नौकरी से ज्यादा जरूरी है ऑपरच्युनिटी मिलना
लोकसभा का चुनाव आने वाला है. युवा इस बार के चुनाव को लेकर बहुत उत्साहित हैं. दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने अपने राजनी-टीOacute; कार्यक्रम के जरिए युवाओं की राय जानने की कोशिश की.
कैंपेन के पहले दिन हमारी टीम इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के संघटक कॉलेज सीएमपी डिग्री कॉलेज पहुंची. जहां पर टीम ने छात्रों से चुनावी मुद्दों से जुड़े कुछ सवाल पूछे. छात्रों ने खुलकर अपनी बातें रखी. फिलहाल, युवाओं ने सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के मुद्दे को प्राथमिकता दी. युवाओं ने एक स्वर से कहा कि देश की दशा और दिशा में तभी बदलाव होगा जब चुनाव केवल वादों पर न हो बल्कि वादों को पूरा भी किया जाए. जॉब के मुद्दे पर काफी गंभीरता से अपनी बात रखी. नौकरी के सवाल पर छात्र मौजूदा सरकार से थोड़ा नाखुश दिखे.
चर्चा के दौरान उठे मुद्दे
इलेक्शन से पहले हेट स्पीच के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल सही है या नहीं.
आज जब हर चीज ऑनलाइन हो रही है, तो ऑनलाइन वोटिंग पर भी विकल्प मिलना चाहिए.
हर मतदाता के लिए वोटिंग अनिवार्य की जानी चाहिए.
सरकार के खाली पदों पर अप्वाइंटमेंट के लिए कोई टाइमलाइन तय होनी चाहिए.
महिलाओं की तरह राजनीति में भी यूथ का रिजर्वेशन कोटा हो.
पॉलिटिक्स में भी यूथ्स का रिजर्वेशन कोटा तय होने पर मंथन हो.क्राइम अगेंस्ट विमेन पर मौजूदा कानून और सख्त होने चाहिए या नहीं.
राजनीति में बढ़ते परिवारवाद पर रोक लगानी चाहिए.
चुुनाव लडऩे की उम्र 25 से घटा कर के 18 कर देना चाहिए.
नौकरी के लिए मशक्कत
राजनी-टीOacute; के तहत अधिकांश युवाओं का कहना था कि नौकरी मिल नहीं रही है. बस एग्जाम पर एग्जाम दिए जा रहे हैं. सरकार को चाहिए कि जॉब दिलाने के लिए और अधिक सेंटर खोले ताकि पढ़ाई के बाद नौकरी मिलना आसान हो जाए. अधिक से अधिक रोजगार दिलाना सरकारी के चुनावी एजेंडे में भी शामिल हो. चुनाव जीतने वाली पार्टी को इस पर गंभीरता से विचार करना होगा.
शिक्षा प्रणाली पर अंसतुष्ट
शिक्षा प्रणाली को लेकर लोगों में संतुष्टि नहीं है. एक तरफ शिक्षा इतनी महंगी है कि आम इंसान की पहुंच के बाहर है. तो वहीं दूसरी तरफ शिक्षा व्यवस्था इतनी डांवाडोल है कि बहुत मजबूरी में आदमी अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाता है. शिक्षा प्रणाली को बेहतर और सरल बनाने की जरूरत है.
डिप्रेशन का हो रहे शिकार
युवाओं का कहना था कि समय से नौकरी नहीं मिलने से उन्हें तमाम तरह की बीमारियों से जूझना पड़ता है. इसके चलते वह मानसिक रूप से परेशान रहते हैं. इस दौरान कई छात्र गलत कदम उठा लेते हैं. जरूरत है तो पढ़ाई पूरी होने के बाद एक निश्चित जॉब की. जो हर किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र का सपना होता है.
सेवा के लिए होनी चाहिए राजनीति
चर्चा के दौरान अधिकांश युवाओं का कहना था कि जब हमारे नेता साफ सुथरी छवि के होंगे तो विकास कार्य भी उसी के हिसाब से होंगे. बस जरूरत है तो ईमानदारी प्रत्याशी की.
चुनाव से पहले
दागदार लोगों को चिह्नित करना जरूरी है. ताकि उन्हें पार्टी की तरफ से प्रत्याशी घोषित न किया जाए. युवाओं को कहना था कि राजनीति को परिवारवाद से दूर रखना चाहिए. जब तक देश के प्रति समर्पित लोग राजनीति में नहीं आएंगे देश का भला नहीं होगा.
विकास की गति धीमी है
युवाओं ने देश के विकास के लिए तमाम कवायदों पर चर्चा की. उनका कहना था कि देश को आजाद हुए 75 वर्ष हो गए. मगर अभी भी देश कई मायनों में पिछड़ा है. विकास की गति बेहद धीमी है. इसका प्रमुख कारण राजनीति देश का विकास न करके आरोप प्रत्यारोप से घिरी है. विकास के लिए जरूरी है सभी कार्य पारदर्शी तरीके से कराए जाएं.
युवाओं की बढऩी चाहिए भागीदारी
अधिकांश युवाओं का कहना था कि राजनीति में युवाओं की भागीदारी बढऩी चाहिए. तभी देश की दशा और दिशा में सुधार होगा. राजनीति को सेवा मानकर चलने वाले ही देश को ऊंचाई पर ले जा सकते हैं. इसके लिए चुनाव आयोग को चुनाव लडऩे की उम्र 25 से 18 करने पर विचार करना चाहिए.
चुनाव में खड़े होने वाला प्रत्याशी साफ-सुथरी छवि होना वाला चाहिए. उसके ऊपर किसी प्रकार का कोई क्राइम का केस नहीं होना चाहिए. यदि प्रत्याशी
इमानदार होगा तो आने वाली युवा पीढ़ी के लिए आइडियल बनेगा. साथ ही चुनाव लडऩे वाला प्रत्याशी स्थानीय होना चाहिए ताकि वह क्षेत्र की समस्याओं को अच्छे तरीके से समझ सके. – अमित सिंह
लोकसभा चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशियों की उम्र को 25 से 18 वर्ष करना एक डिबेट का मुद्दा है. इसके लिए लोगों को एकत्रित कर उनके विचार जानने चाहिए. इस डिबेट के दौरान जो निकल कर आए उसको ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना चाहिए. शुभम कुमार
नौकरियों से ज्यादा छात्रों के पास में आपॅरच्यूनिटी होनी चाहिए. प्रतियोगी परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए एज के मानक को बढ़ा देना चाहिए. इससे उनके परीक्षा में बैठने के चांस बढ़ जाएंगे. और जब परीक्षा में बैठने के चांस बढेंगे तो नौकरी मिलने की संभावना भी ज्यादा हो जाएगी. प्रशांत सावन
राजनीति में परिवारवाद नहीं विकासवाद होना चाहिए. ताकि हमारा और देश दोनों का सार्वभौमिक रूप से विकास हो सके. यदि सत्ता केवल एक व्यक्ति य परिवार के पास होगी तो इससे समाज में निरंकुशता आएगी. समाज में कई तरह की कुरीतियां फिर से जन्म लेने लगेंगी. नेहा
वोट पार्टियों को नहीं बल्कि प्रत्याशी को देखकर करेंगे. यदि किसी पार्टी के प्रत्याशी का कार्य निचले लेवल पर अच्छा है तो उसे हमारा वोट उसी को जाएगा. क्योंकि किसी पार्टी का कर्णधार उस पार्टी का प्रत्याशी ही होता है. अमृता सिंह
सरकार द्वारा वोटिंग करने के लिए उम्र 18 वर्ष रखी गई है. यह निर्णय पूरी तरह से ठीक है. इससे कम आयु वालों को मत देने की अनुमति मिलेगी तो प्रत्याशी उसे आसानी से अपने पक्ष में कर लेगा. जो कि देश व समाज के लिए ठीक नहीं होगा.- जाह्नवी सिंह
सुरक्षा की बात सभी के लिए महत्वपूर्ण है. कानून के दायरे में हर आदमी को सुरक्षित रहने का अधिकार है. मगर इस अधिकार का हनन करने वालों पर कानून का शिकंजा शायद ही कभी कस पाता है. जिसका नतीजा है कि दर्जनों केस दर्ज होने के बाद भी खुलेआम लोग घूमते रहते हैं. दहशत का कारण बनते हैं.विशेष यादव