2 फीट तक की हाइट, दूध भी खास… पुंगनूर नस्ल की गाय को कितना जानते हैं आप जिन्हें पीएम मोदी ने खिलाया चारा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मकर संक्रंति के मौके पर 14 जनवरी को अपने निवास पर गौसेवा की और उसको वीडियो भी शेयर किया. हालांकि यह कोई पहली बार नहीं है कि जब पीएम मोदी ने गौसेवा की हो, लेकिन मकर संक्रंति को उन्होंने जिस नस्ल की गायों को चारा और गुड खिलाया, वह अपने आप में खास है. इन गायों को पुंगनूर के नाम से जाना जाता है और इनकी खासियत इनकी कम हाइट होती है.
इस तरह की गायें आंध्र प्रदेश में चित्तूर जिले के पुंगनूर इलाके में पाई जाती हैं, इसी वजह से इनका नाम पुंगनूर पड़ा. भले यह छोटी और सामान्य बछड़े जैसी दिखती हैं, लेकिन यह जो दूध देती हैं, वह काफी गाढ़ा होता है. इसके साथ ही दूसरी गायों की तुलना में उनके दूध में मक्खन भी ज्यादा निकलता है. जानकारों का मानना है कि पुंगनूर गायों के दूध में काफी औषधीय गुण होते हैं और यह पारंपरिक दवाई बनाने में भी अहम रहता है.
गोबर और मूत्र भी बिकते हैं
इसके साथ ही सिर्फ दूध ही नहीं, इन गायों का गोबर और मूत्र भी बेचा और खरीदा जाता है. इन गायों को पालने का खर्च कम है और ये प्रतिकूल हालात भी झेल लेती हैं. हालांकि हाइब्रिड या विदेशी नस्ल वाली गायों की तुलना में काम दूध देने के कारण किसानों ने अब धीरे-धीरे पुंगनूर को पालना छोड़ दिया है, इसकी वजह से यह नस्ल अब खतरे में भी है.
पुंगनूर की आमतौर पर ऊंचाई 2 से 5 फीट होती है, यह एक दिन में 5 किलो तक चारा भी खाती है और 3 से 5 किलो तक दूध देती है. आंध्र प्रदेश के काकीनाडा के एक वैद्य डॉक्टर पी कृष्णा राजू ने इसके आकार को इतना छोटा कर दिया है कि पुंगनूर गाय का क्रेज शहरों में भी सिर चढ़कर बोलने लगा है. डॉक्टर पी कृष्णम राजू ने 14 सालों से गायों के संवर्धन और ब्रिडिंग पर काम किया है. उनके पास देश की सबसे पुरानी बोनी गायों की नस्ल है, जिनकी ऊंचाई दो फीट से भी कम है और इनका फॉर्म भी इन्होंने ही तैयार किया है. भारत में जो बोनी गायें मिलती हैं, उनमें से पुंगनूर को समय के साथ-साथ डेवलप किया गया है. इसकी शुरुआत 5 फीट से हुई थी और अब एक फीट की गाय उनके पास है.
जर्सी गाय के आगे पुंगनूर का महत्व कम
बताते हैं कि आंध्र प्रदेश के जमींदार कभी मैसूर शासकों के दीवान हुआ करते थे और उस दौर में गायों को पालना एक स्टेटस सिंबल बन गया था. जमींदारों ने इन गायों की बेहतर तरीके से देखभाल की, लेकिन जर्सी गाय का जमाना आने के बाद यह विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई हैं. डॉक्टर राजू ने नाड़ीपति गौशाला में 14 साल तक पुंगनूर गायों के 7 जेनरेशन पर शोध किया है.
पुंगनूर गाय की औसत ऊंचाई 3 से 4 फीट तक होती है, लेकिन डॉक्टर राजू ने इसका एक मिनिएचर तैयार किया और 2019 में उन्होंने इसकी हाइट घटकर 2 फीट तक पहुंचा दी. अब डॉक्टर राजू मिनी माइक्रोफोन पुंगनूर तैयार करने के करीब है और पुंगनूर गाय की हाइट घटकर सिर्फ एक फिट तक करने वाले हैं. यह मिनी माइक्रो पुंगनूर गाय भी अगले 2 साल में तैयार हो जाएगी.
गुरु वशिष्ठ के पास भी पुंगनूर गाय
कहते हैं कि त्रेता युग में यह गाय मर्यादा पुरुषोत्तम राम के गुरु वशिष्ठ के पास थी. पुंगनूर गायों को लेकर आज भी आस्था इतनी ज्यादा है कि तिरुमला तिरुपति देवस्थानम में 200 पुंगनूर गायें पाली जाती हैं. अन्य देसी गायों के साथ पुंगनूर गाय के दूध से जो घी निकलता है, उससे भगवान वेंकटेश्वर का भोग यानी प्रसिद्ध लड्डू तैयार किया जाता है. डॉक्टर राजू बताते हैं कि प्राचीन समय में समुद्र मंथन में सुरभि गाय निकली थी, उसकी ऊंचाई 16 फिट हुआ करती थी. उनमें से उस समय जो बनी प्रजातियां होती थीं, वह 3 फीट की होती थी. उन्हें ब्राह्मण भी कहा जाता था. धीरे-धीरे क्रॉस ब्रीडिंग से उनकी हाइट 4 से 5 फीट तक पहुंच गई. इनमें से बहुत सारी बनी प्रजातियां थीं. वह एक-एक क्षेत्र में सेटल हो गई. उन्हीं जगहों के नाम पर इनका नाम पड़ा.
अब तक 302 में से 32 प्रजातियां ही बची हैं, इसमें 7 से 8 तैयार की गई प्रजातियां हैं. इसमें कर्नाटक में मल्हार गेटा, नेपाल में मिनी माउस, आंध्र में मिनिमम है, केरल में वेलचूर शामिल है. केरल के राजा 112 साल पहले मिनिमम ब्रीड को पालने लगे और उन्होंने ब्रीडिंग भी शुरू की. धीरे-धीरे उसी ब्रीड को पुंगनूर के रूप में मान्यता मिल गई. यह गाय एक बार बच्चा देने के बाद 260 दिनों और 540 लीटर तक दूध देती है. इस गाय के दूध में 8 फीसदी फैट होता है, जबकि दूसरी गायों में ये 3 से साढ़े 3 तक ही फैट पाया जाता है.
खास बात यह है कि इस गाय का यूरिन भी ₹10 प्रति लीटर बिकता है जबकि इसका गोबर ₹5 प्रति किलो. पुंगनूर के यूरिन को फसलों पर स्प्रे कर दिया जाए तो इसका एक्सेसिव एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज फसलों को रोग मुक्त कर देता है. डॉक्टर राजू के शोध के बाद इन गायों को आसानी से फ्लैट में भी पाला जा सकता है और इसके बाद पुंगनूर गाय को पालने का तेजी से क्रेज बढ़ रहा है. एक लाख से 5 लाख तक में मिलने वाले जोड़े को बड़े पैमाने पर लोग हाथों हाथ ले रहे हैं और लोगों के फ्लैट तक पहुंचाकर इस शानदार प्रजाति को विलुप्त होने से बचाया जा सकता है