वो कहते थे रामजन्मभूमि वाली अयोध्या तो थाईलैंड में

सब पर राम तपस्वी राजा। तिनके काज सकल तुम साजा। और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै।।

तपस्वी राजा श्रीराम सर्वश्रेष्ठ हैं। उनके सब कार्यों को हनुमानजी ने सहज कर दिया। जिस पर हनुमानजी की कृपा हो वो कोई इच्छा करे, तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी सीमा नहीं होती।

1855 की बात है। अंग्रेजों का राज था। ब्रिटिश रेजिडेंट ने अवध नवाब को पत्र लिखा कि मौलवी गुलाम हुसैन रामजन्मभूमि पर हमले के लिए मस्जिदों से तकरीर कर लोगों को भड़का रहा है। उसका दावा था कि हनुमानगढ़ी के भीतर मस्जिद है। एक दिन हनुमानगढ़ी पर हमला हो गया। इधर हनुमानगढ़ी के बैरागी, उधर जेहादी। कई लोग मारे गए, जीत बैरागियों की हुई।

बैरागी महंत और निर्वाणी अखाड़े का मंदिर है हनुमानगढ़ी। रावण से युद्ध कर जब राम अयोध्या लौटे, तो हनुमानजी यहीं रहने लगे थे। 8000 मठ-पीठ-मंदिरों वाली अयोध्याजी के इस मंदिर में रामलला विराजमान के बाद सबसे ज्यादा लोग दर्शन को आते हैं। 76 खड़ी सीढ़ियां चढ़कर आप 52 बीघा में फैली हनुमानगढ़ी के मुख्य मंदिर में होंगे। मंदिर में अंजनी पुत्र मां की गोद में विराजे हैं। पीछे से आवाज आ रही है… जय जय सीता राम जी के प्यारे हनुमान जी, प्यारे हनुमान जी, दुलारे हनुमान जी। यह हनुमानगढ़ी के राष्ट्रपति गद्दीनशीन श्री श्री 1008 प्रेमदास जी महाराज हैं। 7 साल के थे, जब यहां आए। पहले सेवक बने, फिर पुजारी और प्रमोशन पाकर गद्दीनशीन।

 

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