मुस्लिम देशों में चंदे के नाम पर जुटाते थे फंड, ED की जांच से नहीं बच पाएंगे ये पांच साजिशकर्ता
केंद्रीय जांच एजेंसी ED ने PFI से जुड़े पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. ये सभी आरोपी प्रतिबंधित संगठन PFI में अलग-अलग ओहदों पर थे, जो विदेश के हवाला के जरिए आए करोड़ों रुपए का इस्तेमाल देशविरोधी गतिविधियों में कर रहे थे. इन सभी की पहचान ईएम अब्दुल रहमान, अनीस अहमद, अफसर पाशा, एएस इस्माइल और मोहम्मद शक़िफ़ के रूप में हुई है. साल 2018 में 2 मई को दर्ज की गई ECIR में सभी पांच आरोपियों से ED ने दिल्ली की तिहाड़ जेल में हाल ही में 19 दिसंबर को पूछताछ की थी.
पूछताछ 3 दिसंबर 2020 को PFI के ठिकानों पर रेड के दौरान बरामद संगठन के अलग-अलग बैंक अकाउंट डिटेल्स के आधार पर की गई. सभी आरोपी संगठन के अलग-अलग शहरों में मौजूद बैंक अकाउंट के साइनिंग अथॉरिटी थे. इन सभी से बैंक अकाउंट्स में आए करोड़ों रुपए की मनी ट्रेल के बारे में पूछताछ की गई, लेकिन संतोषजनक जवाब न देने और तथ्य छिपाने के आरोप में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
प्रतिबंधित संगठन PFI में आरोपियों का रोल
ईएम अब्दुल रहमान- शुरुआत से PFI से जुड़े थे. PFI में पिछले कई सालों में अलग-अलग पद पर रहा और हर बड़े एक्शन और फैसले में अहम रोल रहा है. अब्दुल रहमान आतंकी संगठन SIMI यानी स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया से 1979 से 1984 तक जुड़ा रहा. उसके बाद जब इस संगठन पर प्रतिबंध लगा तो PFI के नाम से बनाए गए नए संगठन में 2007 से 2008 तक जनरल सेक्रेटरी और 2009 से 2012 तक PFI का चेयरमैन रहा.
साथ ही, संगठन पर प्रतिबंध लगने तक PFI नेशनल एग्जीक्यूटिव कॉउन्सिल जोकि संगठन के हर बड़े फैसले लेती थी, उसका वाईस चेयरमैन भी रहा. इस बीच अब्दुल रहमान ने तुर्की और कई अफ्रीकन देशों का अन्य PFI मेंबर के साथ कई बार दौरा किया. साल 2015 से लेकर 2020 तक PFI के दिल्ली के कालका जी और कोज़हीकोडे मे स्थित सिंडिकेट बैंक में संगठन के बैंक अकाउंट का साइनिंग ऑथोरिटी भी था.
अनीस अहमद- PFI के वित्तीय मामले में अनीस का अहम रोल था. अनीस 2018 से लेकर 2020 तक संगठन का नेशनल सेक्रेटरी रहा और इसकी जिम्मेदारी संगठन के लिए फंड इकट्ठा करने की थी. PFI का प्रवक्ता भी था. PFI स्टेट लेवल पर फंड इकट्ठा करती थी. राज्यों के हर जिले में डिस्ट्रीक्ट कमेटी होती थी, जो फंड इकट्ठा कर स्टेट लेवल कमेटी के अकॉउंट में जमा करती, जिसे बाद में नेशनल कमेटी के अकॉउंट में जमा किया जाता था. दिल्ली और उत्तर प्रदेश से इकट्ठा फंड सीधे संगठन के अकाउंट में जमा किया जाता था.
अफसर पाशा- प्रतिबंधित संगठन PFI में नेशनल लेवल पर अलग-अलग अहम पदों पर रहा. तेलंगाना और आंध्र प्रदेश का जोनल प्रेसिडेंट था. PFI का नेशनल सेक्रेटरी भी रहा. संगठन के हर वित्तीय मामले में इसकी राय अहम होती थी. साल 2009 से 2010 तक संगठन के कर्नाटक यूनिट का जनरल सेक्रेटरी रहा. साल 2009 में मैसूर में हुए सांप्रदायिक दंगों में इसका अहम रोल था. संगठन के बेंगलुरू स्थित फ्रेजर टाउन में कॉर्पोरेशन बैंक में PFI एकाउंट में साइनिंग ऑथोरिटी था.
एएस इस्माइल- PFI के फाउंडर मेंबर में से एक है. संगठन के नॉर्थ जोन का साल 2018 से 2020 तक अध्यक्ष रहा. PFI की नेशनल एग्जीक्यूटिव कॉउंसिल का मेंबर रहा है. संगठन के हर वित्तीय मामले में अहम रोल होता है. PFI के चेन्नई स्थित मयलपोरे आरएच रोड स्थित पंजाब नेशनल बैंक में एकाउंट का साइनिंग ऑथोरिटी था.
मोहम्मद शाकिफ़- कर्नाटक में PFI के स्टेट लेवल से लेकर नेशनल लेवल तक संगठन में अहम पदों पर रहा. साल 2016 से 20 तक कर्नाटक में स्टेट प्रसिडेंट रहा. नेशनल एग्जीक्यूटिव काउंसिल का मेंबर रहा. बंगलुरु के फ्रेजर टाउन स्थित कॉर्पोरेशन बैंक में साइनिंग ऑथोरिटी था.