मॉब लिंचिंग पर फांसी, राजद्रोह की जगह देशद्रोह, रेप केस में सख्त सजा… नए क्रिमिनल लॉ संसद से पास, पढ़ें अब क्या-क्या बदल जाएगा

मॉब लिंचिंग पर फांसी, राजद्रोह की जगह देशद्रोह, रेप केस में सख्त सजा... नए क्रिमिनल लॉ संसद से पास, पढ़ें अब क्या-क्या बदल जाएगा

आजादी से भी 90 साल पहले बने तीन कानून अब बदल जाएंगे. क्रिमिनल लॉ को बदलने वाले तीनों बिल राज्यसभा से भी पास हो गए. ये बिल बुधवार को लोकसभा से पास हुए थे. ये बिल इंडियन पीनल कोड (आईपीसी), कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर (सीआरपीसी) और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह लेंगे.

इन तीनों बिलों के कानून बनने के बाद 1860 में बनी आईपीसी को भारतीय न्याय संहिता, 1898 में बनी सीआरपीसी को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 1872 के इंडियन एविडेंस एक्ट को भारतीय साक्ष्य संहिता के नाम से जाना जाएगा.

इन बिलों पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इन कानूनों को विदेशी शासक की ओर से अपने शासन को बनाए रखने के लिए बनाया गया था. ये गुलाम प्रजा पर शासन करने के लिए बनाए गए कानून थे और इसकी जगह अब जो कानून आ रहे हैं, वो संविधान की तीन मूल चीजें- व्यक्ति की स्वतंत्रता, मानव के अधिकार और सबके साथ समान व्यवहार के आधार पर बनाए गए हैं.

सरकार का दावा है कि इन बिलों के कानून बनने से भारत के क्रिमिनल सिस्टम में बड़ा बदलाव आएगा. अब लोगों को तीन साल के अंदर न्याय मिल सकेगा.

किसमें क्या बदलेगा?

– आईपीसीः कौनसा कृत्य अपराध है और इसके लिए क्या सजा होगी? ये आईपीसी से तय होता है. अब इसे भारतीय न्याय संहिता कहा जाएगा. आईपीसी में 511 धाराएं थीं, जबकि बीएनएस में 358 धाराएं होंगी. 21 नए अपराध जोड़े गए हैं. 41 अपराधों में कारावास की अवधि बढ़ाई गई है. 82 अपराधों में जुर्माना बढ़ा है. 25 अपराधों में जरूरी न्यूनतम सजा शुरू की गई है. 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा का दंड रहेगा. और 19 धाराओं को खत्म कर दिया गया है.

– सीआरपीसीः गिरफ्तारी, जांच और मुकदमा चलाने की प्रक्रिया सीआरपीसी में लिखी हुई है. सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं. अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं होंगी. 177 धाराओं को बदल दिया गया है. 9 नई धाराएं जोड़ी गईं हैं और 14 को खत्म कर दिया गया है.

– इंडियन एविडेंस एक्टः केस के तथ्यों को कैसे साबित किया जाएगा, बयान कैसे दर्ज होंगे, ये सब इंडियन एविडेंस एक्ट में है. इसमें पहले 167 धाराएं थीं. भारतीय साक्ष्य संहिता में 170 धाराएं होंगी. 24 घाराओं में बदलाव किया गया है. दो नई धाराएं जुड़ीं हैं. 6 धाराएं खत्म हो गईं हैं.

पहली बार आतंकवाद की परिभाषा

आईपीसी में आतंकवाद की परिभाषा नहीं थी. बीएनएस में है. इसके मुताबिक, जो कोई भारत की एकता, अखंडता, और सुरक्षा को खतरे में डालने, आम जनता या उसके एक वर्ग को डराने या सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने के इरादे से भारत या किसी अन्य देश में कोई कृत्य करता है तो उसे आतंकवादी कृत्य माना जाएगा.

आतकंवाद की परिभाषा में ‘आर्थिक सुरक्षा’ शब्द को भी परिभाषा में जोड़ा गया है. इसके तहत, अब जाली नोट या सिक्कों की तस्करी या चलाना भी आतंकवादी कृत्य माना जाएगा. इसके अलावा किसी सरकारी अफसर के खिलाफ बल का इस्तेमाल करना भी आतंकवादी कृत्य के दायरे में आएगा.

बीएनएस में धारा 113 में इन सभी कृत्यों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. इसके तहत, आतंकी कृत्य का दोषी पाए जाने पर मौत की सजा या उम्रकैद की सजा हो सकती है.

राजद्रोह की जगह अब देशद्रोह

आईपीसी में धारा 124A थी, जिसमें राजद्रोह के अपराध में 3 साल से लेकर उम्रकैद की सजा का प्रावधान था. बीएनएस में राजद्रोह की जगह ‘देशद्रोह’ लिखा गया है.

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि देश के खिलाफ कोई नहीं बोल सकता और इसके हितों को नुकसान नहीं पहुंचा सकता. उन्होंने कहा कि देशद्रोह के आरोपी को कठोर से कठोर दंड मिलना चाहिए.

बीएनएस में धारा 150 में ‘देशद्रोह’ से जुड़ा प्रावधान किया गया है. धारा 150 में इसे ‘भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य’ के रूप में शामिल किया गया है. बीएनएस में ऐसा करने पर दोषी पाए जाने पर 7 साल की सजा से लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान है. साथ ही जुर्माना भी लगाया जाएगा.

महिलाओं के लिए क्या?

आईपीसी में धारा 375 है. इसमें रेप को परिभाषित किया गया है. साथ ही वो 7 परिस्थितियां भी बताई गईं हैं, जब सेक्सुअल इंटरकोर्स को रेप माना जाता है. वहीं, धारा 376 में रेप के लिए सजा का प्रावधान है.

बीएनएस में धारा 63 और 64 है. धारा 64 में इन अपराधों के लिए सजा बताई गई है. और कोई बदलाव नहीं किया गया है. रेप के मामलों में दोषी पाए जाने पर कम से कम 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है.

18 साल से कम उम्र की नाबालिग से गैंगरेप के मामले में अभी दोषी व्यक्ति को 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है. प्रस्तावित बीएनएस की धारा 70(2) के तहत, नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को आजीवन कारावास से लेकर मौत की सजा तक हो सकती है.

16 साल से कम उम्र की लड़की से दुष्कर्म के लिए सजा बढ़ाकर 20 साल कर दी गई है. नाबालिग से दुष्कर्म में मौत की सजा का भी प्रावधान है. 12 साल से कम उम्र की नाबालिग से दुष्कर्म पर कम से कम 20 साल जेल की सजा या मौत की सजा होगी.

कथित लव जिहाद के लिए सजा

बीएनएस में धोखाधड़ी या झूठ बोलकर किसी महिला से शादी करने या फिर शादी का झांसा देकर यौन संबंध बनाने पर भी सजा का प्रावधान किया गया है. ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की जेल और जुर्माने की सजा का प्रावधान होगा.

भगोड़े अपराधियों पर ट्रायल हो सकेगा

अब तक किसी भी अपराधी या आरोपी पर ट्रायल तभी शुरू होता था, जब वो अदालत में मौजूद हो. पर अब फरार घोषित अपराधी के बगैर भी मुकदमा चल सकेगा. फरार आरोपी पर आरोप तय होने के तीन महीने बाद ट्रायल शुरू हो जाएगा.

गृहमंत्री अमित शाह के मुताबिक, पहले 19 अपराधों में ही भगोड़ा घोषित कर सकते थे, अब 120 अपराधों में भगोड़ा घोषित करने का प्रावधान किया गया है.

अब मॉब लिंचिंग पर भी सजा का प्रावधान

अभी तक मॉब लिंचिंग के लिए सजा का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था. लेकिन भारतीय न्याय संहिता में इसके लिए प्रावधान किया गया है. अमित शाह ने कहा कि मॉब लिंचिंग एक घृणित अपराध है और इसके लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है.

बीएनएस में मर्डर के लिए धारा 101 में सजा का प्रावधान है. इसमें दो सब-सेक्शन हैं. धारा 101(1) कहती है, अगर कोई व्यक्ति हत्या का दोषी पाया जाता है तो उसे आजीवन कारावास से लेकर मौत की सजा तक हो सकती है. साथ ही उसपर जुर्माना भी लगाया जाएगा.

वहीं, धारा 101(2) में मॉब लिंचिंग के लिए सजा का प्रावधान है. इसके तहत, पांच या उससे ज्यादा लोग जाति, नस्ल या भाषा के आधार पर हत्या करते हैं, तो सात साल से लेकर फांसी की सजा तक का प्रावधान है.

इसके अलावा, हत्या की कोशिश के मामले में आईपीसी की धारा 307 के तहत सजा का प्रावधान है. बीएनएस में इसके लिए धारा 107 होगी.

इसी तरह, गैर-इरादतन हत्या के मामले में पुलिस के पास जाने और पीड़ित को अस्पताल ले जाने पर कम सजा होगी. लेकिन हिट एंड रन केस में 10 साल की सजा होगी.

जल्द मिलेगा इंसाफ

अब देश में कहीं भी जीरो एफआईआर दर्ज करवा सकेंगे. इसमें धाराएं भी जुड़ेंगी. अब तक जीरो एफआईआर में धाराएं नहीं जुड़ती थीं. 15 दिन के भीतर जीरो एफआईआर संबंधित थाने को भेजनी होगी.

छोटे-छोटे मामलों और तीन साल से कम सजा के अपराधों के मामलों में समरी ट्रायल किया जाएगा. इससे सेशन कोर्ट में 40% से ज्यादा मामले खत्म होने की उम्मीद है.

पुलिस को 90 दिन में चार्जशीट दाखिल करनी होगी. परिस्थिति के आधार पर अदालत 90 दिन का समय और दे सकती है. 180 दिन यानी छह महीने में जांच पूरी कर ट्रायल शुरू करना होगा.

अदालत को 60 दिन के भीतर आरोपी पर आरोप तय करने होंगे. सुनवाई पूरी होने के बाद 30 दिन के अंदर फैसला सुनाना होगा. फैसला सुनाने और सजा का ऐलान करने में 7 दिन का ही समय मिलेगा.

अगर किसी दोषी को मौत की सजा मिली है और उसकी अपील सुप्रीम कोर्ट से भी खारिज हो गई है, तो 30 दिन के भीतर दया याचिका दायर करनी होगी.

कैदियों के लिए भी है राहत की बात!

नए कानून में कैदियों के लिए कई प्रावधान किए गए हैं. एक-तिहाई सजा काट चुके अंडर ट्रायल कैदी के लिए जमानत का प्रावधान किया गया है.

इसके अलावा सजा माफी को लेकर भी कई प्रावधान किए गए हैं. अगर मौत की सजा मिली है तो उसे ज्यादा से ज्यादा आजीवन कारावास में बदला जा सकता है. आजीवन कारावास है तो 7 साल की सजा काटनी होगी. 7 साल या उससे ज्यादा की सजा है तो कम से कम 3 साल जेल में रहना पड़ेगा.

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