वार्सिलोना में मिली थी नौकरी, IGIA पर हुआ कुछ ऐसा, बर्बाद हो गया पूरा परिवार
सुबह से बेचैन बैठे जगदीश को कुछ देर पहले ही कोई एक लड़का एक लिफाफा पकड़ा कर गया था. उस लिफाफे को खोलते वक्त जगदीश के हाथ ऐसे कांप रहे थे, मानो उसकी जिंदगी का आज कोई बड़ा फैसला होने वाला था.
उस लिफाफे के अंदर से एक पासपोर्ट निकला, जिसके एक-एक पन्ने को जगदीश बेहद बेसब्री से पलट रहा था. तभी जगदीश की नजर एक पन्ने पर रुक गई और उसके चेहरे के भाव तेजी से बदलने लगे. सुबह से गुमसुम बैठे इस लड़के के चेहरे पर अचानक पूरी दुनिया की खुशियां नजर आने लगी थीं.
कुछ देर एक ही जगह पर सन्न खड़े रहने के बाद जगदीश ने आंखे खोली और सभी को खुशखबरी देते हुए बताया कि उसकी नौकरी स्पेन के वार्सिलोना शहर में लगी है. कुछ ही दिनों में वह वार्सिलोना चला जाएगा और उसके बाद उसकी पूरी जिंदगी बदल जाएगी. यह खबर देखते ही देखते सभी रिश्तेदारों के साथ-साथ पूरे बंबा (अंबाला) गांव में फैल गई. देखते ही देखते वह दिन भी आ गया, जिस दिन जगदीश को वार्सिलोना के लिए रवाना होना था. 12 जनवरी की रात जगदीश को एयरपोर्ट पर छोड़ने के लिए उसका पूरा परिवार और सभी दोस्त मौजूद थे.
अपनों से विदा लेने के बाद जगदीश सिंह आईजीआई एयरपोर्ट की टर्मिनल बिल्डिंग में दाखिल हो गया. अब उसे एतिहाद एयरवेज की फ्लाइट संख्या EY-223 से आबुधाबी होते हुए वार्सिलोना के लिए रवाना होना था. चेक-इन की प्रक्रिया पूरी करने के बाद अब वह इमीग्रेशन जांच के लिए अपने दस्तावेजों के साथ एक लाइन में खड़ा था. कुछ ही देर में वह काउंटर नंबर 27 पर बैठे इमीग्रेशन अधिकारी राजेश कुमार के सामने था. इमीग्रेशन अधिकारी राजेश कुमार ने जगदीश से कुछ सवाल पूछे और उसके पासपोर्ट के सभी पन्नों को एक-एक कर ध्यान से देखने लगे.
इमीग्रेशन अधिकारी राजेश कुमार की उंगलियां अचानक पासपोर्ट के पेज नंबर 9 पर आकर रुक गई और भौहों पर बल नजर आने लगा. उन्होंने जगदीश से पूछा कि आपको वीजा कहां से मिला है, जिस पर जगदीश ने जवाब दिया कि यह वीजा उसके जानकार ट्रैवल एजेंट के जरिए मिला है. इसके बाद, इमीग्रेशन अधिकारी ने फोन कर अन्य इमीग्रेशन अधिकारी को बुलाया और जगदीश को उसके पासपोर्ट के साथ भेज दिया. जगदीश को एक अलग कमरे में ले जाया गया, जहां मौजूद इमीग्रेशन अधिकारी से जगदीश को पता चला कि उसके पासपोर्ट पर लगा वीजा फर्जी है.
यह सुनते ही जगदीश के पैरों तले जमीन खिसक गई. पूछताछ के दौरान जगदीश ने बताया कि यह वीजा उसके गांव में रहने वाले लखबीर सिंह की मदद से हासिल किया है. लखबीर सिंह ने इस वीजा और स्पेन में नौकरी दिलाने के नाम पर उससे पांच लाख रुपए लिए हैं. वार्सिलोना पहुंचने के बाद उसे 4 लाख रुपए का भुगतान करना है. इस कबूलनामें के बाद जगदीश को आईजीआई एयरपोर्ट के पुलिस के हवाले कर दिया गया और आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने उसे सलाखों के पीछे भेज दिया. जगदीश सिंह की इसके आगे की कहानी और उसे धोखा देने वाले लखबीर सिंह का अंजाम जानने के लिए ‘कभी बेचा था स्पेन में नौकरी का सपना, 5 लाख हड़प मासूम को भिजवाया था जेल, फिर खुद के साथ हुआ बड़ा खेल’