GPS टोल टैक्स शुरू, अब आपकी गाड़ी का कैसे कटेगा Toll? जानें सबकुछ

राष्ट्रीय राजमार्ग एवं परिवहन मंत्रालय ने देश में GPS सिस्टम से टोल टैक्स की वसूली शुरू कर दी है. फिलहाल ये हाइब्रिड मोड पर केवल हरियाणा के पानीपत-हिसार नेशनल हाईवे 709 पर चालू है. आपको बता दें GPS टोल टैक्स में अगर आपकी गाड़ी नेशनल हाईवे पर पहुंचती है तो आप बिना पैसे के केवल 20 किमी तक का ही सफर कर सकते हैं.
GPS टोल टैक्स फिलहाल सिलेक्टिव गाड़ी पर ही लगेगा. इसके लिए आपको अपनी गाड़ी में क्या बदलाव कराने है. GPS टोल टैक्स में आने वाली परेशानी के बारे में भी आपको यहां बता रहे हैं.
क्या है GPS टोल टैक्स?
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस सिस्टम को ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) नाम दिया गया है. ये सिस्टम नेशनल हाईवे और एक्सप्रेस वे पर टोल टैक्स ‘पे एज यू यूज’ बेसिस की तर्ज पर टैक्स वसूलेगा. इस टोल सिस्टम में आपकी GNSS से लैस गाड़ी केवल 20 किमी तक फ्री में चल सकेगी. जैसे ही आपकी गाड़ी 20 किमी का सफर पूरा करेगी वैसे ही टोल टैक्स लगना शुरू हो जाएगा.
GNSS टोल सिस्टम के फायदे
ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम में आपको उतना ही टोल टैक्स देना होगा, जितनी आपकी गाड़ी नेशनल हाईवे या एक्सप्रेसवे पर दौड़ेगी. इसके अलावा इस सिस्टम की बदौलत आपकी गाड़ी की रियल टाइम लोकेशन भी पता चलेगी. वहीं टोल टैक्स बूथ पर लगने वाले जाम से राहत मिलेगी.
GNSS टोल सिस्टम के नुकसान
ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम में जितने फायदे हैं उतने ही नुकसान भी हैं. GNSS टोल सिस्टम में टनल और घाट सेक्शन में सिग्नल में दिक्कत आएगी. ये सिस्टम पूरी तरह सैटेलाइट सिग्नल पर निर्भर होगा. ऐसे में खराब मौसम में दिक्कत आ सकती है. इसके साथ ही GNSS गाड़ी के मूवमेंट को ट्रैक करेगा जिससे प्राइवेसी की चिंता रहेगी.
फास्टैग अभी करेगा काम
GNSS टोल सिस्टम फिलहाल ट्रायल बेस्ड पर शुरू किया गया है. ऐसे में अभी फास्टैग के जरिए ही टोल टैक्स की वसूली कीजाएगी. फास्टैग रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन या RFID तकनीक पर काम करता है. इस तकनीक के जरिए टोल प्लाजा पर लगे कैमरे स्टिकर के बार-कोड को स्कैन कर लेते हैं और टोल फीस अपनेआप फास्टैग के वॉलेट से कट जाती है.

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