बच्चों को दे रहे कॉटन कैंडी, हो जाएं सतर्क, इसमें मिला केमिकल करता है कैंसर
अक्सर आपने बाजार में गुलाबी, नीली या सफेद कॉटन कैंडी देखी होंगी. इन्हें आम भाषा में ‘बुढ़िया के बाल’ भी कहा जाता है. ज्यादातर बच्चे कॉटन कैंडी बड़े शौक से खाते हैं. वहीं, बच्चे अक्सर रंगीन कॉटन कैंडी ही पंसद करते हैं.
इनमें भी पिंक कॉटन कैंडी सबसे ज्यादा पसंद की जाती है. अगर आप या आपके बच्चे भी पिंक कॉटन कैंडी के शौकीन हैं तो सतर्क हो जाएं. आपको नहीं पता कि आप अपने बच्चों को पिंक कॉटन कैंडी के नाम पर जहरीला केमिकल खिला रहे हैं. ये केमिकल इतना खतरनाक होता है कि लंबे समय में कैंसर का कारण बन सकता है.
तमिलनाडु, पुडुचेरी और दिल्ली समेत कई राज्यों में कॉटन कैंडी की बिक्री पर पाबंदी है. इसके बाद भी सड़क किनारे, रेड लाइट या बाजारों में आपको आसानी से कॉटन कैंडी मिल जाएगी. फूड एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट की जांच में पाया गया कि कॉटन कैंडी में जहरीला तत्व रोडामाइन बी होता है. हालांकि, बिना रंग वाली कॉटन कैंडी की बिक्री पर पाबंदी नहीं है. बता दें कि कॉटन कैंडी में पाया जाने वाला ‘रोडामाइन बी’ सिंथेटिक डाई है, जो गुलाबी या गहरा लाल रंग देता है. यह केमिकल कपड़ा, कागज और चमड़ा उद्योग में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है.
पानी में बहुत तेजी से घुलता है ये सस्ता केमिकल
रोडामाइन बी बहुत तेजी से पानी में घुल जाता है. साथ ही ये बेहद सस्ता होता है. इसलिए कई उद्योगों में गुलाबी या लाल रंग के प्रोडक्ट्स बनाने के लिए रोडामाइन बी का इस्तेमाल खूब होता है. रोडामाइन बी जैविक रूप से नष्ट नहीं होता है. यही नहीं इसकी मदद से बनाया गया रंग गर्मी और तेज रोशनी में फीका भी नहीं पड़ता है. लिहाजा, रोडामाइन बी को कई उद्योगों में पिगमेंट के तौर पर इस्तेमाल किए जाने की मंजूरी है. हालांकि, खाद्य पदार्थों में इसका इस्तेमाल पूरी तरह से प्रतिबंधित है. बावजूद इसके रोडामाइन बी का खाद्य पदार्थों में भी जमकर इस्तेमाल होता है.
कॉटन कैंडी में मिला रोडामाइन बी बहुत तेजी से पानी में घुल जाता है. साथ ही ये बेहद सस्ता होता है.
रोडामाइन बी का इस्तेमाल है दंडनीय अपराध
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी एफएसएसएआई ने खाद्य पदार्थों में दूसरे कृत्रिम रंगों के इस्तेमाल की मंजूरी दी हुई है. लेकिन, खाद्य पदार्थों में रंगों के प्रकार और मात्रा के इस्तेमाल को लेकर एफएसएसएआई ने स्पष्ट दिशानिर्देश दिए हुए हैं. एफएसएसएआई ने रोडामाइन बी को खाने-पीने की चीजों को रंगीन बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने पर पाबंदी लगाई हुई है. इसके बाद भी इनका इस्तेमाल करना फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट 2006 के तहत अपराध है, जिसके लिए दंड का प्रावधान भी है.
खाने-पीने की किन चीजों में होता है इस्तेमाल
रोडामाइन बी का इस्तेमाल खाने पीने की चीजों को लाल और गुलाबी रंग देने के लिए किया जाता है. पिंक कॉटन कैंडी के अलावा रोज़ मिल्क यानी गुलाब मिला हुआ दूध बेचने के नाम पर दूध में रोडामाइन बी मिलाया जाता है. इसके अलावा रोडामाइन बी को सुपारी, लाल मूली, शकरकंदी, कई सब्जियों और फलों को लाल रंग देने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. बता दें कि खाद्य पदार्थों में रंग लाने के लिए कुछ पिगमेंट मिलाने की मंजूरी है. एफएसएसएआई लाल रंग के लिए एलुरा रेड या हरे रंग के लिए एपल ग्रीन मिलाने की इजाजत देता है. इसकी मात्रा भी तय है.
कैसे पता करें, रोडामाइन बी मिला है या नहीं
अब जरूरी नहीं है कि हर गुलाबी या लाल दिखने वाली खाने-पीने की चीज में रोडामाइन बी हो. अब सवाल ये उठता है कि इसका पता कैसे लगाया जाए. बता दें कि इसका पता घर पर ही बहुत आसानी से लगाया जा सकता है. रोडामाइन बी केमिकल पानी और तेल में बहुत ही आसानी से घुल जाता है. अगर आपको शक है कि शकरकंदी पर रोडामाइन बी लगाकर रंग दिया गया है तो थोड़ी सी रुई को पानी या तेल में भिगोकर सतह पर घिसें. अगर रुई गुलाबी हो जाती है तो शकरकंदी पर रोडामाइन बी लगाया गया होगा. एफएसएसएआई के बताए इस तरीके से हर चीज की जांच नहीं हो सकती है. इस पर फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट का कहना है कि गाढ़े व चमकदार रंग वाली सब्जियों, फलों, आइसक्रीम, चॉकलेट, केक से बचना ही बेहतर विकल्प है.
रोडामाइन बी कार्सिनोजेनिक और म्यूटाजेनिक यानी कैंसर का कारण बन सकता है.
सेहत पर कैसे असर डालता है रोडामाइन बी
कुछ अध्ययनों के मुताबिक, रोडामाइन बी कार्सिनोजेनिक और म्यूटाजेनिक यानी कैंसर का कारण बन सकता है. इससे त्वचा रोग, सांस में तकलीफ, लीवर और किडनी को नुकसान हो सकता है. फैक्ट्रियों से निकलने वाला रोडामाइन बी पर्यावरण और भूजल को प्रदूषित करता है. रोडामाइन बी के लगातार इस्तेमाल से लीवर कैंसर हो सकता है. कई शोध में रोडामाइन बी और लीवर को होने वाले नुकसान के बीच संबंध की पुष्टि हो चुकी है. लीवर के अलावा यह नर्वस सिस्टम पर बुरा असर डालता है. ये स्पाइनल कॉर्ड को भी नुकसान पहुंचा सकता है. आमतौर पर एक-दो बार खाने से कोई गंभीर असर नहीं होता, लेकिन लगातार सेवन हानिकारक हो सकता है.