हैं तैयार हम… नागपुर रैली को लेकर राहुल ने क्यों दिया ये संदेश? समझें मायने
कांग्रेस 28 दिसंबर की पार्टी के 139वें स्थापना दिवस पर महाराष्ट्र के नागपुर शहर में होने वाली अपनी मेगा रैली की थीम है. ‘हैं तैयार हम’. इसके साथ अगले साल के लोकसभा चुनावों के लिए अपने अभियान की शुरुआत करने के लिए पूरी तरह तैयार है. राहुल गांधी का नागपुर की रैली के लिए कांग्रेसियों को बड़ा संदेश है. आरएसएस से सीधे मुकाबले के लिए हैं तैयार हम.
गौरतलब है कि नागपुर आरएसएस का मुख्यालय है. उसी नागपुर में 28 दिसंबर को कांग्रेस की स्थापना दिवस रैली है, जिसका थीम पहले ही रखा गया है-हैं तैयार हम.
पार्टी नेताओं के मुताबिक, सभा को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी संबोधित करेंगे. इसके अतिरिक्त सभा में कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य, एआईसीसी और महाराष्ट्र सहित बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता भाग लेंगे.
भाजपा से मुकाबले का कांग्रेस देगी संदेश
सभा में पार्टी इकाई के पदाधिकारी और विभिन्न राज्यों में पार्टी के सीएम भी हिस्सा लेंगे. पार्टी नेताओं का कहना है कि यह देश के लोगों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा. उन्होंने कहा कि पार्टी केंद्र में भाजपा को हराने के लिए बदलाव का संदेश देगी.
महाराष्ट्र की दूसरी राजधानी के रूप में जाने जाने वाला नागपुर, जिसे देश का भौगोलिक केंद्र माना जाता है, विदर्भ क्षेत्र के केंद्र में स्थित है. नागपुर से कांग्रेस आरएसएस और भाजपा से मुकाबला का संदेश देगी. इस तरह से इस रैली के माध्यम से कांग्रेस लोकसभा चुनाव प्रचार का आगाज करेगी.
नागपुर कांग्रेस का रहा है गढ़
नागपुर से कांग्रेस का जुड़ाव भारत की आजादी से पहले का है. दिसंबर 1920 में आयोजित कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में महात्मा गांधी के नेतृत्व में पार्टी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन शुरू करने का आह्वान किया था.
नागपुर हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रहा है. आपातकाल के दौरान समाजवादी नेता जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में “इंदिरा हटाओ, देश बचाओ” आंदोलन के दौरान भी, कांग्रेस ने नागपुर में अपना मैदान बरकरार रखा था. 1980 से 2019 तक, बीजेपी केवल तीन बार-1996, 2014 और 2019 में नागपुर लोकसभा सीट से जीत हासिल कर पाई है.
कांग्रेस ने कहा है कि वह महात्मा गांधी के नेतृत्व वाले स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी नेताओं द्वारा बनाए गए संविधान द्वारा परिकल्पित “भारत के विचार” पर दावा करने के लिए भाजपा-आरएसएस के साथ एक वैचारिक लड़ाई में लगी हुई है.