कार्ड स्‍कैन कर सिक्‍योरिटी चेक के लिए आगे बढ़ जाता है.

असमंसज में सीआईएसएफ के फ्रिस्‍कर:

अब ज्‍यादातर मुसाफिरों के बोर्डिंग पास उनके मोबाइल फोन पर होते हैं. सुरक्षा जांच के दौरान, सभी यात्रियों के मोबाइल एक्‍स-रे में जांच के लिए होते हैं. ऐसे में सीआईएसएफ अधिकारी के पास ऐसा कोई भी विकल्‍प नहीं है, जिससे वह पहचान सके कि सामने खड़ा मुसाफिर अधिकृत है या फिर अनधिकृत रूप से टर्मिनल में आ घुसा है. वहीं, इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि बोर्डिंग कार्ड रीडर के जरिए पता अधिकृत यात्री का पता लगाया जा सकता है, लेकिन बीते मामले में यह साफ हो चुका है कि बोर्डिंग कार्ड रीडर कितने कारगर हैं.

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