8th Pay Commission को लेकर सरकार ने कर दिया क्लियर, कह दी ये बात
राज्यसभा सदस्य रामनाथ ठाकुर ने वित्त मंत्री से सवाल किया कि 7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission update) के पैरा 1.22 पर विचार ना करने और उसे अनुमोदित नहीं किए जाने की क्या वजहें फाइलों में दर्ज की गई है.
इस प्रश्न का जवाब देते हुए वित्त राज्यमंत्री ने कहा, सातवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के आधार पर वेतन और भत्तों में संशोधन पर मंजूरी देते समय कैंद्रीय कैबिनेट ने इस मामले पर विचार नहीं किया है.
सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के रिपोर्ट के पैरा 1.22 में 5 वर्ष के बाद फिटमेंट फैक्टर (fitment factor) की समीक्षा करने की सिफारिश की गई है जिससे केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन बढ़ोतरी का रास्ता साफ हो सकेगा. लेकिन सरकार इसे लागू करने से बचती आई है.
वित्त मंत्री से ये भी पूछा गया कि आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission latets update) का गठन इसलिए तो नहीं किया जा रहा क्योंकि सरकार वेतन आयोग के भार को वहन की हालत में नहीं है?
क्यों दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्ता होने का दावा करने वाली सरकार पिछले 30 सालों से महंगाई का सामना कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन की समीक्षा के लिए आठवें वेतन आयोग का गठन नहीं कर रही है? इस सवाल के जवाब में वित्त राज्यमंत्री ने कि सरकार के सामने ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.
कमरतोड़ महंगाई के मद्देनजर केंद्रीय कर्मचारी लगातार सरकार से आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन करने की मांग कर रहे हैं. हर 10 साल बाद सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स के पेंशन में बढ़ोतरी के लिए सरकार नए वेतन आयोग का गठन करती है.
वेतन आयोग को अपनी रिपोर्ट और सिफारिशें जमा करने के लिए 18 महीने का समय दिया जाता है. 7वें वेतन आयोग का गठन 2014 में किया गया था और उसकी सिफारिशों को एक जनवरी 2016 से लागू किया गया था.